Varanasi Top News: शिष्य के बुलावे पर बनारस पहुंचे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, शिष्यों का लगा तांता, यहां पढ़ें- वाराणसी की प्रमुख खबरें
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने शिष्य प्रशांत शुक्ला के घर पहुंचे.
Varanasi News In Hindi: वाराणसी में पिछले चौबीस घंटे में कई खबरें ऐसी रही जो सुर्खियों में बनी रहीं. इनमें क्राइम और अन्य खबरें शामिल रहीं. पढ़ें इन खबरों के बारे में विस्तार से…
बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गुरुवार की भोर में वाराणसी के फूलपुर क्षेत्र के ढोरा गांव में अपने शिष्य प्रशांत शुक्ला के घर पहुंचे. वह अपने इस शिष्य के विशेष आग्रह पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री वाराणसी आए हैं.
दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़
बताया गया कि प्रशांत शुक्ला के विशेष आग्रह पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गुरुवार की भोर में उनके घर पहुंचे. जब इसकी सूचना आसपास फैली तो लोग वहां उमड़ पड़े.
इसके बाद गुरु के दर्शन के लिए शिष्यों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई. बाबा यहां कब तक रहेंगे उनकी दिनचर्या क्या होगी इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है.
Also Read- बनारस स्टेशन पर बना किड्स जोन, खेलने के साथ चलाएंगे टॉय कार
बागेश्वर धाम के बारे में
बता दें बागेश्वर धाम भारत का एक पवित्र और धार्मिक स्थल है जहां भगवान हनुमान का मंदिर है. बागेश्वर धाम भारत के मध्य प्रदेश के एक छोटे से जिले छतरपुर में स्थित है. बागेश्वर धाम को बालाजी सरकार के नाम से भी जाना जाता है. बागेश्वर धाम अनेक तपस्वियों की दिव्य भूमि है, जहां दर्शन मात्र से ही लोगों को बालाजी महाराज की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है.
इसके साथ ही बागेश्वर धाम, बालाजी सरकार का एक ऐसा मंदिर है जहां के बारे में मान्यता है कि यहां दर्शन करने और 11 या 21 परिक्रमा करने के बाद हर बड़े से बड़े काम मुमकिन हो जाते हैं. बता दें, हनुमान की कृपा और आशीर्वाद लेने के लिए भक्त भारत के साथ-साथ विदेशों से भी यहां पधारते हैं.
कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री
बता दें कि पूरे देश में घूम-घूमकर कथा करने वाले बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश एक कथा का एक लाख से डेढ़ लाख रुपए लेते हैं. इस दौरान वह जहां कथा करने जाते हैं वहां लगभग 15 दिन तक कथा करते हैं.
ऐसे में मिली जानकारी के मुताबिक धीरेंद्र शास्त्री महीने का साढ़े तीन लाख रुपए तक कमा लेते हैं. इसके साथ ही कुछ लोगों का कहना है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सिर्फ आठवीं तक पढ़े हैं. वहीं एक इंटरव्यू में धीरेंद्र खुद जानकारी दी थी वह बीए कर चुके हैं.
बेंगलुरु व कोलकाता के फूलों से सजेगा माता का दरबार
लक्ष्मीकुंड स्थित महालक्ष्मी मंदिर में 16 दिवसीय सोरहिया मेला समापन के उपलक्ष्य में श्रृंगार-संगीत उत्सव मेला 27 सितंबर को मनाया जाएगा. इस उत्सव पर महालक्ष्मी दरबार बेंगलुरु व कोलकाता से मंगाए गए 21 क्विंटल विशेष प्रकार के फूलों और पत्तियों द्वारा आकर्षक ढंग से सजाया जाएगा, इसके इसके लिए विशेष तैयारियां की जा रही है.
बता दें कि महालक्ष्मी मंदिर में सोरहिया मेला के दौरान श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है. मंदिर में 16 दिवसीय सोरहिया मेला समापन के उपलक्ष्य में माता का श्रृंगार-संगीत उत्सव हर वर्ष 27 सितंबर को मनाया जाता है.
कोलकाता के 30 कारीगर काम पर हैं लगे
गैर प्रदेशों से मंगाएं फूल-पत्तों में गेंदा, मुर्गा फूल, पाल पत्र, साइना पत्र, आर्काइट पुष्प, सनफरिया पत्र, रजनीगंधा , पैराग्रास, कामिनी पत्ता, जरवेरा और करानेशन सहित अनेक प्रकार के फूल-फल से माता का दरबार पिछले एक सप्ताह से सजाया जा रहा है.
