बढ़ते प्रदूषण से बनारस में कम दिखे बेशुमार ‘साइबेरियन पक्षी’
सुन्दरता के लिहाज से चिड़ियों में बेशुमार खूबसूरत साइबेरियन चिड़ियों का झुण्ड ठंड के शुरू होते ही सुबहे बनारस की छटा में चार चांद लगा देता है। लेकिन अफ़सोस इस बार प्रदूषण के बढे हुए स्तर की वजह से इनकी संख्या संतोषजनक ही देखने को मिल रही है। इसके वजह से काशीवासियों के साथ साथ ठंड में दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को निराशा हो रही है।
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सात समंदर पार से आते हैं साइबेरियन पक्षी
बनारस के घाट इन ठण्ड के दिनों में अपने खूबसूरत मेहमानों के आने से गुलज़ार है। कुछ देश के अलग अलग कोनो से आये हैं। तो कुछ सरहदों को पार करके, लेकिन एक ऐसा मेहमान भी इन दिनों गंगा की शोभा बढ़ा रहा है जो आया तो है सात समंदर पार करके लेकिन ना तो इसे सरहदों की परवाह है और ना ही सीमाओं के विवाद की ये तो बस दुनिया में शान्ति का प्रतीक बन कर आया है। हम बात कर रहे हैं हर साल सर्दियों में हज़ारों मील का फासला तय कर गंगा की धारा में आने वाले साइबेरियन पक्षी जो सफ़ेद रंग के होते हैं। ये पक्षी लोगों के आकर्षण का केंद्र हर साल बनते हैं लेकिन इस बार ये पक्षी प्रदूषण की मार को झेल रहे है जिसकी वजह से इनकी संख्या में भी कमी आई है।
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प्रदूषण की मार, सैलानियों के साथ खूबसूरत पक्षी को भी दिक्कत
काशी के मनोरम घाटों पर क्या पर्यटक और क्या पक्षी सभी प्रदूषण के चलते परेशान दिख रहे हैं साथ ही इनकी संख्या में भी कमी आई है। इस सम्बन्ध में घाट के नाविक शंभू सहानी ने बताया कि हर साल 25 हज़ार से अधिक की संख्या में सैबेरियां पंक्षी गंगा नदी में कलरव करते नज़र आते थे लेकिन इस बार समाग और बढे हुए प्रदूषण की मार विदेशी सैलानियों के साथ साथ इन खूबसूरत पक्षियों को भी झेलनी पड़ रही है। इस बार 5 से 10 हज़ार की संख्या में सैबेरियन पक्षी वाराणसी पहुंचे हैं।
देखे वीडियो:
https://youtu.be/O0tcW6Osaek
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महेंद्र पटेल ने बताया
बनारस घाट पर साइबेरियन पक्षियों का कलरव सुनने और उनकी अठखेलियां गंगा की लहरों में देखने पहुंचे चंदौली के महेंद्र पटेल ने बताया कि प्रदूषण का स्तर काफी ज़्यादा हमारे वातावरण में बढ़ गया है। जिसकी वजह से इंसान का सांस लेना भी दूभर हो गया है। हम यहां गंगा तट पर हर वर्ष आने वाले साइबेरियन पक्षी की अठखेलियां देखने आये थे पक्षी मिले तो पर उस संख्या में नहीं है जिस संख्या में वो हर वर्ष यहां आते थे। शायद प्रदूषण की मार उन्हें भी गंगा से दूर कर रही है।