यूपी के मथुरा में गुरुवार को सरकारी जमीन पर से अवैध कब्जा हटाने पहुंची पुलिस टीम पर भीड़ ने हमला बोल दिया। फायरिंग के बाद हुए बवाल में एसओ संतोष कुमार और एसपी मुकुल द्विवेदी शहीद हो गए, जबकि 12 पुलिसकर्मी घायल हो गए। सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन को एक धार्मिक समूह ‘आजाद भारत विधिक विचारक क्रांति सत्याग्रही’ के कार्यकर्ताओं से मुक्त कराने के अभियान के दौरान गुरुवार को हुई हिंसा में एक दरोगा की मौत हो गई। हिंसा में एसपी और पांच अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए।
(घटना में शहीदएसओ संतोष कुमार)
पुलिस ने जवाहर बाग इलाके में हिंसक प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए आंसू गैस का उपयोग किया। दो साल से अधिक समय पहले, बाबा जय गुरूदेव से अलग हुए समूह के कार्यकर्ताओं ने खुद को ‘आजाद भारत विधिक विचारक क्रांति सत्याग्रही’ घोषित किया था।
(बाग में फैली आग के बीच भागते पुलिसकर्मी)
सत्याग्रहियों ने धरने की आड़ में जवाहर बाग की सैकड़ों एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया था। उनकी मांगों में भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द करना, वर्तमान करेन्सी की जगह ‘आजाद हिंद फौज’ करेन्सी शुरू करना, एक रुपये में 60 लीटर डीजल और एक रुपये में 40 लीटर पेट्रोल की बिक्री करना शामिल है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल ही में प्राधिकारियों को वह जमीन खाली कराने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश के एडीजी क़ानून व्यवस्था दलजीत चौधरी ने बताया कि इस हिंसा में एसओ संतोष यादव की मौत हो गई है जबकि सिटी एसपी मुकुल द्विवेद्वी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। पुलिस के मुताबिक़ इस हिंसा में कुल 10 पुलिसवाले घायल हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री ने शहीद हुए एसपी व एसओ के परिजनों को 20-20 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है।
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