Also Read- वाराणसी: दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण संतोषजनक- राज्यपाल
इसके लिए कोलकाता के 30 कारीगर दिन-रात इसे सजाने व लगाने में लगे हैं. फूलों के श्रृंगार के साथ-साथ 56 प्रकार की मिठाईयों और मेवा से महालक्ष्मी का दरबार भी सजाया जाएगा.
महालक्ष्मी पीठ काशी में शक्तिशाली शक्तिपीठ
महालक्ष्मी मंदिर को काशी खंड में वर्णित किया गया है कि यह संपूर्ण क्षेत्र परमसिद्धिपाद महापीठ है. काशी में स्थित सभी शक्तिपीठों में महालक्ष्मी पीठ सभी सिद्धियों को पूर्ण करने वाला सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठ है.
मंदिर में 16 दिवसीय सोरहिया मेला के दौरान 16 दिनों तक व्रत रहकर महिलाएं मां का दर्शन-पूजन और अनुष्ठान करती हैं. मंदिर की नियमित 16 परिक्रमाएं भी लगाई जाती हैं.
ऐसी मान्यता है कि 16 दिनों की आराधना से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
प्राचीन काली मठ में श्रृंगार-संगीत उत्सव आज से, सजेगी विभिन्न रूपों की झांकियां
वाराणसी के लक्सा लक्ष्मीकुंड स्थित प्राचीन काली मठ में मां काली का तीन दिवसीय भव्य श्रृंगार-संगीत उत्सव 26 सितंबर से 28 सितंबर तक होगा. अलग-अलग दिन विभिन्न रूपों में झांकी सजाई जाएगी. तीन दशक की परंपरानुसार मां काली के तीन दिवसीय श्रृंगार-संगीत उत्सव में पहले दिन गुरुवार को विभिन्न प्रकार के फूलों से मां की झांकी सजाई जाएगी.
कलाकार पेश करेंगे गायन-वादन
वहीं दूसरे दिन संध्या में विभिन्न प्रकार के मेवा और तीसरे और अंतिम संध्या में मां का अड़भंगी श्रृंगार किया जाएगा. इस अवसर पर पूर्वांचल के मशहूर कलाकार गीतों की प्रस्तुती करेंगे . साथ ही अन्य कलाकार गायन-वादन और नृत्य करेंगे.
लक्ष्मी कुण्ड की पौराणिकता
पौराणिक कथाओं के अनुसार लक्ष्मी कुण्ड काशी धर्म क्षेत्र के रूप में विद्यमान था. उस समय वनों से आच्छादित यह क्षेत्र ‘आनन्द कानन’ कहलाता था.
इसके साथ ही यहां ताल- तलैया, पोखरे, सरोवर और जलाशय की भरमार थी. इन जलाशयों में कुछ वर्तमान स्वरूप आज भी बरकरार हैं जिसमें लक्ष्मीकुण्ड को प्रमुख माना जाता है.
वाराणसी: ई-रिक्शा चालकों के खिलाफ कार्रवाई जारी
यातायात की सुविधाओं को देखते हुए और इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए वाराणसी प्रशासन द्वारा ई-रिक्शा चालकों के लिए नए नियम लागू किए गए हैं. इसके तहत रूट निर्धारण योजना के तहत दिए जा रहे क्यूआर कोड व रंगीन स्टीकर के बिना चलने वाले ई-रिक्शा के खिलाफ बुधवार को भी कार्रवाई जारी रही.
फिटनेस और कागजात के बिना चलने वाले ई-रिक्शा
कार्रवाई के दौरान फिटनेस के साथ-साथ कागजात के बिना चलने वाले 125 ई-रिक्शा को जहां सीज किया गया वहीं 190 का चालान किया गया है. दूसरी ओर बिना परमिट के चलने वाले 48 आटो को सीज किया गया और 164 का चालान किया गया.
थानों की पुलिस ने भी की कार्रवाई
यातायात नियमों का पालन नहीं करने वाले वाहनों के खिलाफ ट्रैफिक के साथ थानों की पुलिस ने भी कारर्वाई की है.
थानाकर्मियों ने 35 ई-रिक्शा को सीज कर 177 का चालान किया भी किया है.