UP: सुहेलदेव एक्सप्रेस से दलितों को रिझाएगी भाजपा
लखनऊ/गाजीपुर। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आता देख राजनीतिक पार्टियां दलितों को और पिछड़ों को लुभाने की हर मुमकिन कोशिश में जुट गई हैं। दलित प्रतीकों को अपनाने को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने भी इसकी शुरुआत कर दी है। सिन्हा अपने संसदीय क्षेत्र को एक बड़ी सौगात देने जा रहे हैं। 13 अप्रैल को वह गाजीपुर से ‘राजा सुहेलदेव एक्सप्रेस’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।
रेल भवन के एक अधिकारी की मानें तो सुहेलदेव एक्सप्रेस 13 अप्रैल को गाजीपुर से नई दिल्ली के लिए रवाना होगी। यह रेलगाड़ी गाजीपुर से 5. 30 बजे चलकर अगले दिन सुबह 9 बजे दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन पहुंचेगी।
अधिकारी ने बताया कि “सुहेलदेव एक्सप्रेस का नंबर 22419 (अप) और 22420 (डाउन) रखा गया है। यह रेलगाड़ी गाजीपुर से चलकर जौनपुर, सुल्तानपुर, लखनऊ, बरेली, मुरादाबाद होते हुए आनंद विहार पहुंचेगी। आनंद विहार से यह रेलगाड़ी शाम 6. 45 बजे चलेगी।”
रेल अधिकारियों ने बताया कि गाजीपुर से नई दिल्ली के बीच रेलगाड़ी की मांग लंबे समय से हो रही थी, जो अब रेल राज्यमंत्री ने पूरी की है। यह पहली ऐसी ट्रेन है जो गाजीपुर से नई दिल्ली के लिए चलेगी।
दरअसल, 11वीं शताब्दी के राजा सुहेलदेव ‘पासी’ और ‘भर’ समाज के प्रमुख प्रतीकों में से एक रहे हैं। राज्य की करीब 20 फीसदी दलित आबादी में 16 फीसदी संख्या के साथ पासी दूसरी सबसे बड़ी उपजाति है।
उत्तर प्रदेश में पासी समाज के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए राजनीतिक दल राजा सुहेलदेव के नाम का प्रयोग करते रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सरकार बनने पर राज्य भर में कई जगह राजा सुहेलदेव की प्रतिमाओं की स्थापना की थी। भाजपा और उसके सहयोगी हिंदूवादी संगठन भी राजा सुहेलदेव को इतिहास में जगह दिलाने की लड़ाई लड़ते रहे हैं।
राजा सुहेलदेव की इसी विरासत को लेकर दलित सियासत भी अलग-अलग रूप में आती रही है। खासतौर से तब, जब उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, प्रतीकों को लेकर राजनीति तेज हो रही है।
मायावती के लिए यह चुनाव बेहद अहम हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में 20 फीसदी वोट हासिल करने के बावजूद उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित राज्य की सभी 17 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की और इस तरह उसने मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध भी लगाई।
गौरतलब है कि 13 अप्रैल को सुहेलदेव के नाम पर नई ट्रेन चलाने के पीछे भाजपा का दलितों के बीच अपना जनाधार मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।