‘सम्पूर्ण लॉकडाउन’ को लेकर क्यों कंफ्यूज हैं बनारस के डीएम ?
लगातार दूसरे दिन जिला प्रशासन नियमों को बदलता दिखा
कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए वाराणसी जिला प्रशासन ने 3 मई तक कुछ रियायतों के साथ किया गया सम्पूर्ण लॉकडाउन का फैसला गले की हड्डी बन गया है। लगातार दूसरे दिन जिला प्रशासन नियमों को बदलता दिखा। जहां पहले दिन दूध बिक्री की टाइमिंग को बदला गया तो दूसरे दिन दवा की दुकानों के खुलने के वक्त को बढ़ा दी गई। यकीनन जिला प्रशासन ने लोगों को राहत देने के लिए ये फैसले लिए है, लेकिन सवाल ये भी उठते हैं सम्पूर्ण लॉकडाउन के पहले जिला प्रशासन ने पुख्ता तैयारी नहीं की थी ? आखिर क्यों अपने ही फैसले को लेकर जिला प्रशासन इतना कन्फ्यूज है ? बार-बार फैसले बदलने के पीछे की वजह क्या है ?
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ध्वस्त हुई होम डिलेवरी की व्यवस्था !-
सम्पूर्ण लॉकडाउन को कामयाब बनाने और इस दौरान लोगोंको सुविधा मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन ने कुछ महत्वपूर्ण फैसले किये, लेकिन अब ये फैसले जिला प्रशासन के लिए ही गले की फांस बन गए हैं। मसलन होम डिलेवरी को ही लेते हैं। लोगों के घर-घर तक राशन पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से होम डिलेवरी की व्यवस्था की गई है। स्थानीय प्रशासन ने 100 से अधिक दुकानदारों को डिलेवरी के लिए पास मुहैया कराया। लेकिन लोगों की शिकायत ये है कि दुकानदारों का फोन नहीं उठ रहा है। जो दुकानदार होम डिलेवरी के लिए तैयार हैं, वो औने-पौने दाम मांग रहे हैं। लिहाजा अधिकांश मोहल्लों में राशन को लेकर हाय-तौबा मची है। जैसे-जैसे जरूरतें बढ़ती जा रही हैं, लोगों का गुस्सा भी बढ़ रहा है।
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बार-बार बदलते फैसलों से उठते सवाल-
शहर में मंगलवार को जैसे ही एक साथ कोरोना के 12 पेसेंट सामने आए, जिला प्रशासन ने एक दिन के सम्पूर्ण लॉकडाउन का फैसला कर दिया। इसके तहत सभी तरह की दुकानों को बंद करने का फैसला किया गया। रियायत के तौर पर सुबह 3 बजे से 6 बजे तक सब्जी मंडी खुली रखी गई और दोपहर में 11 से 12 बजे तक दूध की दुकानों को खोलने का फैसला किया गया। खैर एक दिन तो शहरवासियों ने जैसे तैसे काट लिया, लेकिन जब जिला प्रशासन ने सम्पूर्ण लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने का आदेश दिया तो शहर में हड़कंप मच गया। जिला प्रशासन का ये फैसला एक दिन भी नहीं टिक पाया। जनता का दवाब बढ़ा और व्यवस्था चरमराई तो अगले दिन दवा की दुकानों को खोलने की इजाजत दी गई। इसके साथ ही ठेले वालों को सुबह से शाम तक सब्जी बेचने की परमिशन दी गई। अब सवाल ये उठता है कि
– क्या जिला प्रशासन ने बगैर तैयारियों के जल्दबाजी में सम्पूर्ण लॉकडाउन का फैसला कर लिया ?
– जिला प्रशासन आखिर क्यों बार-बार अपने फैसले बदल रहा है ?
– क्या जिला प्रशासन को लोगों की परेशानियों का इल्म नहीं था ?
– जब तैयारी पुख्ता नहीं थी तो फिर सम्पूर्ण लॉकडाउन का फैसला क्यों लिया गया ?
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