त्रिवेन्द्र सिंह रावत जन्मदिन: 62 वर्ष के हुए पूर्व सीएम, जानें उनका निजी जीवन और राजनैतिक सफर
भाजपा के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत का आज जन्मदिन है. 20 दिसंबर, 2022 को उन्होंने अपने जीवन के 62वें पड़ाव में प्रवेश कर लिया है. त्रिवेन्द्र सिंह रावत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और एक भारतीय राजनीतिज्ञ भी हैं. 17 मार्च, 2017 को उन्हें उत्तराखंड का सीएम नियुक्त किया गया था. उन्होंने 2017 और 2021 के बीच उत्तराखंड के सीएम के रूप में कार्य किया. रावत लगातार 8 बार सीएम पद पर रहे. आइये जानते हैं उत्तराखंड के पूर्व सीएम के बारे में जुड़े कुछ अहम किस्से…
रावत का जन्म और शिक्षा…
त्रिवेन्द्र सिंह रावत का जन्म 20 दिसंबर, 1960 को उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार तहसील के खैरसैन गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम प्रताप सिंह और माता का नाम बोद्धा देवी है. रावत अपने परिवार में नौवें और सबसे छोटे बेटे हैं. रावत का विवाह सुनीता से हुआ, सुनीता रावत शिक्षिका हैं और देहरादून में नियुक्त हैं. दोनों की दो बेटियां हैं. वर्ष 1983 में इन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध श्रीनगर के बिड़ला परिसर से पत्रकारिता में मास्टर डिग्री प्राप्त की. वर्ष 1984 में इनको पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल किया.
रावत का राजनीतिक सफर…
वर्ष 1979 में त्रिवेन्द्र सिंह रावत का राजनीतिक सफर शुरू हुआ और इसी वर्ष वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े. वर्ष 1981 में संघ के प्रचारक के रूप में काम करने का उन्होंने संकल्प लिया. वर्ष 1985 में रावत देहरादून महानगर के प्रचारक बने. वर्ष 1993 में वह भाजपा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री और वर्ष 1997 में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री बने. वर्ष 2002 में भी वो भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री के पद पर कायम रहे.
इसके बाद वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में डोईवाला विधानसभा से रावत विजयी हुए. वर्ष 2007 में डोईवाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उत्तराखंड विधानसभा के लिए भाजपा के प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए और पार्टी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बने. उन्होंने राज्य के कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्होंने झारखंड के प्रभारी और उत्तराखंड कैडर के अध्यक्ष के रूप में भाजपा के सदस्य के रूप में कार्य किया. वर्ष 2017 में दोबारा से डोईवाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उत्तराखंड विधानसभा के लिए भाजपा प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए.
इसके बाद 17 मार्च, 2017 को उन्होंने उत्तराखंड के नवनिर्वाचित सीएम के रूप में नियुक्त हुए. त्रिवेन्द्र रावत ने 9 मार्च, 2021 को पार्टी द्वारा किए गए ‘सामूहिक निर्णय’ का हवाला देते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. यह दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ बैठकों के बाद था, जिन्हें केंद्र के पर्यवेक्षकों ने चमोली बाढ़ के दौरान कुप्रबंधन सहित विधायकों और मंत्रियों के बीच रावत के खिलाफ बढ़ते असंतोष के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी.
रावत की उपलब्धियां…
त्रिवेन्द्र सिंह रावत एक उत्कृष्ट आयोजक हैं. उनके कौशल को झारखंड में परीक्षण करने के लिए रखा गया था, जहां वे वर्ष 2014 में विधानसभा चुनावों में पार्टी प्रभारी के रूप में एक शानदार चुनावी जीत के लिए भाजपा का मार्गदर्शन करते हुए उड़ते हुए रंगों के साथ आए. वे उत्तराखंड राज्य आंदोलन के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे, जिस दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया. वे उच्च न्यायालय-नैनीताल में एक जनहित याचिका के माध्यम से ‘वन ट्रस्ट मेडिकल काॅलेज-हल्दवानी’ में शिक्षा शुल्क घटाकर 1.5 लाख रुपए करने के लिए सक्रिय गतिविधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने.
कोर्ट ने राज्य के मूल अधिवास के लिए 70 फीसदी आरक्षण का निर्णय दिया. उन्होंने उत्तराखंड के किसानों का समर्थन करने के लिए प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर वर्ष में दो बार ‘कृषक महोत्सव’ का आयोजन किया, जिसमें किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए 18 विभागों के अधिकारी मौजूद थे. उन्होंने ‘अपना बाजार’ की स्थापना की है. जहां किसान सीधे अपने उत्पाद बेच सकते हैं.
रावत को पसंद पहाड़ी खाना…
त्रिवेन्द्र सिंह रावत पहाड़ी व्यंजनों को पसंद करते हैं. वो समय-समय पर अपने गांव का दौरा करते रहते हैं. खासकर, सर्दियों में वे बाजरे (मंडुवा) की रोटियां खाना पसंद करते हैं. इसके अलावा, अन्य पहाड़ी खाना भी बेहद पसंद है.
रावत के बयान…
– भाषाई प्राथमिकताओं के बारे में रावत के 27 जुलाई, 2017 के ट्वीट ने एक विवाद को जन्म दिया और उन पर कुमाऊंनी भाषा पर गढ़वाली भाषा को तरजीह देने का आरोप लगाया गया.
– जुलाई, 2019 में त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा था कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है जो ऑक्सीजन को बाहर निकालता है और तपेदिक को ठीक कर सकता है. उनके इस अवैज्ञानिक बयान के लिए उनकी कड़ी आलोचना की गई थी.
– मई, 2021 में त्रिवेन्द्र रावत ने कहा था कि कोरोना वायरस भी एक जीवित जीव है, जिसे इंसानों की तरह जीने का अधिकार है. यह वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है. विपक्ष ने उनकी आलोचना की और कहा कि उनका बयान मूर्खतापूर्ण और बकवास है और उन्होंने अपना दिमाग खो दिया है. उनके पास कोई दृष्टि नहीं है.
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