तुलसीदास की प्रेरणा है , बनारस का विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप

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वाराणसी, 25 अक्‍टूबर। चित्रकूट रामलीला समिति की ओर से लक्‍खा मेला के रूप में जग प्रसिद्ध  काशी की नाटी इमली का भरत मिलाप देखकर लोंगो की आंखे छलक उठी।अश्विन शुक्‍ल एकादशी तिथि में बुधवार की शाम चार बजकर चालीस मिनट पर प्रभु श्रीराम समेत चारों भाइयों के मिलन का अद्भुत क्षण, मानों समय थम गया हो। लोगों की निगाहें बीच मंच पर ही टिक गई हों। 14 वर्ष बाद चारों भाइयों को गले मिलते देख लाखों लीलाप्रेमियों के नयन सजल हो गए।नाटी इमली का मैदान भगवान राम और भरत के मिलाप के 480 साल की लीला का साक्षी बना।काशी राज परिवार के अनंत नारायण सिंह हाथी पर सवार होकर इसमें शामिल हुए। लंका में रावण पर विजय मिलने के बाद भगवान राम व लक्ष्‍मण का भरत और शत्रुध्‍न से मिलन को ही भरत मिलाप कहा गया है।

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ऐसी मान्‍यता है कि करीब पांच सौ वर्ष पूर्व संत तुलसीदास के शरीर त्‍यागने के बाद उनके समकालीन संत महात्‍मा बहुत विचलित हुए थे। उन्‍हें स्‍वप्‍न में तुलसीदास के दर्शन हुए और उसके बाद उन्‍हीं की प्रेरणा से उन्‍होंने रामलीला की शुरूआत की। मान्‍यता है कि नाटी इमली की इस लीला में प्रभु राम खुद धरती पर अवतरित होते हैं।कहा जाता है कि भरत ने संकल्‍प लिया था, यदि आज उन्‍हें सूर्यास्‍त के पहले भगवान राम के दर्शन नहीं हुए तो वह अपने प्राणों की आहूति देंगे। इसीलिए भरत मिलाप की यह लीला सूर्यास्‍त के पहले होती है। ठीक चार बजकर 40 मिनट पर जैसे ही अस्‍ताचलगामी सूर्य की किरणें नाटी इमली मैदान के एक निश्‍चित स्‍थान पर पडती है तो भगवान राम दौडकर भरत व शत्रुध्‍न को गले लगाते हैं। इसी पांच मिनट के मिलन का मनोहर दृश्‍य लाखों लोग देखते हैं।

रोमांचकारी होता है यदुवंशियों का कंधे पर वजनी रथ पहुंचाना

भरत मिलाप की इस लीला से यदुवंशी भी जुडे हैं। भरत मिलाप होने के बाद प्रभु राम, लक्ष्‍मण, माता सीता व वानरी सेना का रथ समेत यदुवंशी नाटी इमली से बडा गणेश(अयोध्‍या) पहुंचाते हैं। हजारों किलो वजनी रथ को यदुवंशी अपने कंधों पर लेकर जाते हैं। वजनी रथ का घुमावदार गलियों से लेकर जाते देखना भी कम रोमाचकारी नहीं होता। रास्‍ते भर लोग रथ पर फूलों की बरसात करते हैं।छतों से महिलाएं, पुरुष, बच्‍चे व बुजुर्ग इस क्षणिक पल का निहारते हैं। कहीं पैर रखने की जगह तक नहीं मिलती है। आकाशवाणीसे सजीव प्रसारण लक्‍खा मेला में शुमार भरत मिलाप का आकाशवाणी के वाराणसी केंद्र से 25 अक्‍टूबर की शाम चार बजे से लीला की समाप्ति तक सजीव प्रसारण किया जाएगा। आकाशवाणी के केंद्र निदेशक राजेश गौतम के अनुसार यह प्रसारण दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा,चेन्‍नई के पूर्व कुलपति प्रो:राम मोहन पाठक, उदघोषक पांडुरंग पुराणिक व डा: पवन कुमार शास्‍त्री प्रस्‍तुत करेंगे।

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