वाराणसी: काशी में स्थापित है सबसे ऊंचा शिव मंदिर…
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित विश्वनाथ मंदिर को बिरला ने कराया था पूरा
वाराणसी: श्रावण मास चल रहा है और यहां पर कई ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग है सभी का अपना अलग-अलग महत्व है. वहीं अगर बात करें मंदिरों की तो यहां पर कई ऐसे मंदिर भी बने हैं जो अपने आप में विशेष हैं. अगर आप बनारस के रहने वाले हैं या फिर बाहर के रहने वाले हैं और कभी बनारस घूमने आए तो आपने काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर के ठीक बीचो-बीच विशाल विश्व नाथ मंदिर को जरूर देखने जाएं.
भारत का ये सबसे विशाल शिवमंदिर ना सिर्फ बनारस की शान है बल्कि इसकी भव्या नक्कासशी और आस-पास का वातावरण यहां आने वाले हर किसी का मन मोह लेता है. आइए, जानते हैं बीएचयू परिसर में स्थिीत इस विशाल शिव मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्यह जो शायद आप नहीं जानते होंगे.
शिखर के दर्शन मात्र से पूर्ण होती मनोकामना
पुरातन शहर काशी में देश का सबसे ऊंचा मन्दिर स्थापित है. बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में स्थित काशी विश्वनाथ का मंदिर अपने भव्यता के लिए जाना जाता है. बीएचयू के इस मंदिर की ऊंचाई दिल्ली के कुतुब मीनार या यूं कह लें कि सबसे बड़े शिव मंदिर में से एक है. सनातन धर्म में यह भी कहा जाता है कि अगर आप मंदिर के शिखर का दर्शन कर लिए तो आपका दर्शन पूर्ण माना जाएगा. मंदिर से कई किलोमीटर दूर शहर के ज्यादातर छतों या ऊंचे जगहों से लोग इस मन्दिर के शिखर का दर्शन कर सकते है.
बीएचयू के काशी विश्वनाथ मंदिर के शिखर की ऊंचाई 252 फीट है. इस हिसाब से देखा जाए तो बनारस का ये मन्दिर देश का सबसे ऊंचा शिखर वाला मंदिर है. अयोध्या में बना राम मंदिर के शिखर की ऊंचाई भी इससे काफी कम है. अयोध्या में तैयार हुए भगवान राम मंदिर की प्रस्तावित ऊंचाई 161 फीट है.
काशी विश्वनाथ मंदिर का शिखर 252 फीट ऊंचा
बीएचयू के प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि यूं तो देश का सबसे ऊंचा मंदिर मध्यप्रदेश के ओरछा में स्थित चतुर्भुज मंदिर के नाम है. इस मंदिर की कुल ऊंचाई 344 फीट है लेकिन यही इसके शिखर की बात करें तो उसकी ऊंचाई 240 फीट है. जबकि बीएचयू के काशी विश्वनाथ मंदिर का शिखर 252 फीट ऊंचा है. इस लिहाज से ये मंदिर देश का सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर है. यह मंदिर द्रविण और नागर के साथ बेसर वास्तुशैली पर आधारित है.
इस मन्दिर का निर्माण कई खंड में हुआ है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित संस्कृत विद्यार्थी विज्ञान संकल्प के प्रोफेसर और विश्वनाथ मंदिर के समन्वयक प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि मार्च 1931 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के निवेदन के बाद तपस्वी स्वामी कृष्णम ने इसकी आधारशिला रखी थी. स्वामी कृष्णम को मनाने में मालवीय जी को 4 साल लग गए थे. मंदिर का कुछ अधूरा रह गया था इसके बाद मालवीय जी का देहांत हो गया.
मालवीय जी के देहांत के बाद उद्योगपति जुगल किशोर बिरला ने 1954 में इसके निर्माण का काम पूरा कराया. हालांकि उस वक्त भी मंदिर के शिखर का काम अधूरा था. उसके बाद 1962 में यह मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ. यह मंदिर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के केंद्र में स्थापित है. यह पूरा मंदिर सफेद संगमरमर के पत्थरो से बना हुआ है और इसके शिखर पर 10 फीट ऊंचा कलश भी स्थापित है.
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पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र
वाराणसी आने वाले पर्यटकों के लिए ये मंदिर आकर्षण का केंद्र है. इसके अलावा शाम के समय इस मन्दिर में रंग बिरंगी रोशनी इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देती है. काशी हिन्दू विश्वीविद्यालय परिसर के ठीक बीचो-बीच स्थिशत यह मंदिर 2,10,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में स्थिहत है. हर दिन यहां पर दर्शनार्थियों का दर्शन करने के लिए भीड़ लगी रहती है परंतु सावन में यह भीड़ काफी बढ़ जाती है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर बाबा का दर्शन पूजन करते हैं.