यूपीपीएससी के चेयरमैन ने की सीएम योगी से मुलाकात, रखा अपना पक्ष

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यूपीपीएससी के चेयरमैन अनिरुद्ध सिंह यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान UPPSC के चेयरमैन ने सीएम के सामने अपना पक्ष रखा और सीएम योगी ने भी आयोग के काम काज के बारे सुझाव दिए ।अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि अदालत जाने का फैसला आयोग का है और अब मामला कोर्ट में है । साथ ही कहा कि CBI जांच को लेकर राज्य सरकार की ओर से प्रोसिजरल गलतियां हुई थी जिस पर आपत्ति की गई ।

बैकफुट पर योगी सरकार 

अनिरुद्ध सिंह यादव ने आगे कहा ‘मैं बहुत कुछ नही कह सकता पर आयोग एक संवैधानिक व्यवस्था है और इसकी स्वायत्तता बनी रहनी चाहिए ।बता दें कि हाईकोर्ट द्वारा जवाब तलब किये जाने के बाद योगी सरकार बैकफुट पर आ गई है। साथ ही 9 जनवरी को योगी सरकार को जवाब दाखिल करना है। मालूम हो कि वर्तमान चेयरमैन अनिरुद्ध सिंह यादव नियुक्ति से पहले गोविंद बल्लभ पंत महाविद्यालय बदायूं के प्राचार्य थे।

ये था पुराना मामला

बता दें कि आयोग के चेयरमैन अनिल यादव को हाईकोर्ट के आदेश के बाद हटा दिया गया था। क्योंकि उनकी नियुक्ति पर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए थे और मानकों को दरकिनार करते हुए इनकी नियुक्ति की गई थी। अनिल यादव के हटाए जाने के बाद कार्यवाहक के तौर पर सुनील जैन को नियुक्त किया गया था, लेकिन बाद में सुनील जैन के खिलाफ भी सवाल खड़े होने लगे थे और सुनील जैन के खिलाफ भी कई आपराधिकत मुकदमे थे। इनकी नियुक्तियों पर सवाल उठे थे। पता चला कि इसके बाद कार्यवाहक चेयरमैन सुनील जैन के खिलाफ सवाल उठे। पता चला कि दोनों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदमे थे।

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यूपीपीएससी में भर्तियों की सीबीआई जांच एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 बीच के समय की हो रही है। सीबीआई जांच के दायरे में पिछले पांच साल की नियुक्तियां है। इसके तार आयोग में पदस्थ सदस्यों से भी जुड़े हैं। आरोप है कि मुख्य परीक्षाओं से ध्यान हटाकर आयोग का फोकस विशेष तौर पर सीधी भर्ती की परीक्षाओं पर रहा।

20 हजार से अधिक सीधी भर्ती की नियुक्तियों का अनुमान है। इससे जुड़े कई मामले हाईकोर्ट में भी लंबित हैं। अकेले इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही सैकड़ों वाद लंबित थी। जिनमें पांच जनहित याचिकाएं हैं। डॉ.अनिल यादव का आयोग में अध्यक्षीय कार्यकाल ही सबसे अधिक विवादित रहा है। माना जा रहा है कि सीबीआई जांच के केंद्र में इस दौरान घोषित परिणाम विशेष रूप से होंगे।

इसके अलावा सीबीआई जांच में इंटरव्यू में अधिक नंबर देकर चयन, मेधावियों की कॉपियां बदला जाना, विभिन्न पदों पर स्केलिंग में खेल, इंटरव्यू के सिस्टम में बदलाव, परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में मनमानी, विशेषज्ञों का पैनल बनाने में गड़बड़ी आदि के आरोपों की जांच की जाएगी।

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