…तो कैसे लगेगी ‘धुम्रपान’ पर ‘लगाम’
केंद्र सरकार एक तरफ ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने की बात कह रही है, वहीं अगले महीने देश में ई-सिगरेट पर पहला अंतरराष्ट्रीय एक्सपो होने जा रहा है। यह आयोजन दिल्ली में होना था लेकिन दिल्ली के राज्य तंबाकू नियंत्रण सेल की आपत्ति के बाद आयोजकों ने ग्रेटर नोएडा मे किया जायेगा।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
‘ई-सिगरेट के इस्तेमाल से भी कैंसर हो सकता है क्योंकि इसमें निकोटिन के अलावा और भी रसायन होते हैं। तंबाकू का नशा छुड़ाने वाले गम में निर्धारित मात्र में ही निकोटिन इस्तेमाल होता है। ई-सिगरेट में निकोटिन कितना इस्तेमाल हो रहा है उसका कोई पैमाना नहीं है, इसलिए यह भी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
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हर साल करीब 14.50 लाख लोग कैंसर की चपेट में आते हैं
’ एक्सपो का मकसद आयोजकों की सोच है कि यदि भारत में धूमपान छोड़ने वाले 10 फीसद लोगों को भी ई-सिगरेट पकड़ा दी जाए। तो यहां इसके इस्तेमाल करने वालों की तादाद एक करोड़ 10 लाख हो जाएगी। तंबाकू नियंत्रण सेल की चिंता है कि देश में हर साल करीब 14.50 लाख लोग कैंसर की चपेट में आते हैं। देश में 40 फीसद लोग तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल के कारण कैंसर से पीड़ित हैं। इसके अलावा हृदय की बीमारियों व टीबी होने का भी बड़ा कारण तंबाकू है। एक्सपो के बाबत पूछे जाने पर दिल्ली राज्य तंबाकू नियंत्रण सेल के प्रभारी डॉ. एसके अरोड़ा ने कहा कि एक्सपो को दिल्ली में होने से रोक दिया गया है। साथ ही केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा है कि
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ई-सिगरेट के संदर्भ में कोई नियम कानून नहीं
विदेशों में 18 साल से कम उम्र के लोगों के ई-सिगरेट के इस्तेमाल पर रोक है। इसके अलावा उसे बच्चों की पहुंच से दूर रखने का भी दिशा निर्देश है क्योंकि उसमें इस्तेमाल होने वाला लिक्विड बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। भारत में ई-सिगरेट के संदर्भ में कोई नियम कानून नहीं है।
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