तिरुपति लड्डू विवाद : ..तो अब ऐसे हो रही मंदिर को पवित्र करने की तैयारी
जानें क्या होता है महाशांति होम ?
तिरूपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट का मुद्दा इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है, इस मामले के सामने आने से कई सारे भक्तों की भावनाएं आहत हुई हैं. वहीं दूसरी तरफ मंदिर की पवित्रता भी भंग हुई है, ऐसे में मंदिर प्रशासन की तरफ से मंदिर को पवित्र करने की तैयारी की जा रही है. इसके चलते पवित्रता के लिए मंदिर प्रशासन की तरफ से महाशांति होम का आयोजन किया जा रहा है. इस विशेष महाशांति होम का आयोजन श्रीवारी मंदिर की बंगारी बावी यज्ञशाला में कराया जा रहा है. ऐसे में क्या आपको मालूम है कि, महाशांति होम क्या है, क्यों कराया जाता है, इसका महत्व क्या है ? अगर नहीं तो आज हम इस खबर में आपको विस्तार से इसके बारे में बताने जा रहे हैं….
क्या होता है महाशांति होम और क्यों, कब कराया जाता है?
महाशांति होम एक प्रकार का अनुष्ठान होता है, जिसे किसी भी स्थान के शुद्धिकरण के लिए कराया जाता है. यही वजह है कि, तिरूपति बालाजी मंदिर में महाशांति होम का आयोजन कराया जा रहा है, क्योंकि यहां पर मिलने वाले प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिली होने की पुष्टि हुई थी, जिसकी वजह से इस मंदिर पवित्रता भंग हुई है. ऐसे में महाशांति होम से इस अपवित्रता को नष्ट किया जाएगा. हालांकि, मंदिर में हर साल पवित्रता के लिए पवित्रोत्सव का आयोजन किया जाता है.
महाशांति होम का क्या है महत्व?
शास्त्रों के अनुसार, महाशांति होम का आयोजन किसी भी अपवित्र स्थान को पवित्र करने के लिए किया जाता है, इस अनुष्ठान में विभिन्न प्रकार के मंत्रों का जाप किया जाता है. इसके अलावा यह भी मान्यता है कि, तिरूपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ वास करते हैं और यहां पर स्थापित प्रतिमा को किसी भी मूर्तिकार द्वारा निर्मित नहीं किया गया है बल्कि यह प्रतिमा स्वयं ही प्रकट हुई थी.
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सिर मुंडवाने की क्यों है परंपरा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है, वह अपना सिर मुंडवा देता है या कुछ बाल मंदिर में अर्पित करता है. मंदिर में लोग अपने बालों को अपनी श्रद्धानुसार दान देते हैं. मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा पर सच्चे बाल लगे हुए हैं. यह बाल हमेशा नरम और स्वस्थ रहते हैं. गुरुवार को भगवान वेंकेटेश्वर को चंदन का लेप लगाया जाता है, चंदन लगाते समय भगवान वेंकेटेश्वर के हृदय में धन की देवी मां लक्ष्मी का आकृति दिखाई देती है.