संकट मोचन संगीत समारोह में बिरजू महाराज और मालिनी ने बांधा समां

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संकट मोचन संगीत समारोह का मंच गुरुवार की शाम दो सितारों के नाम रहा। पं. बिरजू महाराज ने कथक के भावों से तो पं. जसराज ने सुरों से नटवर नागर का रूप सजाया। अनूठे संयोग में प्रस्तुतियां दीं और श्रोताओं का मन मयूर इस कदर झूमा कि यह भाव बाहर भी नजर आया। इस दौरान अवधी गीतों की शान मालिनी अवस्थी ने भी अपने प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

श्याम की हर सांस में राधा बसी है…

इसकी अभिव्यक्ति हर हर महादेव उद्घोष के रूप में गूंजता रहा।समारोह की दूसरी निशा में पहली प्रस्तुति के लिए मंच पर उतरे बिरजू महाराज ने कथक में गिनती की तिहाइयां और आमद से ही समा बांध दिया। स्वरचित ‘श्याम की हर सांस में राधा बसी है… पर भाव नृत्य किया और बंदिश ‘जाने दे मायका मोहे सजनवा… पर विद्युत गति से सजते भावों में हर को बांध लिया।

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मध्य लय तीन ताल में उपज, राग देस में भाव नृत्य व गत निकास और राग मिया मल्हार में झुमाया तो बारिश की बूंदों का अहसास देते हुए मयूर नृत्य पर थिरकने को विवश कर दिया। इससे पहले उन्होंने बोल पढ़ंत का मोर्चा संभाला और ‘जाके हनुमत हृदय बसे हैं, ध्यान करो हनुमंत रूप को… फिजा में घुल गया। इस पर उनकी पोती रागिनी महाराज व पोते त्रिभुवन महाराज ने कथक प्रस्तुत किया।

मित्रों को ढूंढऩे आदि खेलों का बखूबी प्रदर्शन किया

चार दिन पूर्व लिखित छोटी बंदिश तीन ताल 16 मात्रा में प्रस्तुत की। इसमें परंपरागत कथक आमद-उठान, परन पेश किया। तिहाइ में गेंद, मित्रों को ढूंढऩे आदि खेलों का बखूबी प्रदर्शन किया। राधा कृष्ण की छोटी सी गत प्रस्तुतिकरण में आलिंगन, छेड़छाड़ के साथ ही आधुनिकता का पुट घोलते हुए नेटवर्क कटने को तिहाई में दिखाया। तबले व घुंघरू की युगलबंदी से भी रिझाया।

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