लखनऊ में आतंकवादियों की गिरफ्तारी पर बनारस भी सतर्क, पहले भी यहां हो चुकी है घटनाएं
वाराणसी से देवेंद्र सिंह
उत्तर प्रदेश में दहशत फैलाने के मकसद से लखनऊ में दाखिल हुए संगठन पीएफआई के दो मेंबर्स की गिरफ्तारी के बाद वाराणसी एक बार फिर अलर्ट मोड पर आ गया है। कई बार आतंकी हमला झेला चुका यह शहर बेहद संवेदनशील है। इस शहर की जितनी आबादी है उसकी आधी लगभग हर तमाम वजहों से इस शहर में आती है।
हर धर्म और भाषा बोली के लोगों की यहां बस्तियां हैं। जितने बड़े-बड़े शहरों में नहीं उससे कहीं ज्यादा ठहरने के ठिकाने मौजूद हैं। इंटेलिजेंस के इनपुट के बावजूद सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि लाखों की भीड़ में इंसान की शक्ल में छुपे भेड़ियों की तलाश कैसे करेंगी।
अलर्ट मोड पर बनारस-
अमन के दुश्मन यूपी में दहशत फैलाना चाहते हैं। इंटेलिजेंस की इस इनपुट के बाद लखनऊ के इंदिरानगर से दो पीएफआई के मेंबर्स को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। इनके पास से बम बनाने के सामान मिले हैं।
पूछताछ में इन्होंने अपने प्लान का खुलासा करते हुए बताया कि उनके निशाने पर संघ, बीजेपी, हिंदूवादी संगठनों के नेताओं के साथ ही साधु-संत भी थे। इसके बाद बनारस में प्रशासन और पुलिस अलर्ट मोड में आ गयी है। होटल, रेस्तरां, गेस्ट हाउस, धर्मशाला, मुसाफिरखानों में संदिग्धों की तलाश की जा रही है। इन्फॉर्मर्स को अलर्ट कर दिया गया है। घाटों, मठों, मंदिरों समेत तमाम सार्वजनिक जगहों पर नजर रखी जा रही है।
पीएम का है संसदीय क्षेत्र-
बनारस में सुरक्षा एक बड़ी चुनौती इसलिए भी बन जाती है क्योंकि यह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। वो अक्सर यहां आते हैं और यहीं से देश और दुनिया को संदेश देते हैं। आतंकी मंसूबे रखने वाले इसका ही फायदा उठाकर दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहते हैं।
यहां धर्म, शिक्षा और राजनीति से जुड़े कद्दावर लोगों का जमावड़ा हर वक्त रहता है। पीएफआई का प्लान एसे लोगों को ही निशाना बनाना है। ऐसे में बनारस उनके लिए बेहद मुफीद जगह साबित होती है। हालांकि यहां इंटलिजेंस यूनिट इतनी मुस्तैद रहती है कि गलत नियत रखने वाले इस शहर में दाखिल होने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।
खतरा है बड़ा-
घनी आबादी वाले शहर में तमाम एक्टिविटी ऐसी होती है जिसमें भारी भीड़ होती है। दहशतगर्द इसको भी अपना निशाना बना सकते हैं। इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी यूनिट के सामने सबसे बड़ी चुनौती भीड़ के बीच मौजूद अमन के दुश्मनों को पहचानना है।
इस शहर में 50 स्टार रैंकर होटल हैं। 250 अन्य छोटे होटल हैं जिसमें बाहर से आने वाले ठहरते हैं। 350 गेस्ट हाउस गंगा किनारे समेत तमाम इलाकों में संचालित होते हैं। 100 से ज्यादा धर्मशाला और मुसाफिरखाना हैं। ठहरने के इतने ठिकानों में किसी संदिग्ध को तलाशना आसान नहीं है। इसके बावजूद पुलिस लगातार अपनी नजर चौकस रखती है।
बाहरियों की आती है भारी भीड़-
बनारस शहर की आबादी एसे ही भारी भरकम है। 10 किलोमीटर के दायेर में करीब 22 लाख लोग रहते हैं। इसके अलावा सामान्य दिनों में हर रोज लगभग दस लाख लोग अलग-अलग वजहों से यहां आते हैं। प्राचीन समय से ही शिक्षा का प्रमुख स्थल रहा बनारस बीते एक दशक से कोचिंग का हब बन गया है। इसकी वजह से दूसरे शहरों और प्रदेशों से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स आते हैं।
चिकित्सा सुविधा यहां दिन ब दिन बढ़ती जाती है। बेहतर इलाज की तलाश में आसपास के जिलों व प्रदेश के अलावा नेपाल से भी लोग यहां इलाज के लिए आते हैं। यह नगर धर्म को तो प्रमुख केंद्र है। बारह ज्योर्तिलिंग में शामिल काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा बौद्ध तीर्थ सारनाथ, जैन तीर्थकरों की जन्मस्थली को नमन करने दुनिया भर के लोग यहां आते हैं।
शहर में दाखिल होने के इतने मार्ग हैं कि यहां आने वाले हर किसी की जांच संभव नहीं है। इसका ही फायदा उठाते हुए आतंकियों ने छह बार इस शहर को दहलाया है। इस बाबत एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि पुलिस तो हमेशा एलर्ट रहती है। जहां तक लखनऊ में पकड़े गये दो पीएफआई मेंबर्स की बात है उनका बनारस से अभी तक कोई कनेक्शन सामने नहीं आया है।
कई बार किया धमाका-
बनारस में सबसे पहला ब्लास्ट 23 फरवरी 2005 को हुआ था। दशाश्वमेध घाट पर शाम के वक्त लोगों की भीड़ जमा थी इसी दौरान जोरदार धमाका हुआ। इसमें सात लोगों की मौके पर मौत हो गयी थी। 16 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उस वक्त इसे सिलेंडर ब्लास्ट माना गया लेकिन बाद में जांच में आतंकी हरकत का पता चला।
दूसरा अटैक 7 मार्च 2006 को हुआ। शाम के वक्त संकटमोचन और कैंट स्टेशन ब्लास्ट पर ब्लास्ट हुआ। इसमें 27 लोगों की जान चली गयी थी। दशाश्वमेध पर बम मिला था। फूलपुर के वलीउल्लाह को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। 23 नवंबर 2007 को बनारस कचहरी में दो ब्लास्ट हुआ था। इसमें 9 लोगों ने जान गंवायी थी और 50 से अधिक घायल हो गए थे।
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