एक माह बाद होगा भाजपा राष्ट्रीय संगठन में फेरबदल
पहले चुने जाएंगे राष्ट्रीय अध्यक्ष, फिर प्रदेश, क्षेत्र व जिले में होगा फेरबदल
लोकसभा चुनाव में आपेक्षित सीटों पर विजय नहीं मिलने के बाद यूपी व राजस्थान भाजपा में खींचतान शुरू है. इन दो प्रदेशों में सवर्ण, पिछड़ा व दलित समाज के लोगों में संगठन में दबदबा बनाने के लिए खेमेबंदी हो रही है. इन वर्णों से जुड़ी जातियां एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ रही हैं. सभी बूथवार हार व जीत की रिपोर्ट बना रहे हैं, जिसमें उन बूथों पर टारगेट किया जा रहा है जहां पर संबंधित जाति की बहुलता है. रिपोर्ट में उन्हीं बूथों को टारगेट किया जा रहा है जहां पर मोदी को अधिक मत मिले हैं. इसके आधार पर अपनी जाति की भाजपा के प्रति निष्ठा को मजबूती से दिखा रहे हैं. इसमें सर्वाधिक सक्रियता भूमिहार व राजपूत नेताओं की बताई जा रही हैं. इन रिपोर्टों को भाजपा मुख्यालय भेजा जा रहा है. ब्राम्हणों की निष्ठा पर सबसे अधिक सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, भाजपा में फिलहाल एक माह से पहले कोई बदलाव नहीं होगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल एक माह से अधिक बचा है. पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा, फिर प्रदेश, क्षेत्र व जिला में फेरबदल किया जाएगा.
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बात राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस की करें तो दोनों दलों में बदलाव को लेकर खींचतानी शुरू हो गई है. चूंकि, विधानसभा चुनाव के बाद से ही यहां पर दोनों दलों में बदलाव की तैयारी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव की वजह से नहीं हो पाया. कांग्रेस ने जाट नेता गोविन्द सिंह डोटासरा के अध्यक्ष कार्यकाल का एक्सटेंशन कर दिया और बीजेपी ने सीपी जोशी को ही आगे बढ़ा दिया. जबकि, यहां पर बीजेपी के संगठन में बदलाव की मांग हो रही थी.
अभी नहीं हो पाया है जातिगत समीकरण पर कार्य
अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां पर बड़ा नुकसान हुआ है, इसलिए बदलाव को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. वहीं, कांग्रेस ने भी बदलाव की बात शुरू कर दी है. मगर, बड़ी बात यह है कि जातिगत समीकरण पर काम अभी नहीं हो पाया है. इसे लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है.
बीजेपी में क्या है तैयारी
राजस्थान में बीजेपी के चार अध्यक्षों को देखें तो अशोक परनामी, मदन सैनी, सतीश पूनियां और अब सीपी जोशी काम कर रहे हैं. यहां पर बीजेपीने ओबीसी अध्यक्ष बनाया तो विधानसभा और लोकसभा के दोनों चुनाव में बड़ी जीत मिली थी. राज्य में इस बार बीजेपी ने सीएम और अध्यक्ष दोनों ही ब्राह्मण को बना दिया. इसका असर पिछड़े वर्ग और एससी वोटर्स पर पड़ा.
ओबीसी या एमबीसी जाति से अध्यक्ष बनाने पर जोर
पूरा पूर्वी राजस्थान और शेखावटी में बीजेपी चुनाव हार गई. जिसे लेकर अब किसान और ओबीसी साधने के लिए बीजेपी किसी ओबीसी या एमबीसी को अध्यक्ष बना सकती है. इसके साथ ही एससी, एमबीसी और ओबीसी को साधने के लिए बीजेपी में मंथन जारी है. इसे लेकर कई नेताओं के नाम पर सहमति बनाई जा रही है. माथापच्ची शुरू हो गई है. सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के नेताओं से फीडबैक लिया जा रहा है.
कांग्रेस में क्या है तैयारी
राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा का कार्यकाल पूरा होने वाला है. इसके लिए अब यहां नए अध्यक्ष को लाया जाएगा. कांग्रेस में ही कुछ लोग अभी गोविंद सिंह डोटासरा को अध्यक्ष के रूप में देखना चाह रहे हैं. लेकिन, पूर्वी राजस्थान में मिली जीत के बाद कांग्रेस में कई लोग पूर्वी राजस्थान से अध्यक्ष की मांग कर रहे हैं. शेखावटी के बाद कांग्रेस मेवाड़ की तरफ़ भी देख रही है.
प्रदेश अध्यक्ष के लिए प्राथमिकता पर विधायक
चूंकि, सचिन पायलट के बाद गोविंद सिंह डोटासरा को अध्यक्ष बनाया गया था. गोविन्द सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली दोनों विधानसभा सदस्य हैं. इसलिए किसी विधायक को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की बात की जा रही है.