मनमोहन सिंह की नीली पगड़ी का क्या था रहस्य ?
बीते गुरूवार को देर रात देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने अंतिम सांस ली और 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. 1932 में जन्म पूर्व मनमोहन सिंह को यूं तो, एक पॉलिटिशियन, इकनॉमिस्ट, ब्यूरोक्रेट और पूर्व प्रधानमंत्री जाना जाता था, लेकिन एक और चीज थी जो उनकी पहचान बन गयी थी, वो थी उनकी नीली पगड़ी. पीएम पद पर रहते हुए वे हमेशा ही नीली पगड़ी में नजर आते थे. ऐसे कई लोगों के मन में सवाल आता होगा नीली पगड़ी ही क्यों ? आखिर इसके पीछे का कारण क्या था ? आइए जानते हैं…
…तो ऐसे शुरू हुई नीली पगड़ी की कहानी
बात साल 2006 की है जहां से इस नीली पगड़ी की शुरूआत होती है, इस दौरान पूर्व पीएम कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट ऑफ लॉ से सम्मानित किए गए थे. इस मौके पर कार्यक्रम में मौजूद तत्कालीन ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग और विश्वविद्यालय के चांसलर प्रिंस फिलिप ने उनकी पगड़ी और उसके विशेष रंग पर ध्यान दिया और इसको लेकर उनसे सवाल किया. जिसके जवाब में मनमोहन सिंह ने नीली पगड़ी का रहस्य साझा करते हुए बताया कि, आखिरी वे नीले रंग की ही पगड़ी क्यों पहनते है और यह रंग उनके लिए क्यों खास है?
उन्होने ने बताया कि, ”जब वे कैम्ब्रिज में पढाई करता था तो, उस समय में भी मैं नीली पगड़ी ही पहनता था. उस समय में मेरे दोस्त मुझे ‘ब्लू टर्बन’ (ब्लू पगड़ी) के नाम से बुलाया करते थे. एक तरह से यह मेरा उपनाम बन गया था. जिससे साफ था कि, यह रंग मेरे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है, जो छात्र जीवन से लेकर पीएम बनने तक साथ रहा . इसके आगे वे बताते है कि, नीला रंग मुझे हमेशा से पसंद रहा था और यह मेरा फेवरेट रंग भी है. यही कारण है कि, मैं हमेशा नीली पगड़ी को पहनना पसंद करता था.” वह इसे अपनी पहचान का एक अहम हिस्सा मानते थे और यह उनके व्यक्तित्व का प्रतीक बना रहा.
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समय के साथ हुआ बदलाव …
समय के साथ मनमोहन सिंह की पगड़ी में थोड़ा बदलाव देखने को मिला. शुरुआत में वह हमेशा एक ही रंग की नीली पगड़ी पहने नजर आते थे, जो उनके पहचान का एक अहम हिस्सा बन गई थी. उनकी यह पगड़ी एक खास शैली में होती थी, जिसमें एक समान रंग और डिजाइन होता था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, उनकी पगड़ी में हल्का वेरिएशन देखने को मिला. हालांकि, पगड़ी का रंग हमेशा नीला ही रहा, जो उनके व्यक्तित्व और पहचान का प्रतीक बना रहा.
मनमोहन सिंह की पगड़ी उनकी सादगी और मृदुभाषिता का प्रतीक थी. इस पगड़ी को लेकर लोगों में एक खास पहचान बनी हुई थी और यह उनका ट्रेडमार्क बन गई थी. चाहे वह प्रधानमंत्री के रूप में हो या किसी अन्य भूमिका में उनका यह रूप हमेशा लोगों के दिमाग में अंकित हो गया था. पगड़ी का यह हल्का सा बदलाव उनके व्यक्तित्व की तरह ही समय के साथ बदलता गया, लेकिन उनकी नीली पगड़ी हमेशा उनके साथ बनी रही.