वाराणसीः भाजपा के दिवंगत नेता के ट्रस्ट का विवाद गहराया, करीबी महिला समेत सात पर एफआईआर, जानें मामला

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वाराणसीः भाजपा के पूर्व विधायक और दिवंगत नेता सुनील बालकृष्ण ओझा के ट्रस्ट की संपत्तियों को लेकर विवाद गहराने लगा है. उनके बेटे, गुजरात के बड़ौदा के मूल निवासी और महमूरगंज स्थित विराट विला में रहने वाले ओझा विरल की तहरीर पर वाराणसी के कैंट थाने की पुलिस ने सुनीला ओझा की करीबी रही संध्या दूबे सहित सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य आरोपों में एआईआर दर्ज कराई है. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

आरोपी महिला भी ट्रस्टी

ओझा विरल ने पुलिस को बताया कि महमूरगंज स्थित विराट विला में पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट ओएस बाल कुंदन फाउंडेशन का कार्यालय है. वह उस ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं. ट्रस्ट के प्रधान ट्रस्टी उनके पिता सुनील ओझा थे. हैदराबाद के मेकला विष्णु वर्धन रेड्डी और महमूरगंज की संध्या दूबे ट्रस्टी नियुक्त थीं.

पिता ने शिवदासपुर के नितिन मल्होत्रा को 21 अक्टूथबर 2021 को ट्रस्टी नियुक्त किया था. 29 नवंबर 2023 को सुनील ओझा का निधन हो गया. ओझा विरल ने बताया कि पिता के निधन के बाद मेकला विष्णु वर्धन रेड्डी, संध्या दूबे और नितिन मल्होत्रा ट्रस्टीध रह गए. ट्रस्ट के दस्तानवेज में वर्णित शर्तों के अनुरूप उन्हें और उनके भाई ओझा रित्विक की नियुक्ति की गई.

संपत्तियों को हड़पने का आरोप

पुलिस के मुताबिक संध्या दूबे पर सुनील ओझा की ट्रस्ट की संपत्तियों को हड़पने का प्रयास करने का आरोप है. इसके लिए संध्या दूबे ने धोखाधड़ी करके माधोपुरा, सिगरा के हरिशंकर दूबे, कोल्हुआ विनायका के अमित कुमार मिश्र, भरथरा के विनोद कुमार पांडेय, नारायण नगर कॉलोनी, छित्तूपुर के प्रेमराज खमिजा और सिद्धगिरीबाग के संजय तिवारी के अलावा जयप्रकाश तिवारी के साथ मिल कर फर्जी तरीके से ट्रस्ट के संबंध में अपने पक्ष में लिखा-पढ़ी करा ली. संध्या दूबे सहित सातों लोग मिलकर उनके पिता के ट्रस्ट की संपत्ति को हड़पने का प्रयास किया जा रहा है.

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पिता की पुण्यतिथि पर आए तो मिली धमकी

ओझा विरल ने बताया कि वह अपने भाई रित्विक के साथ अपने पिता की पुण्यतिथि पर 29 नवंबर 2024 को वाराणसी आए. इस पर संध्या दूबे और उनके साथियों ने कहा कि यहां तुम्हारा क्या है? यहां से भाग जाओ नहीं तो तुम लोगों को जान से मार दिया जाएगा. तुम्हारा बाप भी बहुत बड़ा राजनेता बनता था. उसको हम लोगों ने बैकुंठ पहुंचा दिया. किसी को कानों-कान खबर भी नहीं मिली कि हम लोगों ने मिलकर उसको मार डाला.

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