शिक्षामित्रों को पुलिस ने नहीं दी कैंडल मार्च निकालने की परमिशन
उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्र एक बार फिर सरकार से आर-पार के मूड में हैं। समायोजन रद्द होने से हताश शिक्षा मित्रों ने राजधानी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में चार दिन के लिए डेरा डाला है। उनका कहना है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुई तो वह बड़ा आंदोलन करेंगे। इसी सिलसिले में आज शिक्षामित्र कैंडल मार्च निकालने जा रहे थे जिन्हें पुलिस ने गेट पर ही रोक दिया।
समान कार्य समान वेतन की मांग
शिक्षामित्रों के मुताबिक, समायोजन रद्द होने के बाद से उनका जीवन बदहाल हो गया है। उनका कहना है कि सरकार सभी शिक्षामित्रों को पैराटीचर के पद पर नियुक्त करे> जब तक उनकी नियुक्ति नहीं होती, तब तक उनको समान कार्य समान वेतन मिलना चाहिए।
बता दें कि इससे पहले भी शिक्षा मित्र ऐसी कोशिश कर चुके हैं जो कि पिछली बार विफल हो गई थी। शिक्षा मित्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में समायोजन रद्द होने के बाद अब तक 500 से अधिक शिक्षामित्रों की मौत हो चुकी है। उन सभी के परिवार को आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए।
शिक्षामित्रों का कहना है कि जब वह 10 हजार के मानदेय पर काम करते हैं तो पढ़ाने के लिए योग्य हो जाते हैं। वहीं 40 हजार के वेतन के लिए उनको अयोग्य माना जाता है। उन्होंने इसे सरकार की दोहरी नीति बताया।
राजनीति में पिसने का हो रहा एहसास
शिक्षामित्रों के अनुसार उनके साथ जो कुछ भी हो रहा है, वह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। एक सरकार ने नियुक्ति दी तो दूसरे ने समायोजन रद्द कर दिया। मालूम हो कि 25 जुलाई, 2017 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने सूबे के करीब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया था।
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सरकार से शिक्षामित्रों की मांग
शिक्षामित्रों ने टीईटी से छूट दिलाने, ‘समान कार्य समान वेतन’ की तर्ज पर मानदेय बढ़ाने और अध्यादेश जारी कर उनकी समस्या के स्थायी समाधान का रास्ता निकालने की मांग की । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समायोजन की मांग को लेकर शिक्षा मित्र आंदोलनरत हैं।
पिछले दिनों उन्होंने विधानसभा के सामने धरना-प्रदर्शन किया था। इस दौरान लाठीचार्ज भी हुआ था। इसके बाद शिक्षामित्रों ने व्यापक आंदोलन की घोषणा की थी। सरकार से बातचीत भी हुई लेकिन उचित मानदेय न देने पर वार्ता विफल हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ऑप्शन
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने समायोजित शिक्षकों को टीईटी परीक्षा पास करने का विकल्प दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह निर्णय सुनाया था। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट समायोजन को नियम विरुद्ध करार दे चुका है।
समायोजन के बाद शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बने अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार से कुछ कदम उठाने की मांग की थी लेकिन सरकार के साथ शिक्षा मित्रों की बात नहीं बनी।