वाराणसी : सिगरा पर खड़े होने लगे रोपवे टॉवर, जाने कब तक पूरा होगा प्रथम चरण का कार्य

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लोकसभा चुनाव के बीच वाराणसी में रोप-वे निर्माण में भी दिन प्रति दिन तेजी देखने को मिल रही है. वहीं इससे सबंधित टावर खड़ा करने का काम चल रहा है. सिगरा चौराहे से सिद्धगिरीबाग जाने वाले मार्ग पर 25 मीटर की ऊंचाई पर सीमेंट के बेस पर स्टील के बड़े-बड़े टावर खड़े किए जा रहे हैं.

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मार्च 2025 तक पूरा हो जाएगा प्रथम चरण का कार्य

कैंट, काशी विद्यापीठ और गोदौलिया में रोप-वे स्टेशन से जुड़े निर्माण कराए जा रहे हैं. अधिकारियों के अनुसार पहले चरण का काम मार्च 2025 तक पूरा किया जाना है. अधिकारियों के आगमन के मद्देनजर रोप-वे के कार्य को युद्ध स्तर पर कराया जा रहा है. वहीं टावर खड़ा करने के लिए बड़े- बड़े क्रेन का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं रात में काम कराया जा रहा है ताकि शहरवासियों के रोजमर्रा का काम में बाधा न पड़े. रात में रास्ता बंद करके काम कराया जा रहा है.
रोप-वे के गंडोला को दशाश्वमेध प्लाजा पर लोगों को देखने के लिए रखा गया है. एनएचएमएल के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा को ध्यान में रखकर रोप-वे के टावर खड़े किए जा रहे हैं. वहीं निर्माण कार्य की नियमित निगरानी की जा रही है. रोप-वे के बनने के बाद कैंट रेलवे स्टेशन से विश्वनाथ मंदिर और दशाश्वमेध घाट जाना आसान हो जाएगा. वहीं पर्यटक काशी का एरियल व्यू का भी लुत्फ उठा सकेंगे.

करीब 400 करोड़ की लागत से हो रहा है निर्माण

4.2 किलोमीटर लंबे रोपवे के निर्माण में करीब 400 करोड़ रुपए का खर्चा आयेगा. बता दें कि इस योजना पर 80 फीसदी केंद्र सरकार और 20 फीसदी राज्य सरकार खर्चा करेगी.
सरकार को उम्मीद है कि इससे शहर में जाम की समस्या को कम करने की मदद मिलेगी. इसके लिये शहर के 4 सबसे व्यस्त इलाकों का चुनाव किया गया है.

रोपवे पर 220 ट्रालियां चलेंगी

कुल 4 रोप-वे स्टेशन का निर्माण होना है. जहां से लोग इसकी सेवा ले सकेंगे. कैंट रेलवे स्टेशन, साजन तिराहा ,रथयात्रा और गिरजाघर चौराहे पर रोपवे स्टेशन बनना है. अधिकारियों के अनुसार रोपवे की कुल ऊंचाई 45 मीटर होगी. वहीं रोपवे पर 220 ट्रालियां चलाने का अनुमान है. एक ट्राली में 10 लोग सवार होंगे. रोप-वे स्टेशन से हर मिनट पर यात्रियों के लिए ट्रॉली उपलब्ध होगी.
काशी की कला-संस्कृति की दिखेगी झलक

बताया जा रहा है कि रोप-वे स्टेशन को ऐसे डिजाइन किया जाएगा कि पर्यटकों को दूर से ही काशी की कला-संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. हर ट्रॉली पर चित्रों के माध्यम काशी के पौराणिक महत्व को दर्शाया जाएगा.

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