लोकसभा में पेश हुआ वक्फ बोर्ड संशोधन बिल, विपक्ष कर रहा हंगामा

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नई दिल्ली: केंद्र की सत्ता में लगातार तीसरी बार बैठी मोदी सरकार ने आज लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को पेश कर दिया है. इस बिल को अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया है. इस बिल को पेश करने के साथ ही लोकसभा में विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया. आपको बता दें कि वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन बिल 2024 के जरिए 44वां संशोधन करने जा रही है. केंद्र सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश किए जाने से पहले कहा था कि इस बिल को पेश करना मकसद वक्फ की संपत्तियों का सुचारू रूप संचालित करना और उसकी देखरेख करना है.

धर्म और आस्था पर हमला कर रही भाजपा…

इस बिल को पेश किए जाने का विपक्षी दलों ने विरोध किया और इसे एक समुदाय विशेष के खिलाफ बताया है. कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस बिल को लाकर केंद्र धर्म और आस्था पर हमला कर रही है. एनसीपी (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले ने भी इस बिल को वापस लेने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस बिल को पेश किए जाने से पहले विपक्षी दलों से बात तक नहीं की गई है. इस बिल में क्या कुछ है इसे हमें पढ़ने तक नहीं दिया गया है. विपक्षी दलों को बिल की कॉपी पहले ना दिए जाने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ऐसा कहना पूरी तरह से गलत है. ये बेबुनियाद आरोप है.

Waqf क्या होता है ?….

कहा जाता है कि वक़्फ़ शब्द अरबी भाषा वक़ूफ़ से बना है जिसका मतलब होता है ठहरना यानि रुकना. इसी से बना वक़्फ़ और यह एक ऐसी संपत्ति होती है जो जन- कल्याण को समर्पित है. इस्लाम में कहा जाता है कि वक़्फ़ दान का एक तरीका है. जो अपनी चल और अचल संपत्ति को दान कर सकता है.

कहने का तात्पर्य यह है कि आप एक रुपये से लेकर एक इमारत तक दान कर सकते हैं जो कि वक़्फ़ हो सकता है, बशर्ते वो जनकल्याण के मकसद से दान कर दिया गया हो. ऐसे दानदाता को कहा जाता है ‘वाकिफ’.

भारत में कब बना वक़्फ़ बोर्ड ?…

बता दें कि 1947 में देश की आजादी के बाद फैली हुई सभी संपत्तियों को इकठ्ठा करने के लिए एक जगह बनाने की बात हुई. इसी तरह साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 पास किया. इसी के नतीजे में वक्फ बोर्ड बना. ये एक ट्रस्ट था, जिसके तहत सारी वक्फ संपत्तियां आ गईं. 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में संशोधन कर राज्यों के लेवल पर वक़्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया.

इसके बाद साल 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया और 2013 में इसमें संशोधन किये गए. फिलहाल जो व्यवस्था है, वो इन्हीं कानूनों और संशोधनों के तहत चल रही है. प्रायः मुस्लिम धर्मस्थल वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत ही आते हैं. लेकिन इसके अपवाद भी हैं. जैसे ये कानून अजमेर शरीफ दरगाह पर लागू नहीं होता. इस दरगाह के प्रबंधन के लिए दरगाह ख्वाजा साहिब एक्ट 1955 बना हुआ है.

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Waqf Board से जुड़े विवादित क्लॉज…

वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 के सेक्शन 40 के मुताबिक अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि किसी सम्पत्ति पर वक्फ बोर्ड का हक़ है. तो वक्फ बोर्ड स्वतः संज्ञान लेते हुए उसके बारे में जानकारी इकट्ठी कर सकता है. और वक्फ बोर्ड खुद सम्पति की इंक्वायरी करता है और इसपर फैसला सुनाता है. अगर किसी को वक्फ बोर्ड के फैसले से दिक्कत हो, तो वो वक्फ बोर्ड ट्राइब्यूनल में आवेदन दे सकता है. लेकिन ट्राइब्यूनल का फैसला फाइनल होगा. माने उस फैसले के खिलाफ अपील करने का प्रॉसेस काफी कॉम्प्लेक्स है. आप हाईकोर्ट जा तो सकते हैं, लेकिन एक जटिल कानूनी प्रक्रिया के बाद.

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