‘घर तोड़ो मुआवजा लो’ अभियान चला रही शिवराज सरकार !

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मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के गांव धीरे-धीरे डूबने लगे हैं, क्योंकि सरदार सरोवर का जलस्तर बढ़ाने के लिए कई बांधों से पानी छोड़ा गया है, गांवों में हजारों परिवार अब भी मौजूद हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर कहती हैं कि यह कैसा मजाक है कि अफसर कह रहे हैं कि पहले अपना घर (मकान) तोड़ो, उसके बाद मुआवजा मिलेगा।

खुद तोड़ो अपना घर

छोटा बड़दा गांव के नर्मदा नदी के घाट पर जल सत्याग्रह कर रहीं मेधा का कहना है कि, “किसी भी व्यक्ति में इतना साहस हो सकता है कि वह अपनी मेहनत की कमाई से बनाए मकान को खुद तोड़े, मगर मध्यप्रदेश की सरकार और नर्मदा घाटी के जिलों के अफसर कहते हैं कि पहले मकान तोड़ो, तब पूरा मुआवजा मिलेगा, नहीं तो खदेड़ दिए जाओगे। इस इलाके में नर्मदा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और गांव के गांव डूबने लगे हैं।”

न गुजरात को पानी की न ही मप्र को बिजली की

मेधा का कहना है कि गुजरात को न तो पानी की जरूरत है और न ही मध्यप्रदेश को अतिरिक्त बिजली की, इस स्थिति में सरदार सरोवर बांध में ज्यादा पानी भरने का मकसद जनता का हित नहीं है, बल्कि एक व्यक्ति यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 17 सितंबर को जन्मदिन के जश्न को जोरशोर से मनाने के लिए यह सारा ‘स्वांग’ रचा जा रहा है। गुजरात में नर्मदा का पानी पहुंचाकर चुनाव जीतने का सपना संजोया जा रहा है।

इतिहास में काला दिन होगा 17 सितंबर

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए मेधा ने कहा, “यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा कि एक राज्य के हजारों परिवार नर्मदा नदी के पानी में डूब रहे थे, तो उस राज्य का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रभावित परिवारों के साथ खड़ा न होकर उन्हें डुबोकर जश्न मनाने वालों के साथ खड़ा था। संभवत: उपलब्ध इतिहास में अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ होगा।”

ऑकड़े बदल रही सरकार

मेधा का आरोप है कि सरकार की ओर से न्यायालय में पेश किए जाने वाले आंकड़े लगातार बदलते रहे, न्यायालय ने जो निर्देश दिए, उनका पालन नहीं किया गया, पुनर्वास स्थलों का हाल यह है कि वहां पीने का पानी नहीं है, बिजली नहीं है, ऐसे में वहां लोग रहेंगे कैसे? सरकार को इसकी चिंता नहीं है। 40 हजार परिवार तो प्रभावित हो ही रहे हैं, गौवंश, पेड़, धरोहर, स्मृतियों की तो कोई बात ही नहीं कर रहा है।

पीएम मोदी के आगे नतमस्तक हैं शिवराज

मेधा ने मध्यप्रदेश के सूखा और कम वर्षा का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य के बांध अभी भरे नहीं हैं, तालाबों में पानी कम है, नदियों का प्रवाह धीमा है, उसके बावजूद सरकार ने ओंकारेश्वर बांध और इंदिरा सागर बांध से पानी छोड़ा है, जिससे नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ गया है, ताकि गुजरात के सरदार सरोवर का जलस्तर बढ़ सके। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज नतमस्तक हैं, और वह हर वैसा काम करते जा रहे हैं, जिससे उनके राज्य का नुकसान हो।”

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192 गांवो को बर्बाद कर दिया गया है

मेधा ने आगे कहा कि डूब में आने वाले 192 गांव और एक नगर धर्मपुरी के लोगों की जिंदगी बर्बाद कर दिया गया है। एक तो उन्हें मुआवजा नहीं मिला और दूसरा, उन्हें उनके घरों से उजाड़ा जा रहा है। एक तरफ इंसान बर्बाद हो रहा है, तो दूसरी ओर औसतन हर गांव में एक हजार गौवंश, दो हजार पेड़ और 15 से 46 तक धार्मिक स्थल, जिनमें मंदिर, मस्जिद, मजार आदि शामिल हैं, सब जलमग्न होने वाले हैं।

मेधा की मांग है कि केंद्र हो या राज्य सरकार, उसे प्रभावित परिवारों को पुनर्वास स्थल तक पहुंचकर अपना जीवन व्यवस्थित करने का समय दिया जाना चाहिए था, अभी सरकार जलभराव को रोककर ऐसा कर सकती है। पुनर्वास स्थलों पर इंसानों के रहने लायक इंतजाम नहीं है, लोग कहां रहेंगे और अपने मवेशियों को कहां ले जाएंगे, यह सरकार को समझना चाहिए।

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