‘गरीबों का बैंकर’ मोहम्मद यूनुस की कहानी, जो बने बांग्लादेश के मुखिया…

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Bangladesh: देश में फैली हिंसा के बीच नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में जिम्मा संभाल लिया है. चार दिन पूर्व शेख हसीना ने इस्तीफ़ा देने के बाद देश छोड़ दिया था और भारत में आकर शरण ले ली थी. दूसरी ओर गुरुवार को 84 वर्षीय यूनुस ने ढाका के राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में शपथ ली. इस दौरान राजनेता, सिविल सोसायटी के लोग, जनरल और राजनयिक शामिल हुए.

मैं संविधान की रक्षा और समर्थन करूंगा…

ढाका में राष्ट्रपति के द्वारा दिलाई गई शपथ के बाद यूनुस ने कहा कि” मैं संविधान की रक्षा करूंगा, उसका समर्थन करूंगा. इस दौरान उनके साथ 16 लोगों ने शपथ ली जिन्हें मंत्री नहीं बल्कि सलाहकार के रूप में शपथ दिलाई गई है. शपथ लेने वालों में हसीना के विरोधी छात्र नेता भी शामिल हैं जो आरक्षण विरोध का नेतृत्व कर रहे थे.

कौन हैं मोहम्मद यूनुस ?…

बता दें कि मोहम्मद युनूस बांग्लादेश में गरीबों के बैंकर कहे जाते हैं. इतना ही नहीं उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है. उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी. इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिल पाती थी. उनके कर्ज देने के इस मॉडल ने दुनिया भर में ऐसी कई योजनाओं को प्रेरित किया. इसमें अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल हैं.

हसीना ने बताया था खून चूसने वाला…

बता दें कि, मोहम्मद युनूस देश में गरीबों के बैंकर कहे जाने को लेकर एक बार शेख हसीना ने उन्हें गरीबों का “खून चूसने वाला” कहा था. देश में जाने माने मोहम्मद यूनुस हसीना के आलोचक और विरोधी हैं. उन्होंने शेख हसीना के इस्तीफे को देश का “दूसरा मुक्ति दिवस” करार दिया था. पेशे से अर्थशास्त्री और बैंकर, यूनुस को 2006 में गरीब लोगों, विशेष रूप से महिलाओं की मदद के उद्देश्य से माइक्रो क्रेडिट के उपयोग का बीड़ा उठाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

क्या है ग्रामीण बैंक की कहानी ?

गौरतलब है कि यूनुस ने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना उन उद्यमियों को छोटे ऋण प्रदान करने के लिए की थी जो आम तौर पर ऋण प्राप्त करने की अर्हता नहीं रखते थे. लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में बैंक की सफलता ने अन्य देशों में भी इसी तरह के सूक्ष्म वित्तपोषण के प्रयासों को जन्म दिया.

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पार्टी गठन के एलान के बाद जाना पड़ा जेल…

कहा जा रहा है कि साल 2007 में मो. यूनुस ने एक राजनीतिक पार्टी बनाने का एलान किया था जिसके बाद साल 2008 में हसीना ने उनके खिलाफ जांच का आदेश दे दिया. उसके बाद दोनों एक दूसरे के विरोधी हो गए. जांच के दौरान शेख हसीना ने ग्रामीण बैंक के प्रमुख के तौर पर गांवों की गरीब महिलाओं से कर्ज का पैसा वसूलने के लिए बल और दूसरे साधनों के इस्तेमाल का आरोप लगाया.

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अकाल में बांग्लादेश को बाहर निकला…

कहा जा रहा है कि साल 1974 में पडे अकाल के दौरान यूनुस ने अपने लोगों को छोटी बचत शुरू करने के लिए लॉन्ग टर्म की शुरुआत की और इससे ग्रामीण बैंक का गठन हुआ. ‘गरीबों के बैंकर के रूप में जाने वाले यूनुस को साल 2006 में माइक्रोक्रेडिट और माइक्रोफाइनेंस में उनके काम और उनके योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया गया था.

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