वॉन्टेड इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाइक को मलेशिया में पनाह, NIA को है तलाश
भारत के वॉन्टेड इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाइक को मलेशिया ने पनाह दे दी है। जाकिर को पिछले महीने मलेशिया की सबसे बड़ी मस्जिद पुत्रा में देखा गया है। इस दौरान उसके साथ एक बॉडीगार्ड भी था। बता दें कि जाकिर नाइक के खिलाफ एनआईए ने एक हफ्ते पहले ही चार्जशीट दायर की है। उस पर युवाओं को आतंकवाद के लिए उकसाने और हेट स्पीच देने का आरोप है। वो जुलाई 2016 से देश से बाहर है। NIA ने 18 नवंबर 2016 को मुंबई ब्रांच में जाकिर नाइक के खिलाफ केस दर्ज किया था। नाइक ने इसी साल मई में मलेशिया के नागरिकता के लिए अप्लाई किया था।
इसी मस्जिद में जाते हैं मलेशिया के पीएम
– जाकिर को मलेशिया की पुत्रा मस्जिद में देखा गया। उसके साथ कुछ फॉलोवर और एक बॉडीगार्ड था। मलेशिया के पीएम नजीब रजाक और उनके मंत्री भी इसी मस्जिद में इबादत के लिए आते हैं। ब्रिटेन जाकिर पर बैन लगा चुका है।
– नाइक को मलेशिया की स्थायी नागरिकता (permanent residency) दी गई है। मलेशिया को मॉडर्न इस्लामिक कंट्री माना जाता है। एेसे में नाइक जैसे कट्टरपंथी और अपने देश में वॉन्टेड शख्स को यहां पनाह देना हैरान करने वाला है। मलेशिया में मुस्लिमों के अलावा, क्रिश्चयन, हिंदू और बौद्ध भी काफी तादाद में रहते हैं।
नजीब की क्या मजबूरी
– मलेशिया में चार साल पहले यानी 2013 में जनरल इलेक्शन हुए थे। इन इलेक्शंस में नजीब रजाक को पॉपुलर वोटों के मामले में काफी नुकसान हुआ था। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद ही नजीब ने इस्लामिक सियासत को बढ़ावा देना शुरू किया।
– मलेशिया में 2018 में फिर चुनाव होने वाले हैं। नजीब रजाक की पार्टी अपने मलय मुस्लिम बेस को खुश करने के लिए मजहबी कार्ड खेल रही है।
भारत को नाइक की तलाश
– 52 साल के नाइक पर युवाओं को आतंकवाद के लिए भड़काने का आरोप है। एनआईए को उसकी तलाश है। उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। यूट्यूब पर मौजूद एक वीडियो में उसने कहा था- अगर ओसामा बिन लादेन अमेरिका को डरा रहा है- वो टेरेरिस्ट है तो सबसे बड़ा आतंकी मैं हूं। मैं ओसामा के साथ हूं।
– ढाका में पिछले साल एक कैफे पर आतंकी हमला हुआ था। इसमें विदेशियों समेत 22 लोग मारे गए थे। आतंकियों के तार नाइक से जुड़ पाए गए थे। इसके बाद बांग्लादेश ने नाइक के ‘पीस टीवी चैनल’ को बैन कर दिया था।
मलेशिया में जाकिर को पनाह क्यों?
– सिंगापुर के राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के राशाद अली का कहना है- मलेशियाई सरकार ने जाकिर को पनाह इसलिए दी क्योंकि वो यहां के मलय मुसलमानों के बीच मशहूर है। उसके विवादित पहलुओं को ध्यान में नहीं रखा गया।
– अली आगे कहते हैं- अगर मलेशिया सरकार नाइक को देश से निकाल देती तो उसकी मजहबी भरोसे पर सवाल उठने लगते।
महिलाओं से बात नहीं करूंगा
– पिछले महीने जब नाइक पुत्रा मस्जिद गया तो वहां एक वुमन जर्नलिस्ट ने उससे भारत में उसके खिलाफ हो रही जांच पर सवाल पूछा। इस पर नाइक ने कहा- माफ कीजिए, पब्लिक के बीच एक महिलाओं से बात करना मेरे लिए सही नहीं होगा।
– मलेशिया के डिप्टी पीएम अहमद जाहिद हामिदी ने मंगलवार को संसद में इस बात से इनकार किया कि नाइक को खास सुविधाएं दी जा रही हैं। जाहिद ने कहा- जितने दिन से वो देश में है, उसने कोई कानून नहीं तोड़ा। इसलिए कानूनी तौर पर उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। सरकार को भारत से अब तक उसके खिलाफ आतंकवाद के आरोपों को लेकर कोई अपील भी नहीं मिली।
– नजीब रजाक और जाहिद ने पिछले साल नाइक से मुलाकात के फोटो फेसबुक पर शेयर किए थे।
कुछ लोग नाराज
– मलेशियाई एक्टिविस्ट्स के एक ग्रुप ने हाईकोर्ट में उसके खिलाफ अपील दायर की है। इसमें कहा गया है कि मलेशिया में कई मजहब के लोग रहते हैं। नाइक यहां के अमन के लिए बड़ा खतरा है। लिहाजा, उसे भारत भेजा जाए। मलेशिया की 40 फीसदी आबादी गैर मुस्लिम है।
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कौन है जाकिर नाइक?
– जाकिर का जन्म मुंबई में 18 अक्टूबर 1965 को हुआ था। उसने एमबीबीएस किया है। वो एक मुस्लिम धर्मगुरु, राइटर और स्पीकर है।
– इसके अलावा वो इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन या आईआरएस का फाउंडर और प्रेसिडेंट है। नाइक पर यूके, कनाडा, मलेशिया समेत 5 देशों में बैन है।
– जाकिर के इस्लामिक फाउंडेशन को भारत और विदेशों से जकात के तौर पर डोनेशन मिलता है। एक स्कूल भी चलाता है।
एनजीओ पर क्या हैं आरोप?
– आईआरएफ पर आरोप हैं उसे विदेशों से मिले चंदे का पॉलिटिकल यूज, धर्मांतरण के लिए इन्सपायर करने और टेरेरिज्म फैलाने के लिए यूज किया गया।
– मुंबई के चार स्टूडेंट्स जब आईएस में शामिल होने गए थे तब भी यह बात सामने आई थी कि वे जाकिर नाइक को फॉलो करते थे।
– आरोपों में घिरने के बाद होम मिनिस्ट्री ने आईआरएफ को मिलने वाले चंदे के सोर्स का पता लगाने का ऑर्डर दिया था। केंद्र सरकार ने नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर पांच साल का बैन लगा दिया। इससे पहले 2012 में पुलिस की परमिशन ना मिलने की वजह से जाकिर की पीस कॉन्फ्रेंस नहीं हो पाई थी।
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