Washington: डॉक्टरों को बड़ी सफलता, जीवित इंसान को लगाई सुवर की किडनी
Washington: मेडिकल के क्षेत्र में डॉक्टरों को बड़ी सफलता हासिल हुई है, इस प्रयोग में डॉक्टरों ने जीवित व्यक्ति में अनुवांशिक रूप से संशोधित सूअर की किडनी का पहला ट्रांसप्लांट सफलता पूर्वक किया है. इसकी जानकारी गुरुवार को सूचना दी गई है. चिकित्सा क्षेत्र में हासिल की गयी इस सफलता ने किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए नए अवसर खोले हैं, इस उपलब्धि को मैसेच्युसेट्स जनरल अस्पताल में चार घंटे की सर्जरी में डॉक्टरों ने हासिल किया है. 1954 में इसी अस्पताल में दुनिया का पहला किडनी ट्रांसप्लांट हुआ किया गया था. डॉक्टरों ने कहना है कि, 62 वर्षीय रिक स्लेमैन की हालत में सुधार हो रहा है और उन्हें जल्द ही अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है.
इस ट्रांसप्लांट की जानकारी देते हुए डॉक्टर ने बताया है कि, ”नई किडनी वर्षों तक चल सकती है, लेकिन साथ ही ये भी स्वीकार किया कि जानवरों से मानवों में प्रत्यारोपण में अभी भी कई बातों का पता लगाया जाना बाकी है. फिलहाल, इस सफलता से भविष्य में पशुओं के अंगों के अधिक ट्रांसप्लांट की उम्मीद जगी है. इसके पहले ब्रेन-डेड लोगों में परीक्षण के तौर पर सुअर की किडनी प्रत्यारोपित की जा चुकी है, लेकिन जीवित मनुष्य में इस तरह का ये पहला मामला है.”
11 सालों से ट्रांसप्लांट प्रयोग का हिस्सा था स्लेमैन
अस्पताल द्वारा दिए गये बयान में स्लेमैन ने कहा है कि, ”वह 11 वर्षों से अस्पताल के प्रत्यारोपण कार्यक्रम में एक मरीज थे. कई वर्षों तक डायबिटीज और उच्च रक्तचाप से पीड़ित रहने के बाद 2018 में उन्हें एक इंसानी किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी. पांच साल बाद उस किडनी में खराबी के लक्षण दिखने लगे और 2023 में उनका डायलिसिस फिर से शुरू कर दिया गया. उन्होंने आगे कहा, जब पिछले साल उनकी किडनी की समस्या आखिरी चरण में पहुंच गई तो डॉक्टरों ने उन्हें सुअर की किडनी लेने का सुझाव दिया”
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सफल ट्रांसप्लाट ने दी हजारों लोगों को उम्मीद की किरण
स्लेमैन ने कहा है कि, ”मैंने इसे सिर्फ अपने लिए नहीं देखा, बल्कि किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हजारों लोगों की आशा के रूप में देखा है. बहुत से मरीज डोनर की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन लंबे समय से मानवदाता अंगों की कमी है. अमेरिका में किसी न किसी अंग के इंतजार में हर दिन 17 लोग मर जाते हैं. इनमें किडनी डोनर की सबसे कमी है. प्राणियों के अंगों का सफल प्रत्यारोपण इस समस्या को हल कर सकता है. हाल ही में सूअरों से मनुष्यों में हृदय ट्रांसप्लांट की कोशिश भी की गई है.”