आरएसएस पर लगा प्रतिबंध तो काशी ने अटल बिहारी वाजपेयी को दिया था ठिकाना

वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी फिर बनारस आए. उन्होंने गढ़वासी टोला की बादला धर्मशाला में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.

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आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी की पुण्यतिथि है. ऐसे में हम उन दिनों की बात कर रहे हैं जब देश वर्ष 1947 में आजाद हुआ था. देश एक तरफ आजादी का जश्न मना रहा था तो वहीं विभाजन की विभिषिका भी झेल रहा था. इसी दौरान एक घटना के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लग गया था. संघ से जुड़े सदस्यों की गिरफ्तारी होने लगी. तब पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी काशी आ गए और यहां पक्का महाल के दूध विनायक मुहल्ले के एक मकान में छिप कर रहने लगे. यह मकान एक द्राविड़ परिवार का था. यहीं से वह संघ की पाक्षिक पत्रिका चेतना का प्रकाशन के साथ ही संघ की गतिविधियों का संचालन करने लगे. उस वक्त बनारस की जेल में संघ से जुड़े आचार्य गिरिराज किशोर, राजबली तिवारी, डा. भगवानदास अरोड़ा जैसे दिग्गज बंद थे. अटल बिहारी के प्रवास के बाद जब तक हालात सामान्य हुआ तब तक पक्के महाल का इलाका जनसंघ का गढ़ बन गया.

1971 में बनारस में किया संबोधित

वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी फिर बनारस आए. उन्होंने गढ़वासी टोला की बादला धर्मशाला में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उनको सुनने के लिए लोग अंदर से लेकर बाहर तक खड़े थे. बनारस के राजबली तिवारी, विश्वनाथ वशिष्ठ, शंकर प्रसाद जायसवाल, श्रीगोपाल साबू, विश्वनाथ डिडवानिया, बरमेश्वर पांडेय, चकिया के श्यामदेव, पालजी पाठक, गणेश चौरसिया, पन्नालाल गुप्ता, कुंदन सिंह भंडारी, राजनाथ सिंह, हरिश्चंद्र श्रीवास्तव हरीश जी आदि जनसंघ के नेता भी मौजूद थे.

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संबोधन की विशेष शैली के कारण अटल बिहारी वाजपेयी बनारस के लोगों में काफी लोकप्रिय हो गए थे. इस चुनाव के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी बनारस के कई प्रबुद्धजनों से भी मुलाकात की थी.

भीड़ इतनी हुई कि तिल रखने की नहीं थी जगह

अटल जी के नजदीकी श्रीगोपाल साबू के ज्येष्ठ पुत्र रंगनाथ साबू ने बताया कि पहला परमाणु परीक्षण 70 के दशक में हो चुका था. बावजूद इसके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देशों में शामिल करने की इच्छा अटल बिहारी वाजपेयी के मन में थी. संयोग बना और वर्ष 1996 में बीएचयू छात्रसंघ का उद्घाटन करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी बनारस आए. तब तक वे लोकसभा में विपक्ष के नेता थे.

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बीएचयू के एम्फीथिएटर मैदान में शाम छह बजे कार्यक्रम था. फरवरी माह की सर्द हवा बह रही थी. इसके बाद भी मैदान में तिल रखने भर की जगह नहीं थी. अटल बिहारी वाजपेयी तय समय शाम छह बजे की बजाए तीन घंटे विलंब से पहुंचे. इसी मंच से अटल जी ने भारत को परमाणु संपन्न बनाने की इच्छा भी जाहिर की.

परमाणु बम ड्राइंग रूम में सजाने के लिए नहीं रखा

बीएचयू का एम्फीथिएटर खचाखच भरा था. युवाओं का जोश देखने लायक था. उस वक्त पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो थीं. वह अक्सर भारत के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन की बात करती थीं. अपने चिरपरिचित अंदाज में अटल बिहारी वाजपेयी ने मंच से उनको जवाब दिया. बेनजीर के नाम का जिक्र करते कहा कि पड़ोसन को बता दो, हमने परमाणु हथियार ड्राइंग रूम में सजाने के लिए नहीं बना रखा है. इसके बाद तो कार्यक्रम स्थल तालियों से गूंज उठा. रात साढ़े 11 बजे तक अटल बिहारी वाजपेयी का संबोधन होता रहा और लोग सर्द मौसम में भी वहां से हटे नहीं. जोश से लबरेज तालियों की आवाज से माहौल गरम हो गया था.

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