Water Scarcity: 1800 में जब पहली बार आया था जल संकट
New Mexico, California, Arizona फिर राजस्थान, गुजरात, बेंगलुरू, मध्यप्रदेश, और उत्तर प्रदेश के कई जिलों को आज पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. अफ्रीका के सहारा डेसर्ट से लेकर अमेरिका की बड़ी-बड़ी इमारतों में भी पानी की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. आज के समय का सबसे बड़ा चैलेंज यही है कि आखिर हम पानी की किल्लत से कैसे बचे, और कैसे इसे कम कर सकते है.
भारत में आजादी का अमृतमहोत्सव मना रहे मिर्जापुर के लोगों के माथे पर आज भी पानी नहीं आ पाने की शिकन है. लास वेगस में रहने वाली लीन एसक्यूबेल के घर तक में बाढ़ का पानी है लेकिन उन्हे पीने वाले पानी के लिए पैसे खर्च करने पड़ रहे है, ऐसे में लीन इस विडंबना में फ़सी है कि आखिर कैसे वह अपने परिवार को सुरक्षित रखने में सफल होंगी.
दुनिया में चारों ओर पानी की समस्या से लोग जूझ रहे है. जलवायु परिवर्तन की वजह से लोगों जीवन के ऊपर आपार संकट आने की संभावनाएं बढ़ती जा रही है. पानी की किल्लत से हर एक देश किसी ना किसी तरीके से जूझ ही रहा है. Water Scarcity का अपना एक इतिहास है जिससे शायद ही कोई ऐसा देश होगा जो अछूता रह गया हो. आइए इस लेख में जानते है कि आखिर Water Scarcity के क्या मायने होते है.
Water Scarcity होती क्या है?
पानी की कमी या फिर सुरक्षित पानी की सप्लाई कम होने की परिस्थितियों को वॉटर स्केर्सिटी के रूप में परिभाषित किया गया है. पूरी दुनिया में आबादी बढ़ती जा रही है, और जलवायु परिवर्तन की वजह से धरती की हर एक नैच्रल रिसोर्सेज पर आभाव का बहुत बड़ा दबाव है.
आकड़ें बताते है कि हर साल पूरे विश्व में 785 मिलियन लोग पीने वाले साफ पानी से वंछित रहते है. हर दिन 800 बच्चे गंदा पानी पीकर मरते है. दुनिया के अलग-अलग कोने में पीने वाले पानी के सौरसेस ना तो बहुत अच्छे है ना ही वह आश्रित होने वाले सौरसेस है.
पानी की कमी का प्रभाव परिवारों और उनके समुदायों पर पड़ता है. स्वच्छ, आसानी से उपलब्ध पानी के बिना, वे पीढ़ियों तक गरीबी में फंस सकते हैं. बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं और माता-पिता आजीविका कमाने के लिए संघर्ष करते हैं.
Water Scarcity से सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे और औरतें होती है. बच्चे गंदे पानी से होने वाली बीमारियों के आसान शिकार होते है, क्यूंकी उनका मटैबलिज़म बहुत मजबूत नहीं होता है. वही महिलाओं के ऊपर घर में पानी लाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है. दुनिए में करीब 200 मिलियन घंटे महिलाओं को पानी लाने में लगता है.
स्वच्छ जल तक पहुंच सब कुछ बदल देती है; यह विकास की दिशा में एक कदम है. जब लोगों को साफ पानी उपलब्ध होता है, तो वे अच्छी स्वच्छता और साफ-सफाई का अभ्यास करने में बेहतर सक्षम होते हैं.
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1800 में पहली बार हुई थी Water Scarcity
1700-1800 में जब इंग्लैंड में औद्योगीकरण की रीड़ रखी गई थी, उस दौर में लगातार साफ पानी की जरूरत थी, ऐसे में हर वो उपाय खोजे गए जिससे साफ पानी लोगों तक पहुँच सकें. लेकिन ऐसा होते-होते 1800 में पहली बार पानी की किल्लत यानि Water Scarcity जैसी स्थिति या गई थी.
1854 में जब लंदन में हैजा फैला उसक वक्त जॉन स्नो ने पहली बार पानी की किल्लत और हैजा के बीच में रीलैशन निकाला. अब इसी के साथ-साथ हेल्थ और वॉटर क्राइसिस का सिलसिला आगे ही बढ़ता चला गया. 1900 में 11 बिलियन लोगों की मौत सूखा पड़ने से हो गई, और वही करीब 1 बिलियन लोगों का जीवन सूखे से प्रभवित भी हुआ.
सुख पड़ने के करीब 93 साल बाद संयुक्त राष्ट्र ने 22 मार्च को वर्ल्ड वॉटर दी की घोषणा कर दी. साल 2000 में संयुक्त राष्ट्र के मेम्बर्स ने 2015 तक लोगों को साफ पानी पहुंचाने का संकल्प भी लिया. संकयुत राष्ट्र लोगों तक साफ पानी पहुंचाने के अथक प्रयास में बहुत हद तक सफल भी रहा है. लेकिन महज 5 साल बाद पानी को लेकर विश्व की तस्वीर और बिगड़ती चली गई.
2005 में वैश्विक आबादी की करीब 35 प्रतिशत जनता अक्यूट वॉटर क्राइसिस का शिकार बन गई, 1960 से इस बार वॉटर क्राइसिस से प्रभावित लोगों में करीब 9 पर्सेन्ट की वृद्धि भी हुई थी.
कई पायदान पूरे हुए, कई बार सफलता भी मिली लेकिन 2018 कि एक रिपोर्ट के अनुसार आज भी 2.1 बिलियन से ज्यादा लोगों को आज भी साफ पानी नहीं मिल रहा है.
ऐसे में हमे समझना यह जरूरी है कि आखिर पानी हामरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और बिना पानी के हम एक 2 दिन भी जिंदा नहीं रह सकते है. ऐसे में यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम पानी की बर्बादी करने से बचे.
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