छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है। नहाय-खाय और खरना के बाद तीसरे दिन शाम को सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की तैयारी शुरू हो जाती है। छठ महापर्व में शाम को अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जायेगा। छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसलिए ‘संध्या अर्घ्य’ देने से प्रत्यूषा को अर्घ्य प्राप्त होता है। इसके बाद विधि-विधान के साथ छठी मइया कि पूजा अर्चना की जाती है।
शाम को डूबते सूर्य की पूजा:
बिहार,झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाए जाने वाले इस पावन पर्व को बहुत ही हर्षोउल्लास, सादगी और आस्था से मनाया जाता है। श्रद्धालु घाट पर जाने से पहले बांस की टोकरी में पूजा की सामग्री, मौसमी फल, ठेकुआ, कसर, गन्ना आदि सामान इकट्ठा करते हैं। उसके बाद घर के सभी सदस्य नंगे पैर घाट पर पहुंचते हैं और स्नान करके डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। हिंदू धर्म में छठ ऐसा महापर्व है जिसमें डूबते हुए सूर्य की पूजा कि जाती है।
शाम को सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ समय:
आज बुधवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय 4:30 से 5:30 बजे के बीच और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह 6:41 बजे से है। वही गुरुवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महापर्व छठ पूजा संपन्न होगा। शाम में अर्घ्य गंगा जल से दिया जाता है और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य कच्चे दूध से देना चाहिए।
सूर्य अस्त होने का सही समय:
सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 30 मिनट पर है और छठ पूजा के चौथे दिन सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर रहेगा।
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