वाराणसी: काशी में इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए हुई मेंढक – मेंढकी की अनोखी शादी…
वाराणसी: पूरे देश में तापमान में वृद्धि से लोगों का बुरा हाल हुआ जा रहा है तो वहीं धार्मिक नागरिक काशी में भी गर्मी अपना तांडव मचाए हुए है. भगवान भास्कर आग बरसा रहे हैं, जिस वजह से तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जा रहा है. लिहाजा लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बढ़ती हुई गर्मी से राहत पाने के लिए काशी मैं अनोखी शादी का आयोजन किया गया. जिसमें मेंढक और मेंढकी की विधि विधान से शादी कराई गई.
पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि, अगर बारिश करानी हो तो मेंढक और मेंढकी की शादी करने पर इंद्र देवता खुश होकर बारिश करते हैं. जिस वजह से इस कड़ी गर्मी से राहत पाने के लिए काशी वासियों ने पहाड़ियां स्थित श्रीनगर कॉलोनी में दिए बाबा मंदिर पर पूरे संस्कार के साथ मेंढक और मेंढकी की शादी करा कर इंद्र देवता को प्रसन्न करने की प्रार्थना की गई.
क्यों करनी पड़ी ये आनोखी शादी ?
बुधवार को वाराणसी के पहाड़ियां स्थित श्रीनगर कॉलोनी के बाबा मंदिर में इस अनोखी शादी का आयोजन करवाया गया है, इस दौरान पूरे विधि – विधान से मेंढक और मेंढकी की शादी कराई गयी है. मंदिर ट्रस्ट की तरफ से इस शादी का आयोजन किया गया है, इस शादी के लिए मंदिर प्रांगण में बनाए गए मंडप में वैदित मंत्रोच्चारण के बीच मेंढक – मेंढकी की शादी कराई गयी है.
वही शादी करनी वाले दंपती ने बताया है कि, यह शादी उन्होने भीषण गर्मी से निजात पाने के लिए करवाई है, उनका कहना है कि, गर्मी ने बनारस में लोगों को जीना मुश्किल कर दिया है, ऐसे में बरसात की शुरूआत के साथ उम्मीद थी कि, बारिश होगी जिससे राहत मिलेगी. ऐसा न होने पर इस टोटके का इस्तेमाल करके इंद्र देवता का खुश करने का प्रयास किया गया है, ताकि वे खुश हो और बारिश करें. जिससे लोगों को गर्मी से निजात मिल सके.
क्यों कराई जाती है मेंढक – मेंढकी की शादी ?
मेंढक- मेंढकी की शादी इसलिए करवाई जाती है, ताकि भीषण गर्मी से काशी वासियों को राहत मिल सके. मान्यता है कि, इस शादी से इंद्र दे खुश हो जाते हैं. इसलिए यह शादी संपन्न कराकर इंद्रदेव को खुश कराया जाता है. बाबा मंदिर में हिंदू रीति – रिवाज से मेंढक मेंढकी की शादी कराई गयी है . ताकि सूखी और बंजर धरती पर बारिश की बूंद बरस सके. इस शादी में ढोल नगाड़े भी बजाए गए, साथ ही साथ कई नवविवाहित जोड़ों ने भी इस शादी समारोह में शामिल होकर मेंढक और मेंढकी से आशीर्वाद भी लिया.
कैसे होती है मेंढक-मेंढकी की शादी ?
आप सोच रहे होंगे कि, बस एक मेंढक और एक मेंढकी को एक साथ बैठाकर शादी कर दी गयी होगी, यदि आप ऐसा सोचते है तो, आप गलत है. यह शादी बिल्कुल इंसान की शादी की तरह ही होती है. इस शादी में कई रस्मों का पालन किया जाता है. इसमें भी मेंढक अपनी होने वाली पत्नी को सिंदूर देता है.
मंत्रोच्चारण के साथ ही वरमाला डाली जाती है. इसके अलावा बाकायदा शादी की सजावट भी होती है, लोगो का नाच-गाना होता है और मेहमानों के लिए खाना होता है. इसके बाद विवाह संपन्न होता है. शादी संपन्न होने के बाद मेंढक-मेंढकी के जोड़े को एक तालाब में छोड़ दिया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद शादी को पूरा माना जााता है. कहते है, इस प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद इलाके में बारिश होती है.
Also Read: Varanasi: सिल्वर मेडल जीतकर रवि ने बढ़ाया भारत का मान…
कब होता है मेंढक-मेंढकी का तलाक ?
मान्यताओं के अनुसार, दोनों की शादी के बाद बारिश होती है और फिर दोनों के अलग होते ही बारिश बंद हो जाती है. लेकिन कहते हैं कि, जब किसी इलाके में इस शादी के बाद हुई बारिश कई दिनों तक नहीं रूकती है, तब दोनों का तलाक कराना पड़ता है. आप अब सोच रहे होंगे कि, दोनों का तलाक कैसे होगा ? दरअसल, इसके लिए पहले दो मेंढ़क पकड़े जाते है. इसके बाद दोनों को फिर अलग – अलग तालाब में छोड़ दिया जाता है. ऐसे में दोनों अलग होते ही तलाक हो जाता है. माना जाता है कि इससे बारिश कम होती है.