उम्भा नरसंहार मामले में 5 पुलिसवालों पर गिरी गाज, ग्रामीणों को झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप

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घोरावल थाना क्षेत्र के उम्भा गांव में 17 जुलाई 2019 को जमीनी विवाद में हुए गोलीकांड के मामले में पुलिस अधीक्षक ने लापरवाही मिलने पर दो इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों पर जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना उनके 30 दिन के वेतन के बराबर है । पुलिस अधीक्षक ने बताया कि घटना से पहले उम्भा गांव में पुलिस द्वारा शांति भंग की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने पर शासन के निर्देश पर जुर्माना लगाया गया है।

नरसंहार में मारे गए थे 11 लोग-

घोरावल थाना क्षेत्र के उम्भा गांव में बीती 17 जुलाई को हुए गोलीकांड में जमीनी विवाद में 11 लोगों की जान चली गई थी। शासन की जांच में सामने आया कि 17 जुलाई 2019 के पहले ग्राम प्रधान और गोंड जाति के लोगों पर शांति भंग की धारा में पुलिस ने जो कार्रवाई की थी वह पक्षपात पूर्ण तरीके से की गई थी। इसलिए घटना से पहले घोरावल थाने पर तैनात दो इंस्पेक्टर,शिवकुमार मिश्रा, मूलचन्द चौरसिया, दो हेड कांस्टेबल कन्हैया प्रसाद,सुधाकर यादव और एक कांस्टेबल प्रमोद प्रताप सिंह पर 30 दिन के वेतन के बराबर अर्थदंड लगाया गया है । यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक ने शासन के निर्देश पर की है।

ग्राम प्रधान पर आरोप-

उम्भा में दशकों से चले आ रहे जमीनी विवाद में ग्राम प्रधान और उसके समर्थकों ने ग्रामीणों पर गोली चलवा दी थी। इस घटना के बाद यूपी की सियासत में हड़कंप मच गया था। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी उम्भा जाने को लेकर धरने पर बैठ गईं थी। लगभग 48 घंटे तक चुनार के किले में ड्रामा चलता रहा।

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