मोदी का मुस्लिम महिलाओं को संदेश
भुवनेश्वर में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं को भरोसा दिया कि सरकार और उनकी पार्टी उनके साथ है। मोदी ने कहा कि तीन तलाक से मुस्लिम बहनें कष्ट में हैं। उन्हें न्याय की जरुरत है। हमें इसके लिए कोशिश करना चाहिए। इस मुद्दे पर जिलास्तर पर काम करने की जरुरत है। कहा न्यू इंडिया फॉर्मूले को आगे बढ़ाना है।
ओडिशा में पीएम ने उठाया 3 तलाक का मुद्दा
आपको बता दें कि जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर ओडिशा में बोल रहे थे ठीक उसी समय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि तीन तलाक पर बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया जाएगा। बोर्ड ने बेवजह तीन तलाक देने वालों का सामाजिक बहिष्कार की बात कही है।
बिना शरई वजहों के तलाक देने वालों का होगा सामाजिक बहिष्कार- AIMPLB
लखनऊ में ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तीन तलाक और अयोध्या विवाद जैसे मुद्दों पर दो दिवसीय अहम बैठक हुई। बैठक में तीन तलाक के मुद्दे पर एक आचार-संहिता जारी की गई। जिसमें कहा गया कि यदि कोई व्यक्ति बिना शरई वजहों के तलाक देता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। जबकि अयोध्या विवाद पर पारित प्रस्ताव में कहा गया कि बोर्ड इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही मानेगा।
महिलाओं को हुकूक दिलाना हमारा जिम्मेदारी- बोर्ड
बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने संस्था की कार्यकारिणी की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस्लामी शरीयत में मर्द और औरत दोनों को बराबर के अधिकार दिये गए हैं और महिलाओं को वे हुकूक दिलाना हम सबकी जिम्मेदारी है।
बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार- बोर्ड
रहमानी ने कहा कि बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि बोर्ड बाबरी मस्जिद के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही स्वीकार करेगा। वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने इस मौके पर कहा कि बोर्ड ने तलाक के सिलसिले में एक ‘कोड आफ कंडक्ट’ जारी की है और तलाक जैसे मामलों में उसी पर अमल किया जाए।
नमाज के खुतबे में हो बोर्ड के फैसलों का ऐलान- फिरंग महली
फिरंग महली ने कहा कि बोर्ड ने अपने पारित प्रस्ताव में तमाम उलमा और मस्जिदों के इमामों से अपील की है कि वे इस आचार संहिता को जुमे की नमाज के खुतबे में नमाजियों को जरूर सुनाएं और उस पर अमल करने पर जोर दें।
तलाक पीड़ित महिलाओं को होगी मदद- बोर्ड
कार्यकारिणी की बैठक में पारित प्रस्ताव में जिन महिलाओं के साथ तलाक के बेजा इस्तेमाल के कारण नाइंसाफी हुई है, बोर्ड उनकी हर मुमकिन मदद के लिये हमेशा तैयार है। बोर्ड तमाम मुस्लिम संगठनों से अपील करता है तो वे मुस्लिम महिलाओं को उनके शरई अधिकार दिलाने के लिये तलाकशुदा औरतों, विधवाओं और बेसहारा महिलाओं की हरसंभव सहायता करें।
बेटियों को जायदाद में वाजिब हिस्सा दें- बोर्ड
बोर्ड ने कहा कि मुसलमान लोग अपनी बेटियों को दहेज देने की जगह उनको जायदाद में वाजिब हिस्सा दें और शरई कानूनों से सम्बन्धित मामलों को ‘दारल कजा’ में ही हल कराएं, इसके अलावा मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ पर पूरी तरह अमल कर उसकी हिफाजत सुनिश्चित करें। बोर्ड सोशल मीडिया का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर अपनी बातों को लोगों तक अच्छे ढंग से पहुंचाएगा और इस्लाम तथा शरीयत से सम्बन्धित भ्रमों को दूर करने की हर मुमकिन कोशिश करेगा।
बोर्ड ने जारी किया हेल्पलाइन नम्बर
बोर्ड की महिला शाखा की प्रमुख डॉक्टर असमां जहरा ने इस मौके पर कहा कि मुस्लिम महिलाओं के तलाक का मामला धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक मसला है। भारत के पूरे समाज में महिलाओं के मुद्दे एक ही जैसे हैं। ऐसे में सिर्फ मुस्लिम को ही निशाना नहीं बनाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने तलाक के मुद्दों को लेकर हेल्पलाइन नम्बर 18001028426 जारी किया है, जिस पर अब तक 15500 मामलों की सुनवाई हुई है। यह हेल्पलाइन हिन्दी, उर्दू और बंगला समेत सात भाषाओं में संचालित की जा रही है।
5 करोड़ 81 लाख लोग शरई कानूनों के समर्थन में- असमां
असमां ने कहा कि देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ को लेकर बोर्ड द्वारा चलाये गये देश के सबसे बड़े हस्ताक्षर अभियान में पांच करोड़ 81 लाख लोगों ने शरई कानूनों में कोई भी बदलाव ना किये जाने के बोर्ड के पक्ष का समर्थन किया है। इनमें दो करोड़ 71 लाख महिलाएं भी शामिल हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ और खासकर तलाक के कानून के बारे में बड़े पैमाने पर गलतफहमी पायी जा रही है। सही जानकारी ना होने के कारण ऐसा हो रहा है. सही बात यह है कि तलाक औरत को खतरे से बचाने के लिये रखा गया है. अगर कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल करते हैं तो कानून में बदलाव की नहीं, बल्कि ऐसे लोगों को सुधारने की जरूरत है. बोर्ड इस सिलसिले में पहले से काम कर रहा है।
मुस्लिमों पर दूसरे धर्मों रस्मों को ना थोपा जाए- रहमानी
मौलाना रहमानी ने कहा कि जब मुसलमानों को अपने मजहबी आदेश दूसरों पर जबरन थोपने की इजाजत नहीं है तो मुसलमानों को भी पूरा हक है कि उन पर भी दूसरे धर्मो की रस्मों को ना थोपा जाए।