वाराणसी: आरोग्य के देव धन्वंतरि की उपासना से शारीरिक-मानसिक कष्ट से मिलती है मुक्ति

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वाराणसी: सनातन धर्म में कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि भगवान धन्वंतरि को समर्पित है. इस शुभ तिथि पर उनकी विशेष पूजा की जाती है. धार्मिक मत है कि भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से व्यक्ति को आय, सुख, सौभाग्य, ऐश्वर्य, एवं संपत्ति समेत सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है. धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है. ज्योतिष एवं आयुर्वेद के जानकार सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति के लिए भगवान धन्वंतरि की उपासना करने की सलाह देते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान धन्वंंतरि की उत्पत्ति कैसे हुई ? आइए, उनके अवतरण की कथा जानते हैं..

ऐसे हुआ भगवान धन्वंतरि का अवतरण

सनातन शास्त्रों में निहित है कि ऋषि दुर्वासा के श्राप के चलते स्वर्ग लोक लक्ष्मी विहीन हो गई थी. यह जान दानवों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर देवताओं को खदेड़ दिया और स्वर्ग पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया. स्वर्ग नरेश इंद्र देव सभी देवताओं के साथ ब्रह्मा जी के पास पहुंचे. ब्रह्मा जी ने उन्हें जगत के पालनहार भगवान विष्णु के पास जाने की सलाह दी. यह जान सभी देवता बैकुंठ भगवान विष्णु के पास पहुंचे. भगवान विष्णु को पूर्व से जानकरी थी. इसके लिए उन्होंने तत्क्षण देवताओं को समुद्र मंथन की सलाह दी. साथ ही यह भी सलाह दी कि किसी भी कीमत पर असुर अमृत पान न कर सके.

अगर असुरों ने अमृत पान कर लिया, तो फिर उन्हें युद्ध में परास्त करना मुश्किल हो जाएगा. इसके बाद देवताओं ने असुरों की मदद से समुद्र मंथन किया. समुद्र मंथन से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई. समुद्र मंथन के दौरान प्रथम रत्न में विष प्राप्त हुआ, जिसे देवों के देव महादेव ने देवताओं के अनुरोध पर सृष्टि की रक्षा के लिए धारण किया. वहीं, अंतिम रत्न अमृत कलश था, जिसे भगवान धन्वंतरि लेकर प्रकट हुए थे. इस कलश में अमृत था. अमृत पान के चलते देवता अमर हुए. इसके लिए कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वन्तरि की पूजा की जाती है. साथ ही बर्तन, स्वर्ण और चांदी से निर्मित आभूषणों की खरीदारी की जाती है.

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सबसे बडा धन स्वास्‍थ्‍य

काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि धन्‍वंतरी का लोग अब अर्थ सोने चांदी सहित अन्य चीजों की खरीदारी से लगाते हैं. जबकि धन्‍वंतरी का अर्थ खरीदारी से नहीं स्वास्थ्य से है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंसतरि की पूजा की जाती है. भगवान धनवंतरि द्वारा ही आयुर्वेद का आविष्कार किया गया. भगवान धन्वंतरि को ही आयुर्वेद का जनक माना जाता है. प्रोफेसर विनय कुमार पांडे का कहना है कि सभी व्यक्ति का सबसे बड़ा धन या पूंजी स्वास्थ्य ही है.

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