अंधेरा होते ही दिल्‍ली का यह इलाका हो जाता है मायावी

बदनाम गली में बदनामी का एक और दाग-

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दिल्ली की एक सड़क जहां दिन में आप गुजरेंगे तो शायद आपको दूसरे इलाकों की तरह ही लगे लेकिन सूरज ढलते ही इसकी तस्वीर भी बदलने लगती है. अंधेरा होते ही यह इलाका मायावी रूप ले लेता है. इस गली में आते ही ना किसी पर भरोसा किया जा सकता है और ना ही कुछ सच होता है यदि कुछ होता भी है तो बस होता है हुस्न, फरेब और लूट का धंधा…

बदनाम गली में बदनामी का एक और दाग-

दिल्ली की सबसे बदनाम इलाके के रूप में माना जाता है जीबी रोड. यह दिल्ली का वह रेड लाइट इलाका है जहां न केवल जिस्म का कारोबार होता है बल्कि फरेब का खेल भी शामिल है. शायद यहां पर आने वाले लोग इससे वाकिफ नहीं है. आपको बता दें कि जीबी रोड जिसे सालों पहले ब्रिटिश शासन के दौर में ब्रिटिश कमिश्नर गारस्टिन बास्टियन ने रेड लाइट इलाके में तब्दील कर दिया था. उस दौर में यहाँ सिर्फ पांच कोठे हुआ करते थे. इस गली का नाम गारस्टिन बास्टियन के नाम पर पड़ा.

हुस्न के साथ-साथ फरेब और लूट का खेल

धीरे- धीरे यहाँ कारोबार बढ़ने लगा, धंधा फल-फूलने लगा तो धीरे-धीरे कोठों की संख्या भी बढ़ने लगी. पूरे देश में यहां वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों को लाया जाने लगा. कोई मजबूरी में, कोई जबरदस्ती खुद को तिल-तिल मारकर इन कोठो को गुलजार करता रहा. कोठे गुलजार होते तो गलिया बदनाम होती. आपको बता दें की इस समय जी.बी रोड में फिलहाल 68 कोठे हैं जिनमें 4000 हजार से ज्यादा सेक्स वर्कर अपनी जिंदगी गुजार रही हैं, या यू कहें जिंदगी काटने को मजबूर हैं.

दूसरे शहर के लोग निशाने पर…

कई बार तो ऐसा होता है कि इस गंदे खेल में ऐसे लोग फंस जाते है जिसका इससे कोई लेना देने नहीं होता है. इस खेल में वो फंस जाते है जो इनको नहीं जानते यानी बाहर से आने वाले लोग जो गलती से शाम होते हुए यहां से गुजरते हैं उन्हें जेबकतरे, या फिर लुटेरे लूट लेते हैं. ऐसी कई वारदात हुई हैं जब दूसरे शहरों के लोगों की जेबे खाली कर दी गई.

बहला-फुसलाकर लोगों को लूटते हैं दलाल

पुलिस ने बताया कि यहां कई तरह से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है. यहां कई दलाल होते हैं जो सेक्स वर्कर के पास तक लोगों को पहुंचाते हैं. ये दलाल लोगों को अपने जाल में फंसाकर इन गलियों में ले जाते हैं और फिर उनके साथ लूट करते हैं. वो चाहे या ना चाहे यहां आने वाले हर शख्स की जेब खाली कर दी जाती है. कभी जिस्म का जादू बिखेरकर तो कभी तमंचे की नोक पर.

सेक्स वर्कर भी लूट और फरेब से नहीं बच पातीं

ऐसा नहीं है लुटने वालों में हर बार सिर्फ बाहर से आने से आने वाले लोग ही होते हों. यहां की लड़कियां और महिलाएं भी इस लूट का शिकार बनती हैं. सेक्स वर्क के साथ भी कई बार जबरन पैसे लुटने की वारदात हो चुकी है. ग्राहक इनके जिस्म से खेलते, पूरी रात अय्याशी करते हैं और फिर इनका पैसा लूटकर ले जाते. बदनामी का दाग तो ये गलियां पहले ही लिए हुए हैं ऐसे अब कुछ और नए दाग लग भी जाते हैं तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. केस होता है, कार्रवाई होती है, गिरफ्तारी भी होती है लेकिन फिर वही शाम आती है, फिर वहीं रात होती है और फिर शुरू हो जाता है हुस्न, फरेब, लूट का वही धंधा.

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