Titanic Submarine : गुब्बारा फटने जैसा था टाइटैनिक पनडुब्बी में विस्फोट, रोबोट ने देखे थें टुकड़ें
विश्व में समुद्री तल के कई फीट भीतर हजारों जहाज के डूबने का इतिहास छिपा हुआ है। लेकिन इनमें सबसे प्रसिद्ध अटलांटिक सागर में 22 फुट की गहराई में डूबी टाइटैनिक जहाज का इतिहास रहा है। समुद्र की गहराई में जाकर टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने के लिई कई अरबपति उत्साहित रहते हैं। 18 जून को टाइटैनिक पनडुब्बी के इतिहास के में एक और अध्याय जुड़ गया। जब पांच अरबपति समुद्र में डूबी टाईटैनिक पनडुब्बी का मलबा देखने निकले थे। इन अरबपतियों का मलबा देखने का रोमांचक सफर दर्दनाक अंत के साथ पूरा हुआ। इन पांचों की मौत कितनी दर्दनाक रही होगी, यह अंदाजा लगाने में ही रूप कांप जाएगी। महज गुब्बारा फटने जितने समय में ही पनडुब्बी विस्फोट से फट गई और पांचों लोग मिली सेंकेंडों में मौत की नींद सो गए।
समुद्र के भीतर रोबोट ने देखे थे टुकड़ें
बता दें, गुरुवार को समुद्र की सतह से लगभग दो मील नीचे गहरे समुद्र में मौजूद एक रोबोट ने टूटे हुए पनडुब्बी के बड़े टुकड़ों को देखा था। मलबे की खोज से पता चलता है कि 18 जून को टाइटैनिक जहाज के मलबे से नीचे उतरते समय ही सबमर्सिबल में एक भयानक विस्फोट हो गया था। यह विस्फोट इतनी तीव्र गति से हुआ था कि काउंटिंग भी नही कर सकते हैं। जैसे गुब्बारा अधिक फूलने के बाद सेकेंड से भी कम समय में फट जाता है। ठीक वैसै ही पनडुब्बी में हुए विस्फोट में केवल मिली सेंकेंड का समय लगा होगा। ऐसे में मरने वालों का आखिरी पल कैसे रहे होंगे, यह सोचने पर ही रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
1600 फीट दूरी पर मिला मलबा
अमेरिकी नौसेना के डॉक्टर रहे एक रिटायर्ड ऑफिसर ने बताया कि इस छोटी सी पनडुब्बी में मौत के आखिरी पल मौते से भी ज्यादा डरावने रहें होंगे। यूएस नेवी के रिटायर्ड हाई रैंकिंग डॉक्टर की मानें तो पनडुब्बी में सवार पांचों लोगों की मौत सिर्फ कुछ मिलीसेकेंड्स में ही हो गई होगी। इस पनडुब्बी का मलबा टाइटैनिक जहाज के मलबे से 1600 फीट की दूरी पर मिला है। इस पनडुब्बी के अंदर यात्री कुचल दिए गए होंगे। इन लोगों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी जिंदगी का अंत इतना भयावह रहेगा।
मौत से केवल मिली सेंकेंड का था फासला
डॉक्टर डेली मेल ने मौत के पलों के बार में बताया कि यह सब इतना अचानक हुआ होगा कि उन्हें पता भी नहीं चल पाया होगा। पनडुब्बी में कोई समस्या हो रही थी या कुछ ही सेकेंड में उनकी मौत होने वाली है, ये भी तक नही पता चला होगा। उन्होंने कहा कि यह ऐसा ही है जैसे आप वहां पर एक मिनट रुके और फिर स्विच बंद कर दिया। जैसे एक मिलीसेकंड के लिए आप जिंदा हैं और अगले ही मिलीसेकंड में आप मर चुके हैं। उन पांच लोगों की मौत से उनका बस इनता ही फासला था।
इम्प्लोशन से हुआ विस्फोट
डॉ. मोले ने पनडुब्बी में हुए विस्फोट की तुलना गुब्बारे फटने से की है। जैसे गुब्बारे के बहुत अधिक फूलने पर वह फट जाता है। उन्होंने बताया इस विस्फोट में उनके टुकड़े-टुकड़े हो गए होंगे। दूसरे शब्दों में उन्होंने समझाया कि इम्प्लोशन (अंत: विस्फोट) तब होता है, जब दबाव की लहर अंदर की ओर होती है। जबकि एक्सप्लोजन (विस्फोट) तब होता है, जब दबाव की लहर या शॉक वेव किसी भी बाहरी स्त्रोत से आती हैं। कुछ ऐसा ही पनडुब्बी के अंदर भी चल रहा था।
नीचे पहुंचते ही फटी पनडुब्बी
डेली मोले ने बताया कि सबमर्सिबल को पानी के अंदर मौजूद दबाव को झेलने के लिए डिजाइन किया जाता है। सतह से 12,500 फीट नीचे जहां दबाव समुद्र तल से करीब 400 गुना ज्यादा दबाव होता है। मोले ने कहा है कि प्रेशर हल यानी दबाव पतवार वह जगह है, जहां पर ये सभी लोग बैठे थे। उनके मुताबिक ऐसा लगता है जैसे ही वे नीचे तक पहुंचे और पनडुब्बी फट गई।
1912 में डूबी थी टाइटैनिक
गौरतलब है कि आरएमएस टाइटैनिक दुनिया का सबसे बड़ा वाष्प आधारित यात्री जहाज था। वह साउथम्पटन (इंग्लैंड) से अपनी प्रथम यात्रा पर, 10 अप्रैल 1912 को रवाना हुआ। चार दिन की यात्रा के बाद, 14 अप्रैल 1912 को वह एक हिमशिला से टकरा कर डूब गया था। जिसमें 1,517 लोगों की मृत्यु हुई थी। यह इतिहास की सबसे बड़ी शांतिकाल समुद्री आपदाओं में से एक मानी जाती है।