पत्रकार ने पुलिस महकमे को लिखा दर्द भरा पत्र
पुलिस (police) के ऐसे हजारों मामले सामने आते रहे हैं जिनमें वे जर्नलिस्टों के साथ बदसुलूकी करते नजर आते हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला यूपी के साहिबाबाद में सामने आया है जहां एक पत्रकार जतिन गोस्वामी ने पुलिस विभाग को पत्र लिखकर शिकायत की है। पत्रकार जतिन गोस्वामी ने पत्र में पुलिस पर घूस मांगने और बदसलूकी का आरोप लगाया है। दरअसल, पत्रकार का घर कांवड़ साइड पर पड़ता है। यात्रा के दौरान पुलिस वाले उनके ही घर जाने के दौरान अभद्र व्यवहार करते हैं।
गाजियाबाद के साहिबाबाद के रहने वाले पत्रकार ने साहिबाबाद की पुलिस पर आरोप लगाया है कि वे कई बार उन्हें उनके ही घर में जाने के लिए घूस की मांग करते हैं। पत्रकार ने अपने पत्र में जिक्र किया है कि कई बार पुलिस वाले उनसे कहते हैं कि घर क्या पुलिसवालों से पूछ के लिया था?
पढ़ें आखिर क्या लिखा है पत्र में
सेवा में,
समस्त पुलिस अधिकारी
हो सकता है कि मेरा यह पोस्ट पढ़कर बहुत सारे लोग इस पर नेगेटिव कमेंट करें। लेकिन, मैं यहां अपनी आपबीती बताने जा रहा हूं, उस का मेरे पास सबूत भी दे दूंगा। पेशे से भले ही मैं एक जनर्लिस्ट हूं। लेकिन रोड पर एक आम आदमी की तरह ही सफ़र करता हूं। सीट बेल्ट भी लगाता हूं। और गाड़ी के कागजात भी पूरे रखता हूं। लेकिन, इन दिनों मैं अपना घर बेच कर कहीं और शिफ्ट होने की कोशिश कर रहा हूं। उसकी वजह सिर्फ और सिर्फ गाजियाबाद की साहिबाबाद पुलिस का भ्रष्टाचार है। मामला धर्म से जुड़ा है, लेकिन लोगों की समस्याएं भी सामने आना बेहद जरूरी है।
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दरअसल मेरा घर साहिबाबाद में कांवड़ यात्रा वाले मार्ग पर है। और, हर साल जब कांवड़ यात्रा शुरू होती है, तो मेरी तरफ का मार्ग बंद कर दिया जाता है। क्योंकि, मैं एक सामान्य पत्रकार हूं, इसलिए अपने घर से ही रिपोर्टिंग पर जाकर वापस घर चला आता हूं। ऐसे में कांवड़ साइड वाले मार्ग पर मेरे घर के सामने वाला कट बंद कर दिया जाता है। उसकी जगह करीब एक किलोमीटर पर कट खुला रहता है। इस पर जब कांवड़ यात्रा के दौरान में अपने घर जाने की कोशिश करता हूं, तो पुलिसकर्मी बदसलूकी करते हैं।
लेकिन वह गुस्सा दिखाते हैं…
न सिर्फ मेरे साथ, बल्कि हर उस शख्स के साथ बदसलूकी करते हैं, जिसका यहां आना मजबूरी है। क्योंकि उस शख्स या मेरा घर इसी मार्ग पर है। बदसलूकी करने के दौरान बतौर जनर्लिस्ट मैं उनसे आग्रह करता हूं, लेकिन वह गुस्सा दिखाते हैं। और, अक्सर उल्टा-सीधा भी बोलते हैं। ऐसा कई बार हुआ है। एक दो बार मैंने सोर्स सिफारिश लगाकर भी अपने घर जाने की कोशिश की।
पुलिसकर्मियों से पूछने के बाद ही अपने घर की रजिस्ट्री करवा लूंगा
और, मैं अपने घर पहुंच पाया। लेकिन, एक दो बार मुझे मेरे ही घर जाने के लिए मना कर दिया गया। और यह कह दिया गया, कि इस मार्ग पर घर क्या हमसे पूछकर खरीदा था? यानी कि अगर गाजियाबाद में घर खरीदना है, तो पुलिस वालों से पूछ कर ही रजिस्ट्री करवानी होगी। इतनी बात मेरी समझ में अब आ चुकी है। इसलिए मैं घर बेच रहा हूं। और साहिबाबाद पुलिस, थाना क्षेत्र में या जहां भी घर लूंगा, वहां के पुलिसकर्मियों से पूछने के बाद ही अपने घर की रजिस्ट्री करवा लूंगा।
बहरहाल इसके अलावा भी एक परेशानी सामने आई। पिछले साल कावड़ यात्रा में मुझे मेरे ही घर जाने के लिए रोकने वाले पुलिसकर्मियों ने मुझसे 100 रुपये की मांग कर डाली। क्योंकि उन्हें पता नहीं था, कि मैं जनर्लिस्ट हूं। हालांकि बाद में मैंने परिचय दिया, तो वे बगले झांकने लगे। कोई बात नहीं। मेरा उद्देश्य किसी की नौकरी खाना नहीं था। इसलिए मैंने किसी से कुछ नहीं कहा। और मैं सामान्य तरीके से चलता रहा।
जिसका मुझे बाद में भुगतान भी भुगतना पड़ा…
एक दिन बारिश आई। बारिश के शूट पर जाना था। लेकिन मेरे घर से गाड़ी लेकर बाहर तक पुलिस वालों ने नहीं निकलने दिया। मैं अपने घर से बाहर निकला, बारिश का शूट किया। गाड़ी नहीं होने की वजह से मेरे कैमरे में दिक्कत आ गई। जिसका मुझे बाद में भुगतान भी भुगतना पड़ा। मेरा मकसद किसी की भावना को आहत करना नहीं है। आग्रह है कि इस बार कम से कम कांवड़ मार्ग पर उन लोगों को आने जाने की इजाजत की कोई व्यवस्था की जाए, जिनका घर कावड़ मार्ग पर है।
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