भारतीय शास्त्रीय संगीत के अप्रतिम आचार्य थे पं० रामाश्रय झा ‘रामरंग’
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र, वाराणसी एवं रामरंग समिति के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘रामरंग जयन्ती संगीत समारोह - 2024’ रविवार को केन्द्र के सभागार में आयोजित किया गया.
काशी नगरी प्राचीनकाल से ही भारतीय संगीत के अनेक विद्वानों, शास्त्रकारों, संगीतज्ञों और वाग्गेयकारों द्वारा समृद्ध तथा विकसित होती रही है. इनमें भरत, शारंगदेव इत्यादि से लेकर आधुनिक काल के पं० विष्णु नारायण भातखण्डे, पं० विष्णु दिगम्बर पलुस्कर आदि के नाम उल्लेखनीय हैं. इसी क्रम को आगे बढ़ाने के क्रम में पं० रामाश्रय झा ‘रामरंग’ ने प्रकाण्ड विद्वान् वाग्गेयकार, संगीतज्ञ, शास्त्रज्ञ, आदर्श गुरू एवं उच्चकोटि के कलाकार के रूप में भारतीय शास्त्रीय संगीत में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है.
आचार्य रामाश्रय झा ‘रामरंग’ जी के अप्रतिम योगदानों का स्मरण करते हुये इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र, वाराणसी एवं रामरंग समिति के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘रामरंग जयन्ती संगीत समारोह – 2024’ रविवार को केन्द्र के सभागार में आयोजित किया गया. कार्यक्रम में केन्द्र के क्षेत्रीय निदेशक डा. अभिजित् दीक्षित ने काशी की उन्नत संगीत परम्पराओं में नादवेद से लेकर रामरंगजी तक व्यापक सांगीतिक परम्परा का उल्लेख कर सभी से इस महानाद में सम्मिलित करने का आग्रह किया.
रामराज्यभिषेक’ प्रसंग का गायन
प्रथम प्रस्तुति के रूप में रामरंग रामायण के अन्तर्गत ‘रामराज्यभिषेक’ प्रसंग का गायन किया गया. इसमें सर्वप्रथम गणेश वन्दना श्री प्रणव शंकर जी ने राग बिलावल में प्रस्तुत की. ईशान घोष जी ने राग रागश्री में गुरुवन्दना, रागनट में तुलसी वन्दना भरत अंकित एवं पलाश चन्द्र विश्वास ने प्रस्तुत की. इसके बाद प्रसंग के अन्तर्गत राग यमन कल्याण में सुश्री रचना एवं राग मारुविहार में रचना, प्रियंका सहवाल एवं श्रुति झा ने अनुपम बन्दिश प्रस्तुत की. अवधपुरी के प्रसंग के अन्तर्गत वागीशा पाण्डेय और हरिप्रिया पाण्डेय ने राग श्यामकल्याण में गुरुजी की अनेक रचनाएं प्रस्तुत की.
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प्रसंग के अन्त में समूह ने राग तिलककामोद में रामायण जी की आरती प्रस्तुत की. इस प्रस्तुति में हारमोनियम पर डॉ० मनोहर श्रीवास्तव एवं तबले पर डॉ० अभिनव आचार्य ने सुमधुर संगत प्रदान किया.
गोवा के कलाकारों ने दी प्रस्तुति
कार्यक्रम में गोवा से आए डॉ० प्रवीण गावकर, शास्त्रीय गायन के रूप में राग मधुवन्ती में विलम्बित खयाल एकताल में निबद्ध ‘बरखा ऋतु आयी…’ बन्दिश प्रस्तुत की तथा अन्य विविध शास्त्रीय रागों में अपनी सुमधुर विशिष्ट प्रस्तुति की. इस प्रस्तुति में संगत कलाकार के रूप में तबले पर श्री पंकज राय, हारमोनियम पर हर्षित उपाध्याय, सारंगी पर श्री अनीश मिश्रा साथ ही तानपुरा सहयोग श्री आदित्य एवं ईशान ने सहभागिता की.
कार्यक्रम का सुमधुर संचालन श्री कृष्णा कुमार तिवारी द्वारा किया गया. आचार्य रामरंग जी की शिष्य परम्परा के विशिष्ट संवाहक एवं संगीत एवं मंचकला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वरिष्ठाचार्य डॉ० रामशंकर ने सभी आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापन किया.
इन दिग्गजों की रही उपस्थिति
कार्यक्रम में काशी के मूर्धन्य संगीतपरम्परा के विशिष्ट विद्वानों के रूप में पद्मश्री प्रो० ऋत्विक सान्याल, पद्मश्री प्रो० राजेश्वराचार्य, प्रो० संगीता पण्डित, डॉ० कुमार अम्बरीष चंचल, डॉ० प्रवीण उद्धव, प्रो० स्वरवन्दना शर्मा, प्रो० बीरेन्द्र नाथ मिश्र, पं० गणेशप्रसाद मिश्र, पं० किशन राम डोहकर, श्री राहुल भट्ट कार्यक्रम में उपस्थित थे. इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में आचार्य रामरंग जी की शिष्य परम्परा तथा संगीत एवं मंचकला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्र-छात्राएं कार्यक्रम में मौजूद रहीं.