क्या है One Nation One Election जिसे मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी…
मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में पेश
नई दिल्ली: मोदी कैबिनेट ने आज बड़ा फैसला लिया है. देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की ओर एक और पहल हो गई है. वन नेशन वन इलेक्शन को कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी है. सूत्रों के मुताबिक, देश में एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर बिल आगामी शीतसत्र में पेश किया जा सकता है.
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन ?…
आसान भाषा में कहे तो अब एक ही समय या एक ही साल में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे. इतने ही नहीं यही नहीं वन नेशन वन इलेक्शन के लागू होते ही नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी साथ होंगे.
अगले सत्र में पेश हो सकता है विधेयक
कहा जा रहा है कि मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति ने आज रिपोर्ट केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने पेश की जिसके बाद इसे मंजूरी दे दी गई है. अब कहा जा रहा है कि इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा और यहां से पास हो जाने के बाद देश में एक एक चुनाव होंगे.
कई राजनीतिक दलों का समर्थन
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर 62 पार्टियों से संपर्क किया था और इस पर 32 पार्टियों ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया. रिपोर्ट के अनुसार, कुल 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी.
पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा चुनाव
बता दें कि केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा-पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे और इसके 100 दिन बाद स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि कमेटी के सुझावों पर देश भर में चर्चा होगी. सभी से आह्वान है कि इस पर अपनी राय जरूर दें. इस व्यवस्था से लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी, खर्च बचेंगे.
मौजूदा कार्यकाल में ही लागू कराएंगेः अमित शाह
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही ‘एक राष्ट्र- एक चुनाव’ को लागू करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हमारी योजना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही ‘एक राष्ट्र- एक चुनाव’ की व्यवस्था लागू करने की है. बता दें कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बीजेपी द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक है.
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जानें क्या होंगे फायदे…
चुनाव पर होने वाले करोड़ों के खर्च से बचत.
बार बार चुनाव कराने से निजात.
फोकस चुनाव पर नहीं बल्कि विकास पर होगा.
बार-बार आचार संहिता का असर पड़ता है.
काले धन पर लगाम भी लगेगी.
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भारत में पहले भी हुए एकसाथ चुनाव…
बता दें कि यह पहली बार नहीं होगा कि देश में इस कानून के बाद एक साथ चुनाव होंगे. इससे पहले देश में लोकसभा और राज्य के चुनाव एक साथ हो चुके हैं. इसका इतिहास 1951- 52 में हुए पहले आम चुनावों से मिलता है. उस समय, लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव हुए थे.
यह 1957, 1962 और 1967 में हुए तीन आम चुनावों में जारी रही. हालांकि, एक साथ चुनावों का चक्र 1968 और 1969 में बाधित हो गया, जब कुछ राज्य विधानसभाएं समय से पहले भांग कर दी गई थी. 1970 में लोकसभा को भी समय से पहले ही भंग कर दिया गया था और 1971 में नए चुनाव हुए थे. तब से एक साथ चुनावों की प्रथा को पुनर्जीवित नहीं किया गया.