Bartan Bank : जानिए क्या है बर्तन बैंक, प्रदूषण मुक्त समाज बनाने की महिलाएं कर रहीं पहल
देश में कई राज्यों ने प्लास्टिक डिस्पोजेबल से छुटकारा पाने के लिए अनोखी पहल की शुरूआत की है। इन राज्यों में बर्तन बैंक की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जिससे लोग छोटे-बड़े आयोजनों में डिस्टोपजेबल को त्यागकर बर्तनों का इस्तेमाल करें। दिलचस्प बात ये है कि बर्तन बैंक को महिलाओं द्वारा ना सिर्फ संचालित किया जा रहा है बल्कि सबसे ज्यादा इसे महिलाएं ही प्रोत्साहित कर रही हैं। इसी के तहत राजस्थान के जयपुर में भी महिला सरपंच ने बर्तन बैंक खोला है। बर्तन बैंक की शुरूआत आज से नही हुई। इसकी शुरूआत साल 2020 में छत्तिसगढ़ से हुई थी। लेकिन अब बर्तन बैंक की लोकप्रियता धीरे-धीरे कई राज्यों में फैलती जा रही है।
डिस्पोजेबल ने ली बर्तनों की जगह
देश के लिए पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखना अब एक चुनौती बनता जा रहा है। प्लास्टिक की बने डिस्पोजेबल क्रॉकरी से हर साल 62 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा इकट्ठा होता है, जो पर्यावरण को दूषित करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। इस प्लास्टिक को इस्तेमाल करने के बाद सड़कों और जलमार्गों पर कचरे के रूप में फेंक दिया जाता है। जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है। आमतौर पर अब समारोह में बर्तनों के स्थान पर डिस्पोजेबल को अधिक महत्वता दी जाती है। डिस्पोजेबल प्लास्टिक क्रॉकरी अपनी सामर्थ्य के कारण कई लोगों की पसंदीदा बन गई है। खासकर विवाह और समारोहों के दौरान डिस्पोजेबल बर्तनों की सुविधा आसान लगती है। इसलिए लोगों के लिए बर्तन बैंक की सुविधा दी जा रही है, जिससे फिर से डिस्पोजेबल की जगह बर्तनों को तरजीह दी जा सकें।
जयपुर में खुला बर्तन बैंक
राजस्थान के जयपुर में बर्तन बैंक की स्थापना की गई है। इस बर्तन को ऐसे छोटे-छोटे आयोजनों में बगैर किसी शुल्क के उपलब्ध कराया जाएगा। शर्त होगी कि आयोजन पूरा होने के बाद बर्तन धोकर संख्या के मुताबिक वापिस किया जाएगा। इससे प्लास्टिक का इस्तेमाल कम होगा, वहीं इससे होने वाले नुकसान में भी गिरावट आएगी। संस्था के महेंद्र जंघेल ने बताया कि इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार भी शुरू किया गया है। ताकि लोग अपने घरों या मोहल्ले में होने वाले छोटे-छोटे आयोजनों में प्लास्टिक के गिलास, प्लेट और चम्मच की बजाय उनकी संस्था से स्टील के बर्तन लें और इस्तेमाल करें।
सरपंच नीरू यादव कर रहीं संचालन
देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए अदित्री फाउंडेशन ने राजस्थान के झुंझुनू के एक गांव से हाथ मिलाया है। जिसका नेतृत्व उनकी नवोन्वेषी नेता, ‘हॉकी वाली सरपंच, नीरू यादव कर रही हैं। भारत के अतीत से प्रेरणा लेते हुए, जहां सहयोग और साझा करने की संस्कृति प्रचलित थी। उन्होंने एक बर्तन बैंक की स्थापना की है। बड़े समारोहों के दौरान रिश्तेदारों से बर्तन उधार लेना आम बात थी, जिससे सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा मिलता था और व्यर्थ प्रथाओं को हतोत्साहित किया जाता था। यह पहल डिस्पोजेबल प्लास्टिक क्रॉकरी के खतरे से निपटने के अलावा उस संस्कृति को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक अभिनव कदम है।
बर्तन बैंक से क्रॉकरी फ्री में लें उधार
सरपंच नीरू यादव के नेतृत्व में लांबी गांव में ग्रामीण अब अपने कार्यक्रमों के लिए स्टील क्रॉकरी मुफ्त में उधार ले सकते हैं, जो डिस्पोजेबल प्लास्टिक वस्तुओं का एक स्थायी विकल्प प्रदान करता है। यह पहल न केवल प्लास्टिक कचरे को कम करती है बल्कि पुराने वर्षों की सामुदायिक साझाकरण प्रथाओं को भी पुनर्जीवित करती है। ‘हॉकी वाली सरपंच’ नीरू यादव और आदित्री फाउंडेशन की इस अनूठी पहल के तहत, ‘बार्टन बैंक’ सुविधा का उपयोग करके लगभग 14 विवाह और सामूहिक समारोहों का आयोजन किया गया है। इस अनूठी सुविधा में, गाँव को ‘कचरा मुक्त और प्लास्टिक मुक्त’ बनाने के लिए सरपंच नीरू यादव द्वारा लगभग 1000 प्लेटें, 2000 कटोरे, 2000 गिलास, 2000 चम्मच और 50 जग दान किए गए हैं।
बर्तन बैंक से लौटेगी पुरानी परंपरा
बता दें कि बर्तन बैंक सिर्फ एक खुले बर्तन बैंक से कहीं अधिक है। यह स्थिरता की दिशा में भारत के कदमों का प्रतीक है और कार्रवाई में सामुदायिक भावना का एक उदाहरण है। जैसा कि नीरू यादव कहती हैं, यह उन खोई हुई परंपराओं को पुनर्जीवित करने के बारे में है जो कभी हमारे समाज और पर्यावरण की बहुत अच्छी सेवा करती थीं। अब समय आ गया है कि डिस्पोज़ेबल प्लास्टिक पर पन्ने पलटा जाए और स्थिरता तथा सामुदायिक सहयोग के एक नए युग की शुरुआत की जाए।
