सोनीपत के इस ढ़ाबे को मिला दुनिया में 23वां स्थान, जाने क्या हैं खासियत…

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दुनियाभर में ऐसे कई रेस्टोरेंट हैं, जो अपने लाजवाब खाने के लिए काफी मशहूर हो चुके हैं. इस संबंध में दुनिया के 150 सबसे बड़े रेस्टोरेंट की सूची तैयार की गई है. जिसमें भारत के भी कई रेस्टोरेंट शामिल हैं. खास बात यह है कि इस सूची में मुरथल के अमेरिकन सुखदेव ढाबे को 23वां स्थान मिला है, जिससे इस ढाबे ने फूड इंडस्ट्री के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है. जिसके पराठे दिल्ली एनसीआर के साथ-साथ और शहरों के लोगों के बीच भी फेमस हो चुके हैं. मुरथल के ढाबे पराठों के लिए इतने मशहूर हो जाएंगे, यह किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. 1956 में पंजाब से आकर प्रकाश सिंह ने मुरथल फ्लाईओवर के पास ढाबा खोला था. यह सबसे पुराने ढाबों में एक है. तो चलिए फिर आपको इस ढाबे की थोड़ी खासियत के बारे में बताते हैं।

1965 में चाय की शुरू की थी दूकान

आपको बता दें कि यह ढाबा हरियाणा के सोनीपत के मुरथल इलाके में है, जो अपने लाजवाब पराठों के कारण पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना चुका है। यह ढाबा दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगह भी बन गया है। इसकी शुरुआत. 1965 में सरदार प्रकाश सिंह ने छोटी चाय की दूकान शुरू की थी. जहां दिल्ली-हरियाणा के ट्रक ड्राइवर चाय और मठरी का नाश्ता करने के लिए यहां रुका करते थे. धीरे-धीरे चाय और मठरी के साथ ढाबे ने चावल और सब्जी भी सर्व करना शुरू कर दिया. ढाबे के मशहूर होते ही यहां के मेन्यू में कई बदलाव भी किए गए. इसमें बाद में छोले भटूरे, डोसा और कई तरह की डिशेस भी शामिल की गई.जो सबसे पुराने ढाबों में से एक है। पहले ये ढाबा ट्रक ड्राइवरों के बीच मशहूर था। फिर धीरे-धीरे यह ढाबा हाईवे से गुजरने वाले यात्रियों, आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया।

पराठों की क्या है खासियत…

यहां के पराठों की खासियत ये है कि यहां कई सारा मक्खन अलग से दिया जाता है और तो और दही और अचार तो आप मर्जी भर आर्डर कर सकते हैं. यहां केवल आलू के ही पराठे नहीं मिलते, आप गोभी, आलू की अलग-अलग वैरायटी वाले पराठे और भी कई स्टफिंग पराठे आर्डर कर सकते हैं. इसके अलावा, कुल्हड़ वाली चाय भी काफी फेमस है, जिसमें चाय के ऊपर केसर भी डाला जाता है. ये ढाबा प्रकाश सिंह के दोनों बेटों अमरीक और सुखदेव के नाम पर है

ढाबे पर नहीं मिलता मांसाहार..

खासकर पराठे खाने के लिए लोग दूर-दूर से अपने परिवार के साथ यहां आने लगे. मुरथल के इस ढाबे पर वैसे तो हर तरह के व्यंजन मिलते हैं, लेकिन यह खासतौर पर पराठों और मक्खन के लिए जाना जाता है. यहां किसी भी प्रकार का मांसाहारी भोजन उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण यहां रोजाना लगभग 10,000 लोग खाना खाने आते हैं. बताया जाता है कि एक महान संत बाबा कलीनाथ के आशीर्वाद की छाया में यह ढाबा तरक्की कर रहा है।

इन रेस्टोरेंटस को भी मिली जगह…

अमरीक- सुखदेव से अलग 150 रोस्टोंरंट की लिस्ट में भारत के कुल 6 रेस्टोरेंटस  को जगह दी गई है. जिसमें से 12वें नंबर पर लखनऊ का टुंडे कबाबी रेस्टोरेंट है. यहां के गुलावटी कबाब को फेमस व्यजन बताया गया है. इसके अलावा लिस्ट में 17वे नंबर पर कोलकत्ता का पीटर कैट रेस्टोरेंट, 39वें नंबर पर बेगलूरू का मालवी टिफिन रूम, 87नें नंबर पर दिल्ली के करीम और 112वें पर मुबंई के राम आश्रय रेस्टोरेंट ने अपनी जगह बनाई है।

मुरथल कैसे पहुंचे…

दिल्ली से कोई भी सड़क मार्ग से मुरथल पहुंच सकता है. दिल्ली से मुरथल तक के लिए सीधा 12 लाइन वाला नेशनल हाइवे है. आप दिल्ली से मुरथल ट्रेन से नहीं जा सकते. क्योंकि मुरथल में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है. लेकिन आप दिल्ली से सोनीपत ट्रेन से जा सकते हैं, उसके बाद आपको सड़क मार्ग से ही मुरथल जाना होगा. और सोनीपत और मुरथल के बीच सड़क मार्ग से दूरी लगभग 10 किलोमीटर है।

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