वायनाड में हुई विनाशकारी भूस्खलन को सरकार ने माना ”आपदा”, पीड़ितों को क्या मिलेगा लाभ ?

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बीती 30 जुलाई को केरल के वायनाड में हुई विनाशकारी भूस्खलन को केंद्र सरकार ने गंभीर प्रकृति की आपदा घोषित कर दिया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने इसके लिए सहायता प्रक्रिया शुरू करने का भी ऐलान किया है. बता दें कि वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन की चपेट में आने पूरे तीन गांव नष्ट हो गए हैं. ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार लगातार इस त्रासदी को आपदा घोषित करने की मांग कर रही थी. अब केंद्र सरकार ने सभी व्यवहारिक उद्देश्यों के लिए इसकी तीव्रता और प्रभाव को पहचानते हुए इस त्रासदी को गंभीर प्रकृति की आपदा की घोषणा की है.

इस बात की जानकारी गृह मंत्रालय ने केरल सरकार को पत्र के माध्यम से दी है, जिसमें लिखा गया है कि, ”ऐसी गंभीर आपदाओं के लिए वित्तीय सहायता शुरू में राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) द्वारा प्रदान की जाती है. इसे बाद में अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) द्वारा किए गए आकलन के आधार पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) द्वारा पूरक किया जाता है.”

केंद्र के फैसले पर वायनाड सांसद ने जताई खुशी

वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र से इस फैसले पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि, ”मुझे खुशी है कि अंतत: वायनाड त्रासदी को गंभीर प्रकृति की आपदा घोषित करने का निर्णय लिया गया है. इससे पुनर्वास की आवश्यकता वाले लोगों को काफी मदद मिलेगी और यह निश्चित रूप से सही दिशा में एक कदम है.”

इसके अलावा केंद्र के इस फैसले पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि, ” यह वायनाड और केरल के लोगों की ताकत है. वायनाड त्रासदी सबसे भयानक त्रासदियों में से एक थी जिसे हमने कभी झेला है. हम पहले दिन से मांग कर रहे थे कि केंद्र इसे गंभीर प्रकृति की आपदा घोषित करे, लेकिन वायनाड के लोगों के दर्द का जवाब देने में सरकार को 5 महीने लग गए.”

कब घोषित होती है आपदा ?

राष्ट्रीय आपदा (National Disaster) को सरकार द्वारा तब घोषित किया जाता है जब कोई प्राकृतिक या मानवजनित घटना (जैसे भूकंप, बाढ़, तूफान, महामारी आदि) देशभर में व्यापक स्तर पर तबाही मचाती है. साथ ही इसके प्रभाव से प्रभावित क्षेत्र की क्षमता सामान्य रूप से संकट का सामना करने में असमर्थ होती है. भारत में राष्ट्रीय आपदा की घोषणा के लिए विशेष रूप से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (NDMA), 2005 के तहत एक प्रक्रिया निर्धारित की गई है. यह निर्णय केंद्रीय सरकार द्वारा लिया जाता है और इस पर आधारित निम्नलिखित प्रमुख पहलू हैं:

प्रभावित क्षेत्र का मूल्यांकन: जब किसी आपदा के कारण भारी जनहानि, संपत्ति की हानि, या अन्य गंभीर परिणाम होते हैं और राज्य सरकार इस स्थिति को संभालने में असमर्थ होती है, तो राज्य सरकार केंद्र सरकार से मदद मांग सकती है.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (NDMA): 2005 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (NDMA) को लागू किया, जिसके तहत राष्ट्रीय आपदा घोषित की जाती है. इस अधिनियम के अनुसार, आपदा का सामना करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से तत्काल संसाधन और सहायता भेजी जाती है.

केंद्र सरकार द्वारा घोषणा: अगर राज्य सरकार की ओर से संकट की गंभीरता का मूल्यांकन किया जाता है और यह पुष्टि होती है कि प्रभावित क्षेत्र का प्रबंधन राज्य स्तर पर नहीं किया जा सकता, तो केंद्र सरकार आपदा को राष्ट्रीय आपदा के रूप में घोषित करती है. इसके बाद, केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से राहत कार्यों के लिए संसाधन प्रदान करती है. राष्ट्रीय आपदा घोषित होने के बाद, प्रभावित क्षेत्रों में राहत, पुनर्निर्माण, और सहायता कार्यों में केंद्र सरकार की ओर से सक्रिय भूमिका निभाई जाती है.

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आपदा घोषित होने पर क्या मिलता है लाभ ?

जब किसी त्रासदी को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित किया जाता है, तो इससे प्रभावित क्षेत्र को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलते हैं. सबसे पहले केंद्र सरकार से तत्काल वित्तीय सहायता और संसाधन प्रदान किए जाते हैं. यह सहायता राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से मिलती है, जो राहत कार्यों को गति देने में मदद करती है. राष्ट्रीय आपदा के दौरान राज्य सरकारों को अतिरिक्त संसाधन जैसे राहत कार्यों के लिए उपकरण, विशेषज्ञ और मानव संसाधन मिलते हैं. इसके अलावा, कर्ज माफी, राहत पैकेज और विशेष आर्थिक सहायता के माध्यम से प्रभावित लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की कोशिश की जाती है.

यह घोषणा प्रभावित क्षेत्र के पुनर्निर्माण में भी मदद करती है. केंद्र सरकार पुनर्निर्माण कार्यों के लिए मार्गदर्शन और वित्तीय मदद देती है. वित्तीय राहत, टैक्स में छूट और विशेष योजनाओं के जरिए नागरिकों को राहत प्रदान की जाती है. राष्ट्रीय आपदा के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में सामाजिक सुरक्षा योजनाएं भी शुरू होती हैं, जैसे स्वास्थ्य सेवाएं, खाद्य आपूर्ति और रोजगार योजनाएं. कुल मिलाकर, राष्ट्रीय आपदा घोषित होने से प्रभावित क्षेत्रों को जल्दी राहत और दूरगामी पुनर्निर्माण में मदद मिलती है.

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