नीरू यादव बनी ग्रामीणों की आदर्श
‘हॉकी वाली सरपंच, नीरू यादव ग्रामीणों के लिए एक आदर्श महिला बन चुकी हैं। इनके नेतृत्व में कई सार्थक कार्य संपन्न किये गए हैं। अपने अभिनव और समर्पित नेतृत्व के माध्यम से नीरू यादव ने दिखाया है कि जमीनी स्तर पर प्रभावी, टिकाऊ परिवर्तन लाया जा सकता है। उनकी विभिन्न पहल उनके गांव के समग्र विकास और उसके निवासियों के कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं। बार्टन बैंक से लेकर एफपीओ तक प्रत्येक पहल, दूसरों के लिए अनुकरणीय उदाहरण के रूप में कार्य करती है, जो भारत की हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य की यात्रा में योगदान करती है।
- नीरू यादव के नेतृत्व में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना की गई है और यह एफपीओ किसानों को सहकारी समितियों में संगठित करके उनकी आय बढ़ाने की दिशा में काम करता है, जिससे वे अपनी उपज के लिए बेहतर कीमतों के लिए सामूहिक रूप से मोलभाव करने में सक्षम होते हैं, एफपीओ किसानों को ऋण, बीज तक पहुंचने में भी सहायता करते हैं। उर्वरक, और अन्य इनपुट अधिक आसानी से, इस प्रकार बिचौलियों पर उनकी निर्भरता कम हो जाती है। नीरू यादव, गाँव में सामाजिक परिवर्तन के प्रबंधन में अपने अनुभव के साथ, इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए आदर्श स्थिति में हैं।
- नीरू यादव द्वारा समर्थित एक और पहल उनके गांव में “वाटर एटीएम” की स्थापना है। ये स्वचालित जल वितरण इकाइयां ग्रामीणों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल प्रदान करती हैं, जिससे जल-जनित बीमारियों की व्यापकता कम हो जाती है। सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित, जल एटीएम पहुंच योग्य हैं 24/7 और न्यूनतम शुल्क लेते हैं, जिससे वे गाँव की पानी की जरूरतों का एक स्थायी समाधान बन जाते हैं।
- नीरू यादव ने जैविक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देकर टिकाऊ कृषि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दिखाई है। उन्होंने जैविक खेती के तरीकों पर कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों की व्यवस्था की है, जिससे किसानों को इन प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम करना है, इस प्रकार मिट्टी की उर्वरता को संरक्षित करना और पर्यावरण की रक्षा करना है।
- अपने गांव के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के अपने मिशन में, यादव ने स्थानीय स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना भी शुरू की है। इस पहल में छात्रों को गर्म, पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना, बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और स्कूल में उपस्थिति दर में सुधार करना शामिल है।
- नीरू यादव का प्रेरक कार्य ऊर्जा संरक्षण तक भी फैला हुआ है। उन्होंने गांव में पारंपरिक स्ट्रीट लाइटों को ऊर्जा कुशल एलईडी लाइटों से बदलने की पहल का नेतृत्व किया है। यह उपाय न केवल ऊर्जा संरक्षण करता है बल्कि गाँव के बिजली खर्च को भी कम करता है, जिससे अन्य विकासात्मक परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध होता है।
इन राज्यों में खुला बर्तन बैंक
पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए बर्तन बैंक एक अच्छी पहल के रूप में देखा जा रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए नगर पालिका छिंदवाड़ा द्वारा की गई पहल की छाप अब कई प्रदेशों में दिखाई दे रही है। आज उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे राज्यों में बर्तन बैंक की स्थापना हो चुकी है। कई राज्यों में तो एक से अधिक जिलों में बर्तन बैंक खुल गए हैं। इस दिशा में उत्तर प्रदेश में राजदानी लखनऊ के साथ-साथ अब मुरादाबाद और ग्रेनो वेस्ट में भी बर्तन संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश के तीन जिले भोपाल, छिंदवाड़ा और इंदौर में भी बर्तन बैंक खुला है।
बर्तन बैंक के साथ थैला बैंक
कई राज्यों में बर्तन बैंक के साथ थैला बैंक की भी सुविधा दी जा रही है। क्योंकि पॉली बैग बैन होने के बाद भी किसी ना किसी रूप में इस्तेमाल होते देखा गया है। पॉली बैग सबसे दूषित प्लास्टिक से निर्मित किया जाता है। ऐसे में पॉलीबैग से अधिक प्रदूषण फैलने का खतरा बना हुआ है। इसलिए कई शहरों में बर्तन बैंक के पास या उसी में थैला बैंक की भी शुरुआत की गई है।
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