यूपी में निजीकरण का विरोध, आज से बिजली कर्मियों ने दी हड़ताल की चेतावनी

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यूपी में बिजली व्यवस्था के निजीकरण के फैसले के विरोध में कर्मचारियों ने बिगुल फूंक दिया है. इसी क्रम में 7 दिसंबर से बिजली कर्मियों ने बेमियादी हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है. इसको लेकर प्रदेश सरकार ने भी एहतियातन कडा फैसला लेते हुए एस्मा (ESMA) लागू कर दिया है. इसके बाद यदि बिजली कर्मचारी हड़ताल पर गये और बिजली आपूर्ति बाधित हुई तो जिम्मेदारों को कड़ी कार्रवाई के दायरे में आएंगे. वहीं आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को हड़ताल से अलग रहने को कहा गया है. ऐसे में विद्युत व्यवस्था पर क्या पडेगा असर और उनकी मांगों के बारे में जानते हैं.

सरकार ने हड़ताल पर लगाई पाबंदी

दरअसल, योगी सरकार ने पिछले दिनों स्पपष्ट संकेत दिया था कि बिजली विभाग में जहां-जहां भी नुकसान अधिक है, वहां निजीकरण किया जाएगा. इसके बाद अनुमान लगाया जाने लगा कि सरकार निजीकरण व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू कर सकती है. उत्त‍र प्रदेश के बिजली कर्मचारी संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध शुरू कर दिया है. वहीं शुक्रवार शाम यूपी सरकार ने अपने अधीन विभागों, निगमों और प्राधिकरणों में छह माह के लिए हड़ताल पर पाबंदी लगा दी है. माना जा रहा है कि यह प्रतिबंध निजीकरण के खिलाफ बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए लगाया गया है.

घाटे को पाटने के लिए उठाये कदम

पावर कार्पोरेशन को साल दर साल घाटे का सामना करना पड रहा है. हाल यह है कि साल 2024-25 में यह घाटा बढ़कर करीब 1.18 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. साल 2025-26 के लिए बिजली कंपनियों का कुल घाटा 12,800 से 13,000 करोड़ रुपये के बीच आने का अनुमान है. बिजली विभाग के घाटे की वजहों में से एक है बड़े पैमाने पर बिजली चोरी है. बिजली विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हर महीने बिल न भरने वाले उपभोक्ताओं की वजह से भी हो रहा है. पिछले चार साल में यह घाटा 29 हजार करोड़ रुपये बढ़ गया है.

इससे उबरने के लिए सरकार निजीकरण पर विचार कर रही है. यूपी में विद्युत वितरण निगमों में सुधार प्रक्रिया के तहत पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को विभाजित करके पांच नई कंपनियां बनाई जाएंगी. इसके चेयरमैन राज्य के सर्वोच्च अधिकारी, मुख्य सचिव होंगे. उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन का मानना है कि इस निर्णय से बिजली कंपनियों के कर्मचारियों, उपभोक्ताओं और किसानों के हित सुरक्षित रहेंगे. सरकार दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम को पीपीपी मॉडल के RFP (रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल) लाना चाह रही है.

बिजली विभाग के कर्मचारियों की ये मांगें

– यूपी में बिजली के निजीकरण पर रोक लगाई जाए.
– बिजली विभाग में कर्मचारियों की स्थाई नियुक्ति हो
– संविदाकर्मियों को नियमित किया जाए
– ठेकेदारी प्रथा को खत्म किया जाए
– कर्मचारियों की नई भर्ती की जाए
– वेतन विसंगतियों का समाधान किया जाए
– अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के चयन प्रक्रिया में सुधार
– ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किया जाए
– संविदा कर्मचारियों को भी प्रमोशन मिले

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क्‍या है एस्‍मा

एस्‍मा (ESMA) यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट. इसे हिंदी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से भी जाना जाता है. यह कानून तब इस्तेमाल किया जाता है जब कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं. इस कानून को हड़ताल को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. खास बात यह है कि इस कानून ज्यादा से ज्यादा 6 महीने के लिए लगाया जा सकता है. हालांकि, इस कानून को लगाने से पहले सरकार द्वारा कर्मचारियों को एक नोटिफिकेशन देना आवश्यक होता है.

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