क्या है यह लेटरल भर्ती? जिसे सरकार ने किया रद्द…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी

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lateral Entry: केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को जारी किए गए 45 पोस्ट के लिए लेटरल भर्ती विज्ञापन में मचे विवाद के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने इसे रद्द कर दिया है. इसको लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी (UPSC) चेयरमैन को पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है.

भर्ती को लेकर मचा बवाल…

बता दें कि यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी करते हुए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली थी. सरकार के इस फैसले को लेकर काफी बवाल मचा. राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया और कहा कि सरकार आरक्षण ख़त्म कर रही है और सीधे तौर पर UPSC की जगह RSS आरक्षण लागू कर रही है.

लेटरल एंट्री क्या है ?…

बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2017 में तीन वर्षीय एक्शन एजेंडा और शासन पर सचिवों के क्षेत्रीय समूह ने इस साल फरवरी में दी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि केंद्र के मिडिल और सीनियर मैनेजमेंट के स्तर पर लोगों की नियुक्ति की जाए.

लेटरल एंट्री वाले लोग केंद्रीय सचिवालय का हिस्सा होंगे जिसमें अभी तक केवल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सिविल सेवाओं से आने वाले नौकरशाह ही सेवा दे रहे थे. इन्हें केवल तीन साल तक कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाएगा और 5 साल तक सेवा विस्तार किया जा सकता है.

एंट्री को लेकर सरकार का तर्क…

लेटरल एंट्री को लेकर सरकार ने 2019 में राज्यसभा में तर्क दिया था कि लेटरल एंट्री का मकसद नए टैलेंट को सामने लाने के साथ जनशक्ति की उपलब्धता को बढ़ाना है.
वहीं, अगस्त 8, 2024 को राज्यसभा में मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने कहा था कि किसी क्षेत्र में विशेष ज्ञान और विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार में ज्वाइन सेक्रेटरी, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेटरी की भर्ती की जाएगी.

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लेटरल एंट्री में आरक्षण क्यों नहीं ?…

बता दें कि अब सवाल यह उठ रहा है कि लेटरल एंट्री में आरक्षण लागू क्यों नहीं होता है तो उसका कारण है कि 13 – पाइंट रोस्टर के अनुसार, जब किसी विभाग या कैडर में तीन तक भर्तियां होती है तब कोई आरक्षण लागू नहीं होता है. RTI एक्ट के अनुसार एकल पोस्ट कैडर में आरक्षण लागू नहीं होता है. वहीं सबसे बड़ी बात यह है कि लेटरल एंट्री से भरे जाने वाले सभी पद एकल है इसलिए इसमें आरक्षण लागू नहीं होता है.

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2005 में आया लेटरल एंट्री कांसेप्ट…

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सबसे पहले लेटरल एंट्री कॉन्सेप्ट लेकर आई थी. साल 2005 में दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली इस आयोग के अध्यक्ष थे. ‘कार्मिक प्रशासन का नवीनीकरण-नई ऊंचाइयों को छूना’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में आयोग की एक प्रमुख सिफारिश यह थी कि उच्च सरकारी पदों जिसके लिए विशेष ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है, उन पर लेटरल एंट्री शुरू की जाए.

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