ट्रान्सपोर्ट नगर प्रकरण: हाईकोर्ट ने सचिव आवास विकास लखनऊ को किया तलब
हाईकोर्ट ने सरकार के अधिवक्ता के समाने जताई कड़ी नाराजगी
वाराणसी के मोहनसराय ट्रांसपोर्ट नगर योजना से प्रभावित किसानों की लम्बे समय से चली आ रही लड़ाई के दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. कोर्ट नंबर 21 मुकदमा नंबर 19422 /2024 कृष्णा प्रसाद व 48 बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य में सुनवाई की आर्डर सीट मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के बेबसाइट पर अपलोड हुई. इस मुकदमे में याचिकाकर्ता कृष्णा प्रसाद के एडवोकेट योगेश सिंह ने किसानों का पक्ष मजबूती से रखा. अधिवक्ता योगेश सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट याचिका संख्या 61219/2011 के 31/05/2023 के ऑर्डर के पैरा नं. 37 में कहाकि सरकार निर्णय ले कि बचे हुए जमीन को लेना है या नहीं.
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पूछा-मुआवजा नही लेने वाले किसानों की जमीन एवार्ड कैसे कर दी
इस पर सरकार ने निर्णय लिया ही नहीं तो 10 जनवरी को वाराणसी प्रशासन ने अनुबंध के आधार पर मुआवजा नही लेने वाले किसानों की जमीन एवार्ड कैसे कर दी. इस पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की बेंच ने 1 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था. पूछा था कि ट्रांसपोर्ट नगर योजना मोहनसराय में बचे हुए किसानों की भूमि लेनी है या नहीं. एवार्ड किस आधार पर किया गया. इस पर सरकार की ओर से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल नहीं किया गया है. इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार आवास विकास शहरी योजना अनुभाग 3 के विशेष सचिव को व्यक्तिगत एफिडेविट के साथ कोर्ट में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. कहाकि अगली तारीख तक हमारे पिछले आदेश द्वारा अपेक्षित जानकारी का खुलासा करना होगा.
किसानों ने कहा-न्याय मिलने तक जारी रहेगा संघर्ष
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद मोहनसराय बैरवन में मंगलवार को दोपहर 12 बजे किसान नेता विनय शंकर राय की अध्यक्षता में बैठक हुई. इसमें विनय शंकर ने प्रशासन के मनमाने कृत्य पर सवाल उठाते कहा कि जिला प्रशासन शासन और प्रशासन को गुमराह कर रहा है. इस दौरान ट्रान्सपोर्ट नगर के किसानो ने संकल्प लिया कि न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा. विनय राय ने कहा कि बहुफसली जमीन पर ट्रान्सपोर्ट नगर बनाने की 1998 की अधिसूचना से लेकर अर्जेन्सी क्लाज लगाकर किसानों का 2003 में उनकी जमिनों के राजस्व अभिलेखों से नाम काटकर विकास प्राधिकरण वाराणसी का दर्ज करने, 2021 में मुख्य सचिव के आदेश पर चल रही डिनोटिफीकेशन की कार्यवाई रद्द करने से लेकर 17 मई 2023 को उच्च न्यायालय में सुनवाई की तिथि से एक दिन पहले 16 मई 2023 को किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया. 10 जनवरी 2024 को बिना मुआवजा लिये किसानो की जमीन अवैधानिक तरीके से एवार्ड की प्रक्रिया अपना कर उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना की गई. आरोप लगाया कि जिला प्रशासन कानून का गला घोंटने पर उतारू है. किसानों को न्यायालय से ही न्याय मिलेगा. बैठक में प्रमुख रूप से उदय प्रताप पटेल, प्रेम शाह, अमलेश पटेल, विजय नारायण वर्मा, हृदय नरायण उपाध्याय, रमेश पटेल, दिनेश तिवारी, दशरथ पटेल आदि रहे.