चार साल बाद अंतरिम जमानत पर बाहर आया उमर खालिद….

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चार साल की लम्बी हिरासत के बाद दिल्ली दंगों की साजिश का आरोपी उमर खालिद कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गयी है. खालिद की जमानत का फैसला कड़कड़डूमा कोर्ट द्वारा सुनाया गया है, जिसमें कोर्ट ने खालिद को सात दिन की अंतरिम जमानत शर्तों पर दी है. दरअसल, आगामी 28 दिसंबर को खालिद की मौसेरी बहन की शादी है, जिसमें शामिल होने के लिए उसे अंतरिम जमानत दी गयी है.

किन शर्तों पर मिली जमानत ?

कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद को दो शर्तों पर अंतरिम जमानत दी है, जिसमें पहली शर्त यह है कि, वह केवल अपने परिवार के सदस्य, रिश्तेदार और दोस्तों से ही मिल सकेगा. वही दूसरी शर्त है कि, वह केवल अपने घर या शादी के आयोजनों वाले स्थानों पर ही रह सकेगा. आपको बता दें कि अक्टूबर 2022 में उमर खालिद को जमानत देने से कोर्ट ने इंकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इसके बाद में उसने अपनी एसएलपी वापस ले ली और ट्रायल कोर्ट में एक नई नियमित जमानत याचिका दायर की, जिसे इस साल की शुरुआत में खारिज कर दिया गया. उमर खालिद को 2020 में गिरफ्तार किया गया था.

कौन है उमर खालिद?

उमर खालिद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का पूर्व छात्र हैं, जिसका परिवार लगभग तीन दशक पहले महाराष्ट्र के अमरावती जिले के तालेगांव से दिल्ली आकर बस गया था. वो अपने परिवार के साथ दिल्ली के जाकिरनगर में रहता हैं, हालांकि बहुत कम लोग उन्हें यहाँ पहचानते हैं. उसके पिता सैयद कासिम रसूल इलियास दिल्ली में उर्दू की पत्रिका ‘अफकार-ए-मिल्ली’ का संचालन करते हैं. उमर खालिद ने जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज से इतिहास में पीएचडी की शुरुआत की थी और यहीं से उन्होंने इतिहास में एमए और एमफिल भी किया है.

उमर खालिद जिस डीएसयू संगठन से जुड़े हैं, उसे सीपीआई माओवादी समर्थित छात्र संगठन माना जाता है. 9 फरवरी को देश विरोधी नारे लगाने के आरोपों के बाद वे अचानक गायब हो गए थे और उन्हें पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस ने कई स्थानों पर छापेमारी की थी. इस दौरान खबरें आईं कि, उनका आतंकी संगठनों से संबंध हो सकता है. यह भी रिपोर्ट्स आईं कि खालिद ने अफजल गुरु की महिमा का प्रचार करने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई थी, जिसमें जेएनयू के अलावा 18 अन्य विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया था.

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विवादों में शामिल रहा उमर खालिद का नाम

उमर खालिद का नाम पहले भी कई विवादों में आ चुका है. जेएनयू के छात्रों के अनुसार, खालिद ने अपने साथियों के साथ जेएनयू कैंपस में हिंदू देवी-देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें लगाकर नफरत फैलाने की कोशिश की थी. इसके अलावा, वह उस समारोह का हिस्सा भी थे जब आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर जेएनयू कैंपस में मातम मनाया गया था. खालिद ने कई मौकों पर कश्मीर की आजादी की मांग उठाई थी.

2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ जवानों की हत्या के बाद जश्न मनाने वाले लोगों में उनका नाम भी था, हालांकि इस मामले में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. 26 जनवरी 2015 को ‘इंटरनेशनल फूड फेस्टिवल’ के नाम पर कश्मीर को अलग देश दिखाकर उसका स्टॉल लगाया गया. इसके अलावा, नवरात्रि के दौरान जब पूरा देश देवी दुर्गा की पूजा में व्यस्त था, जेएनयू में दुर्गा का अपमान करने वाले पर्चे और पोस्टर जारी किए गए और महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन किया गया, जिससे वहां अशांति फैल गई. इन तमाम घटनाओं के कारण उमर खालिद हमेशा सवालों के घेरे में रहे हैं.

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