PM मोदी के ‘मन की बात’ पर किसने लिखी किताब?
पिछले साल की 25 मई को पीआईबी की ओर से जारी की गई एक प्रेस रिलीज के मुताबिक राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक हाई प्रोफाइल कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में दो किताबों का विमोचन हुआ था। इनमें से एक किताब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात पर लिखी गई किताब ‘मन की बात: अ सोशल रेवोल्यूशन’ थी, जिसका लेखक राजेश जैन को बताया गया था।
‘मन की बात’ पर लिखी गई किताब से कोई लेना देना नहीं है
जैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहायक रहे हैं। इस किताब को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात का विश्लेषण करार दिया गया.इसी कार्यक्रम में जिस दूसरी किताब का विमोचन किया गया। वो वरिष्ठ पत्रकार उदय माहूरकर की किताब ‘मार्चिंग विद अ बिलियनः एनालाइजिंग नरेंद्र मोदी गवर्नमेंट इन मिड टर्म’ थी। एनडीटीवी को दिए अपने इंटरव्यू में वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने कहा, ‘सबकुछ सामान्य था, सिर्फ एक जानकारी के, राजेश जैन का ‘मन की बात’ पर लिखी गई किताब से कोई लेना देना नहीं है।
‘मन की बात’ का रेडियो प्रसारण आयोजित करती है
‘शौरी ने कहा, ‘राजेश जैन मेरे मित्र हैं, उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें इस कार्यक्रम में एक तरह से घसीटा गया और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने की खातिर भाषण देने को कहा गया। ‘राजेश जैन ने शौरी के दावों पर मुहर लगाई है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक राजेश जैन ने कहा, ‘मैं ‘मन की बात’ पर लिखी गई किताब का लेखक नहीं था। और किताब पर लेखक के रूप में अपना नाम देखकर चकित था। ‘उन्होंने कहा, ‘किताब के विमोचन के दौरान मैं ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के साथ काम करता था, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ का रेडियो प्रसारण आयोजित करती है।’
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लेकिन जैन ने जोर देकर कहा कि उनका किताब से कोई लेना-देना नहीं है। जैन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री कार्यालय से मुझे कार्यक्रम में शामिल होने का बुलावा आया था। जहां, मैंने पाया कि कॉर्ड्स पर मेरा नाम लेखक के रूप में दर्ज है। इसी इवेंट में मैंने स्पष्ट कर दिया कि मैं इस किताब का लेखक नहीं हूं। ‘उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद पीआईबी की साइट और नरेंद्र मोदी की वेबसाइट (narendramodi.in) पर मुझे लेखक के रूप में दिखाया जा रहा है। जैन ने दावा किया कि उन्हें कोई आइडिया नहीं है कि किताब किसने लिखी है और उन्हें लेखक के रूप में क्यों दर्शाया जा रहा है।
राजेश जैन की लिखी किताब बताया गया है
पीआईबी की वेबसाइट पर इस किताब से संबंधित तीन प्रेस रिलीज हैं, और तीनों विज्ञप्ति में लेखक के नाम पर रहस्य की स्थिति बनी हुई है। 25 मई 2017 को पीआईबी की ओर से जारी पहली प्रेस रिलीज में ‘राजेश जैन की लिखी किताब…’ लिखा गया है। अगले दिन जारी की गई प्रेस रिलीज में किताब को श्री राजेश जैन की लिखी किताब बताया गया है। फिर उसी दिन शाम को जारी तीसरी प्रेस रिलीज के मुताबिक किताब को मि. राजेश जैन ने संकलित किया है।
ये प्रेस रिलीज इस पंक्ति के साथ पूरी होती है कि दोनों किताबों (माहूरकर की किताब भी) को ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ और ‘लेक्सिसनेक्सिस’ ने खरीद लिया है। दूसरी ओर ई-टेलर वेबसाइट अमेजन पर मौजूद ‘मन की बात: अ सोशल रेवोल्यूशन’ के कवर पेज पर लेखक का नाम नहीं है। कवर के निचले हिस्से में ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ और ‘लेक्सिसनेक्सिस’ अंकित है। इस बारे में संपर्क करने पर पीआईबी के प्रवक्ता फ्रैंक नोरोन्हा ने कहा, ‘जैसा कि 26 मई 2017 को पीआईबी की ओर से जारी प्रेस रिलीज के तीसरे पैराग्राफ की आखिरी पंक्ति कहती है, किताब को राजेश जैन ने संकलित किया है। इसका कोई जिक्र नहीं है कि राजेश जैन किताब के लेखक हैं। हालांकि राजेश जैन के दावों से संबंधित सवाल पर उन्होंने टिप्पणी से इनकार कर दिया।
AAJTAK
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