रेलवे में खाली पड़े पदों से चरमराई व्यवस्था, सालों में केवल निकली भर्तियां नही भरें पद
भारत में विकास की दौड़ में भारतीय रेलवे का नाम पहले आता है। आज भारतीय ट्रेनें देश का गौरव साथ लेकर पटरी पर तेज रफ्तार से दौड़ रही हैं। इनमें अब एक ट्रेन का नाम और भी शामिल हो गया है और वो है वंदे भारत। इसके इतर, कुछ सालों से रेलवे की एक और पहचान बनती जा रही है, जो रेलवे की गरिमा को हानि पहुंचा सकती है। यहां रेलवे में सालों से खाली पड़े पदों की बात की जा रही है।
रेलवे में पिछले 9 साल में ट्रेनों व प्लेटफार्म की संख्या तो बढ़ी पर कर्मचारियों की संख्या घटती जा रही है। यानी कई सालों से रेलवे ने रिक्तियां तो दिखाई लेकिन पद भरने की प्रक्रिया तक शुरू नहीं की। कई बार तो रेलवे ने वैकेंसी तो निकाली, लेकिन उन पदों को भरना ही भूल गया। या कई भर्ती प्रक्रिया तो बीच में ही अटकी पड़ी हुई हैं। वो भी ऐसा तब हो रहा है, जब रेलवे में ट्रेनों और प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ाई जा रही हैं। लेकिन रेलवे में कर्मियों की तौनाती ना के बराबार ही हुई है। जिसका खामियाजा रेलवे का उपभोग करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। रेलवे के खाली पड़े पद रेलवे की चरमराई व्यवस्था को चींख-चींख कर बयां कर रहे हैं।
रेलवे में कम हो रहीं नौकरियां
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेलवे में नौकरियों की संख्या काफी कम होती जा रही है। रेलवे अब संकुचित स्टाफ के साथ ही काम करने के लिए इच्छुक है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि रेलवे ने पिछले छह साल में करीब 72,000 नौकरियां खत्म कर दी हैं। ये नौकरियां ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के पदों की हैं। इसपर रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ये पद गैर-जरूरी हैं। वर्क कल्चर में बदलाव और टेक्नोलॉजी के आने से अब इनकी कोई जरूरत नहीं रह गई है।
सालोंं से खाली पड़े हैं पद
रेलवे में पिछले कई सालों से तीन लाख से अधिक पद रिक्त हैं। बीते महीने मार्च में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 9.79 लाख पद खाली हैं, जिनमें सर्वाधिक 2.93 लाख रेलवे में हैं। तब केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पद खाली होना और भरना सतत प्रक्रिया है। इसके अलावा
ग्रुप सी व ग्रुप डी के 72 हजार पद खत्म
पिछले छह साल में ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के करीब 72 हजार पदों को खत्म कर दिया है। इनमें चपरासी, वेटर, स्वीपर, माली और प्राइमरी स्कूल टीचर के पद शामिल हैं। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक रेलवे को 16 जोन ने 2015-16 से 2020-21 के दौरान 81,000 ऐसे पदों को सरेंडर करने का प्रस्ताव भेजा था। अधिकारियों का कहना है कि ये पद गैर-जरूरी हैं। वर्क कल्चर में बदलाव और टेक्नोलॉजी के आने से अब इनकी कोई जरूरत नहीं रह गई है। यानी अब इन पदों पर आगे कभी भर्ती नहीं होगी।
2.94 लाख पदों पर निकलेंगी रिक्तियां
रेल मंत्रालय ने देशभर के सभी 21 आरआरबी से वैकेंसी मांगी है। उम्मीद है कि 2023 तक रेलवे में डेढ़ से दो लाख खाली पदों पर भर्तियां हो जाएंगी। इसकी तैयारी चल रही है। इनमें से 2.94 लाख पदों पर भर्ती के लिए अधिसूचनाएं जारी कर दी गई हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को ही राज्यसभा में क सवाल के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि रेलवे में कुल 15,24,127 स्वीकृत पद हैं। इनमें से 12,17,900 भरे हुए हैं। जबकि 3,06,227 खाली हैं। 2.94 लाख रिक्तियों के ले सात रोजगार अधिसूचनाएं जारी की गई है। रेल मंत्रालय ने अपरेंटिस और अन्य के 7000+ पदों के लिए रेलवे भर्ती 2023 जारी की है। अभी हाल ही में रेलवे ने रेलवे भर्ती सेल विभाग में 279 पदों पर भर्तियां निकाली हैं।
भर्ती प्रक्रिया 2024 तक पूरा करने का दावा
रेलवे भर्ती बोर्ड की ओर से यद दावा किया गया है कि जल्द ही ग्रुप सी व ग्रुप डी के 2 लाख से अधिक पदों पर बंपर भर्ती का ऐलान रेलवे करेगा। औपचारिक तौर पर कहा गया है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। अब अगर आपने भी आईटीआई या डिप्लोमा कोर्स पास कर लिया है तो आपको आरआरसी अपरेंटिस भर्ती 2023 अधिसूचना डाउनलोड करनी चाहिए जो उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर विभिन्न क्षेत्रों के लिए जारी की जाती है।
पूर्व की भर्तियां अब भी नहीं भरी
रेलवे में पूर्व में निकाली गई भर्तियों की स्थित क्या है, यह इसी से समझा जा सकता है कि रेल मंत्रालय ने रेलवे में 3 लाख पदों के रिक्त होने की बात स्वीकार की है। इनमें से रेलवे ने 2.94 लाख पदों पर ही भर्ती का एलान किया है। यानी इनमें भी जो पद बच रहें हैं, ये वो रिक्त पद हैं, जिनके लिए रेलवे ने पहले ही भर्ती निकाली थी। वहीं इससे ये भी स्पष्ट होता है कि जो भर्ती पिछले सालों में निकाली गई थी, वह अभी तक भरी ही नही गई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 1 दिसंबर 2022 तक भारतीय रेलवे में कुल 2,98,973 पद खाली पड़े थे जिसमें पूर्व तट रेलवे में खाली पड़े 8,278 पद भी शामिल है। वहीं इस वर्ष 1 जनवरी तक खाली पड़े पदों की संख्या बढ़कर 3 लाख 1 हजार 750 तक पहुंच गई है।
भर्तियां कम करने की रेलवे ने बताई वजह
सालों में रेलवे में भर्ती में कमी आई है। इसकी वजह रेलवे ने यह बताई है कि काम को आउटसोर्स किया जा रहा है। रेलवे की आय का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में चला जाता है। अभी रेलवे की कमाई का आधा से ज्यादा हिस्सा इस मद में चला जाता है। रेलवे की एक रुपये की कमाई में 37 पैसे कर्मचारियों की सैलरी देने में और 16 पैसे पेंशन देने में खर्च हो जाते हैं। इस बोझ को कम करने के लिए रेलवे ने आउटसोर्सिंग का सहारा लिया है।
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