Varanasi: पीएम मोदी समेत कई दिग्गजों का भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद
सातवें चरण का घमासान, कई दिग्गज मैदान में, कुछ सीटों पर फंसा पेंच
Varanasi: लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गजों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो गया है. पीएम मोदी के रिकार्ड मतों से जीत का दावा तो पहले से किया जा रहा है, लेकिन इसकी हकीकत का पता चार जून को ही लग सकेगा. वहीं अन्य सीटों पर दिग्गजों की साख दांव पर लगी है. यूपी की सीएम योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर सीट है तो केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी चुनाव मैदान में हैं.
सातवें चरण में यूपी के 13 लोकसभा क्षेत्रों में एक जून को मतदान हुआ. 13 सीटों में महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रोबर्ट्सगंज शामिल हैं. माना जा रहा है कि घोसी, गाजीपुर और मिर्जापुर में पेंच फंसा हुआ है. वाराणसी संसदीय सीट से पीएम मोदी ने 2019 में 2014 से भी ज़्यादा अंतर के साथ चुनाव जीता है. इस बार लक्ष्य 2019 से भी बड़ी जीत का रखा गया है. वहीं कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर दांव लगाया है. बसपा से अतहर जमाल लारी चुनाव लड़ रहे हैं.
देश की वीआईपी सीट है वाराणसी
वाराणसी के बाद गोरखपुर लोकसभा सीट भी वीआईपी सीटों की लिस्ट में शुमार है. यहां बीजेपी ने भोजपुरी अभिनेता और मौजूदा सांसद रवि किशन को टिकट दिया है. उनका मुकाबला सपा नेता काजल निषाद से हैं. वहीं, बसपा ने मुस्लिम चेहरे जावेद सिमनानी पर दांव लगाया है.
चंदौली लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय हैट्रिक लगाने के इरादे से मैदान में है. उनका मुकाबला इंडिया गठबंधन की ओर से सपा के वीरेंद्र सिंह और बसपा के सत्येंद्र कुमार मौर्य से है. वहीं रॉबर्ट्सगंज सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प है. यहां बीजेपी ने मौजूदा सांसद पकौड़ी लाल कोल की बहू रिंकी कोल को टिकट दिया है. जबकि सपा ने छोटेलाल खरवार और बसपा ने धनेश्वर गौतम को प्रत्याशी बनाया है.
घोसी व कुशीनगर में त्रिकोणीय लड़ाई
घोसी लोकसभा सीट पर बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है. इस सीट पर एनडीए को ओर से ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर ताल ठोंक रहे हैं. सपा ने राजीव राय पर दांव चला है, जबकि बसपा ने बालकृष्ण चौहान को उतारकर ओबीसी वोटरों में सेंध लगाने की कोशिश की है. यहां लड़ाई त्रिकोणीय दिख रही है. कुशीनगर लोकसभा सीट पर लड़ाई दिलचस्प है. बीजेपी की ओर से मौजूदा सांसद विजय दुबे इस बार हैट्रिक के इरादे से मैदान में हैं तो वहीं इंडिया गठबंधन की ओर से अजय प्रताप सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर स्वामी प्रसाद मौर्य के आने से मुकाबला बढ़ गया है. मौर्य राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी से चुनाव मैदान में हैं.
अनुप्रिया पटेल की जीत भी कांटों भारी
मिर्जापुर से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल चुनाव लड़ रही हैं. वो लगातार दो बार यहां से सांसद रह चुकी हैं. सपा ने बीजेपी से आए रमेश बिंद को टिकट दिया है, जबकि बसपा ने मनीष त्रिपाठी को चुनाव में उतारकर दलित-ब्राह्मण समीकरण को साधने की कोशिश की है. देवरिया लोकसभा सीट सपा-कांग्रेस गठबंधन में कांग्रेस के खाते में आई है. इस सीट से कांग्रेस ने अखिलेश सिंह को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी की ओर से शशांकमणि त्रिपाठी चुनाव लड़ रहे हैं.
बसपा ने यहां यादव चेहरे पर दांव चला है और संदेश यादव को टिकट दिया है. सलेमपुर में बीजेपी ने फिर दो बार के सांसद रहे रवींद्र कुशवाहा पर दांव लगाया है. उनका मुक़ाबला सपा की ओर से पूर्व सांसद रहे रमाशंकर राजभर से हैं. बसपा ने भीम राजभर को चुनाव में उतार राजभर वोटों को काटने की कोशिश की है. महाराजगंज सीट पर बीजेपी की ओर से छह बार के सांसद रह चुके पंकज चौधरी, सपा की ओर से वीरेंद्र चौधरी और बसपा ने मौसम ए आलम को प्रत्याशी बनाया है.
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गाजीपुर में मुख्तार फैक्टर की परीक्षा
मुख्तार अंसारी की मौत के बाद गाजीपुर लोकसभा सीट पर भी कड़ा मुक़ाबला देखने को मिल रहा है. सपा ने यहां से मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को टिकट दिया है. अफजाल ने पिछली बार बसपा के चुनाव चिन्ह पर यहां से जीत हासिल की थी, वो पांच बार विधायक भी रह चुके हैं जबकि बीजेपी की ओर से पारसनाथ राय चुनाव लड़ रहे हैं. बांसगांव सीट पर पूर्व सांसद सुभावती पासवान के बेटे कमलेश पासवान बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर मैदान में हैं. वो तीन बार सांसद रह चुके हैं. सपा ने यहां संदल प्रसाद और बसपा ने रामसमूझ सिंह को उम्मीदवार बनाया है. डॉ. रामसमूझ पूर्व इनकम टैक्स अफसर भी रह चुके हैं.