क्या है नजूल संपत्ति विधेयक, जिस पर यूपी में मचा घमासान…

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देश में आम बजट पेश होने के बाद प्रदेश सरकारों का भी मानसून सत्र चल रहा है. इसी बीच योगी सरकार ने भारी विरोध के बीच विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक पास कर दिया है, जबकि विधान परिसद में यह विधेयक पारित नहीं हो सका है. इस विधेयक को लेकर बीजेपी के कुछ अपने ही विधायकों ने मोर्चा खोल दिया है. इतना ही नहीं कुंडा से विधायक राजा भैया ने भी इसकी खिलाफत की है. तो आइये जानते है क्या नजूल संपत्ति…

क्या होती है नजूल संपत्ति…

कहा जा रहा है कि अंगेजों के शासन काल में उनका विरोध करने वाले राजा-रजवाड़े या आंदोलनकारियों की जमीन को छीन लिया जाता था. इस जमीन पर ब्रिटिश हुकूमत कब्जा कर लेती थी. ऐसी जमीनों को नजूल सम्पत्ति कहा जाता है. भारत की आजादी के बाद ऐसी संपत्तियों का अधिकार राज्य सरकार के पास चला गया. जिसे सरकार लीज पर देने लगी.

इतने दिनों के लिए मिलती है नजूल संपत्ति…

बता दें कि राज्य सरकार के अधीन आने के बाद वह इसे लीज पर देनी लगी. इसकी समय सीमा 15 साल से लेकर 99 साल तक हो सकती है. बताया जा रहा है कि ऐसी भूमि देश के हर राज्य में है. यूपी सरकार इसी भूमि को लेकर ये विधेयक लाई है. इन संपत्तियों का इस्तेमाल सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिसमें अस्पताल, स्कूल और पंचायत शामिल है.

नजूल की जमीन का हस्तांतरण

कहा जा रहा है कि नियमों के मुताबिक नजूल जमीन का हस्तांतरण हो सकता है, लेकिन उस जमीन का मालिकाना हक नहीं बदला जा सकता. उस पर सरकार का ही मालिकाना हक रहता है. केवल उसके उपयोग में परिवर्तन किया जा सकता है और सरकार जब चाहे उसे वापस ले सकती है.

नजूल विधेयक क्या है…

गौरतलब है कि नजूल विधेयक में नया प्रावधान किया गया है कि यदि अगर कोई नजूल सम्पत्ति का पट्टा पर लिया है और उस पट्टे का किराए का नियमित रूप से भुगतान किया जा रहा है या उसमें किसी तरह के अनुबंध का उल्लंघन नहीं हुआ है तो उसका नवीनीकरण कर दिया जाएगा. ऐसे लोगों को 30 साल के लिए पट्टे का रिन्यू किया जाएगा. अगर पट्टे का समय पूरा हो चुका है तो वो संपत्ति सरकार के पास आ जाएगी. वहीं अगर पट्टा अवधि के खत्म होने के बाद नजूल संपत्ति का इस्तेमाल हो रहा है तो पट्टे के किराया का निर्धारण डीएम द्वारा किया जाएगा.

नजूल की जमीन पर पहला कानून

बता दें कि प्रदेश सरकार में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक 2024 को पेश किया. इसमें उन्होंने कहा कि नजूल सम्पत्ति पर यह पहला कानून है. बताया कि जनहित में सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि का प्रबंध करने में काफी वक्त लग जाता है. ऐसे में अब सार्वजनिक कामों के लिए नजूल सम्पत्ति का इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि इसमें वन, सिंचाई और कृषि विभाग की जमीनों को शामिल नहीं किया जाएगा.

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प्रदेश में कहां है सबसे ज्यादा नजूल की जमीन…

प्रदेश की संगम नगरी कहे जाने वाले प्रयागराज में सबसे ज्यादा नजूल की जमीन है. प्रयागराज तो एक तिहाई नजूल की भूमि पर ही बसा है. प्रयागराज शहर की बात करें तो करीब एक लाख घर नजूल की भूमि पर बने है और करीब 5 लाख लोग नजूल की भूमि पर गुजर बसर कर रहे है. संगम नगरी का लूकरगंज इलाका ज्यादातर नजूल लैंड पर ही बसा हुआ है.

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