क्या होती है SEBI, कैसे करती है यह काम…
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) अक्सर चर्चाओं में रहता है. इस बार एक बार फिर हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट में हुए खुलासे की बाद चर्चा में आ गया है. इस रिपोर्ट में SEBI की चीफ माधबी पुरी बुच पर सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर सेबी है क्या, किस काम के लिए इसको बनाया गया और ये उसमें कितना खरा उतर पाई. हालांकि सेबी के दामन में विवाद भी कम नहीं रहे हैं. मोटे तौर पर ये जान लीजिए कि भारत में ये सिक्योरिटीज और कमोडिटी बाजार को रेगुलेट करने का काम करती है, जिसमें कंपनियों के शेयर, पूंजी निवेश, म्युचुअल फंड आदि सभी आते हैं. ये इस बाजार की प्रमुख रेगुलेटरी अथारिटी है. इसकी स्थापना निवेशकों के हितों की रक्षा, प्रतिभूति बाजार को रेगुलेट करने के साथ विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई थी.
SEBI की कब हुई थी स्थापना…
गौरतलब है कि भारत में (SEBI ) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का गठन 12 अप्रैल, 1988 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव के माध्यम से एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में किया गया था. इसकी स्थापना उस समय की गई थी जब हर्षद मेहता के शेयर घोटाले के बाद देश का वित्तीय सेक्टर हिल गया था. तब शेयर बाजार को लेकर तमाम तरह की बातें कही जाने लगी थीं.
1992 में मिला वैधानिक दर्जा…
बता दें कि 1992 में सेबी अधिनियम लागू हो जाने की बाद 30 जनवरी 1992 को इसे वैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ. इसी के साथ सेबी को स्वतन्त्रता मिली और अधिक काम की अनुमति मिली. इससे वह शेयर बाजार और पूंजी निवेश सेक्टर को असरदार तरीके से रेगुलेट करने में सक्षम हो सका.
जानें क्या है SEBI का मुख्य काम…
बता दें कि SEBI के कामों को मुख्य तीन भागों में बांटा गया है.
* निवेशकों को वित्तीय शिक्षा प्रदान करना
* निष्पक्ष तरीके से व्यापार को बढ़ावा देना
* प्रतिभूति बाजार में भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा करना. प्रतिभूति बाजार के विकास और कुशल कामकाज को प्रोत्साहित करना. प्रतिभूति बाज़ार के भीतर व्यावसायिक गतिविधियों को विनियमित करना. पोर्टफोलियो प्रबंधकों, स्टॉकब्रोकरों और निवेश सलाहकारों जैसे बाजार प्रतिभागियों के लिए एक मंच प्रदान करना.
SEBI और ये काम करती है…
इसके अलावा सेबी भारतीय बाजार में …
* प्रतिभूति बाजार में दलालों को ट्रेनिंग देना
* इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग को सुविधाजनक बनाना और बाज़ार के बुनियादी ढांचे में सुधार करना
* सेबी को नियमों का मसौदा तैयार करने, जांच करने और उनका पालन लागू करने का अधिकार है, जिससे यह एक अर्ध-विधायी, अर्ध-न्यायिक और अर्ध-कार्यकारी निकाय बन जाता है. यानि इसे शेयर बाजार से संबंधित कई विशेषाधिकार हासिल हैं.
क्या हैं सेबी के उद्देश्य…
सेबी के प्राथमिक उद्देश्यों में सबसे बड़ा काम यही है कि पूंजी निवेश का क्षेत्र सुरक्षित और पारदर्शी रहे. इसमें गड़बड़ियां और करप्शन नहीं हो. मुख्य तौर पर इसके उद्देश्य इस तरह हैं…
निवेशक सुरक्षा – निवेशकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना.
बाज़ार रेगुलेशन – धोखाधड़ीवाले तौर-तरीकों और प्रक्रियाओं को रोकने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों और म्युचुअल फंडों के कामकाज को सही तरीके की प्रक्रिया के तहत लाना और क्रियान्वित करना.
सिक्योरिटी बाजार का विकास – निष्पक्ष प्रथाओं को बढ़ावा देना और बाजार की दक्षता बढ़ाना.
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क्या है सेबी के कामों की आचारसंहिता…
* सेबी वित्तीय मध्यस्थों जैसे अंडरराइटर, ब्रोकर और स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े अन्य लोगों के लिए एक आचार संहिता विकसित करता है. इससे बाज़ार में पेशेवर मानकों और जवाबदेही को बनाए रखने में मदद मिलती है.
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* बाज़ार विकास को बढ़ावा देना
* सेबी सुधारों को शुरू करके, नए खिलाड़ियों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाकर, नए कामकाज के बेहतर तरीकों को प्रोत्साहित करके और बाजार के बुनियादी ढांचे में सुधार करके शेयर और पूंजी बाजार के विकास और वृद्धि में योगदान देता है.