Weather Update: तपती गर्मी से मिलेगी राहत ! बारिश की संभावना
Weather Update: भारत में इस साल सामान्य मानसून की उम्मीद जताई जा रही है. मौसम भविष्यवाणी एजेंसी स्काइमेट के अनुसार, साल 2024 में जून से सितंबर तक चार महीने की मानसूनी वर्षा होगी, जिसमें 102 प्रतिशत बरसात की संभावना है.
निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट ने इसको लेकर जानकारी देते हुए बीते मंगलवार को बताया है कि, ”भारत में इस साल मानसून के सामान्य रहने की संभावना है और मौसम के उत्तरार्ध में अधिक बारिश का पूर्वानुमान है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वैज्ञानिकों ने भी इस साल अनुकूल मानसून रहने के शुरुआती संकेतों का पता लगाया है, जिसमें अल नीनो की स्थिति कम हो रही है और यूरेशिया में बर्फ का आवरण कम हो गया है.”
बारिश को लेकर बड़ा अपडेट
राष्ट्रीय मौसम विज्ञान एजेंसी ने कहा कि, ” देश के दक्षिणी, पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भागों में पर्याप्त वर्षा होने की उम्मीद है. पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश होगी, लेकिन पश्चिमी और मध्य भारत में सामान्य से अधिक बारिश होगी. वहीं मानसून के कोर क्षेत्र महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पर्याप्त बारिश होगी. बिहार, झारखंड, ओडिशा और बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों में सबसे अधिक बारिश वाले मानसूनी महीनों में बारिश की संभावना कम है. आधे मानसून में पूर्वोत्तर में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. मध्य भारत में सामान्य वर्षा होगी, लेकिन केरल, कोंकण, कर्नाटक और गोवा में सामान्य से अधिक बारिश होगी.
अच्छी कृषि मानसून पर करती है निर्भर-स्काईमेट के प्रबंध
वही स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने इसपर बोलते हुए बताया है कि, ”भारत का आधा कृषि क्षेत्र सिंचाई से वंचित रहता है और अच्छी फसल के लिए पूरी तरह से मानसूनी वर्षा पर निर्भर रहता है. अच्छे मानसून से देश के जलाशयों का भरना भी सुनिश्चित होता है, जिसे बाद में भी उपयोग में लाया जाता है. उन्होंने बताया कि अलनीनो धीरे-धीरे सशक्त ला नीना से बदल रहा है. ला नीना के सालों में मानसून का प्रसार जोर पकड़ता है”
Also Read: Navratri Specials: मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन से होती है सभी मुरादें पूरी…
मार्च का तापमान
2024 में मार्च का महीना अब तक का सबसे गर्म रहा है, क्योंकि अल नीनो और प्रदूषण दोनों ने ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा दिया है. यूरोपीय संघ की मौसम एजेंसी ने बताया कि, पिछले साल जून से मार्च तक लगातार दस महीने रिकार्ड तापमान हुआ ह.Climate Change Agency (C3S) के अनुसार, मार्च में औसत तापमान 14.14 डिग्री सेल्सियस था, जो औद्योगिक काल (1850–1900) से 1.68 डिग्री अधिक था. 1991 से 2020 के बीच, मार्च में औसत 0.73 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई. 2016 में मार्च का औसत तापमान 0.10 डिग्री सेल्सियस अधिक था.