गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा पर रोक नहीं : सर्वोच्च न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात में आगामी राज्यसभा चुनावों में नोटा के विकल्प के इस्तेमाल के निर्वाचन आयोग की अधिसूचना पर रोक लगाने से गुरुवार को इंकार कर दिया है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अमिताव राय और न्यायमूर्ति ए.एम. खानविल्कर की सदस्यता वाली पीठ ने निर्वाचन आयोग को अधिसूचना की संवैधानिक वैधता की समीक्षा करने के लिए नोटिस जारी किया है।
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पीठ ने कहा, “आप (याचिकाकर्ता) इतनी देर से अदालत क्यों आए। आप उस समय क्यों आए हैं, जब चुनाव करीब है।” गुजरात विधानसभा में कांग्रेस सचेतक शैलेश मनुभाई परमार ने आठ अगस्त को होने वाले चुनाव में नोटा के इस्तेमाल संबंधी अधिसूचना रद्द करने की मांग के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
नोटा भ्रष्टाचार की रेसीपी है
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस से कहा कि आप राजनीतिक पार्टी हैं और कोई भी विधायक इसे चुनौती दे सकता था, लेकिन आप तब तक इंतजार नहीं कर सकते जब तक आप प्रभावित न हो रहे हों। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नोटा का 2014 का नोटिफिकेशन चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के लिए किया था न कि गुजरात के लिए। कांग्रेस की ओर से कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि नोटा भ्रष्टाचार की रेसीपी है। गुजरात में अब चुनाव हो रहे हैं तो वो कोर्ट में इसे चुनौती दे रहे हैं।
नोटा का प्रावधान संविधान में नहीं है और न ही कोई कानून है
गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। गुजरात कांग्रेस की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि नोटा का प्रावधान संविधान में नहीं है और न ही कोई कानून है। यह सिर्फ चुनाव आयोग का सर्कुलर है। ऐसे में नोटा जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 का उल्लंघन करता है।
राज्यसभा सीटों के लिए आठ अगस्त को चुनाव होने हैं
याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट नोटा के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए इसे रद्द करे और असंवैधानिक करार दे। गुजरात मे तीन राज्यसभा सीटों के लिए आठ अगस्त को चुनाव होने हैं। याचिका में चुनाव आयोग, केंद्र सरकार, गुजरात विधानसभा सचिव को पक्षकार बनाया गया है।
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