महिलाओं का खतना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केस की संवैधानिक पीठ को भेजा

0

महिलाओं के खतने (circumcision) (खफ्ज) के विरोध में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेज दिया है। यह प्रथा दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में पाई जाती है। केंद्र सरकार भी इस प्रथा के विरोध में है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से महिलाओं का खतना किए जाने की प्रथा पर भारत में पूरी तरह से बैन लगाने की मांग की गई है।

प्राइवेट पार्ट को छूना पॉस्को के तहत अपराध है

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि इसे संज्ञेय और गैरजमानती धारा के तहत अपराध माना जाए। सुप्रीम कोर्ट दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में प्रचलित नाबालिग लड़कियों का खतना किए जाने की प्रथा पर पहले सवाल उठा चुका है। वहीं इस प्रथा को बैन कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाक्रर्ता ने कहा है कि किसी के प्राइवेट पार्ट को छूना पॉस्को के तहत अपराध है।

धर्म की आड़ में लड़कियों का खतना करना जुर्म है

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि धर्म की आड़ में लड़कियों का खतना करना जुर्म है और वह इस पर रोक का समर्थन करता है।

इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से कहा जा चुका है कि इसके लिए सात साल तक कैद की सजा का प्रावधान भी है।

यह समुदाय शिया मुसलमानों की एक शाखा है

दाऊदी बोहरा समुदाय मुख्यत: गुजरात से ताल्लुक रखता है जो विश्वभर में फैला हुआ है। यह समुदाय शिया मुसलमानों की एक शाखा है। समूह ‘दाऊदी बोहरा विमिन्स असोसिएशन फॉर रिलीजस फ्रीडम’ पहले ही कह चुका है कि ‘खफ्ज’ नुकसानरहित धार्मिक परंपरा है जिसका पालन सदियों से किया जा रहा है। महिलाओं के जननांग को विक्षत करना अवांछनीय है और इस पर रोक लगनी चाहिए। NBTसाभार

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More